उत्तर प्रदेश में राहुल गांधी को पूरे चुनावी दोरे में गुस्सा बहुत आया लेकिन उनका यह गुस्सा उनकी पार्टी के काम नहीं आ पाया.
एक तरफ राहुल गांधी का गुस्सा था और एक तरफ यूपी की जनता का गुस्सा. राहुल गांधी का गुस्सा तो कोई खास गुल नहीं खिला पाया लेकिन यूपी की जनता ने अपने गुस्से की पूरी भड़ास बीएसपी पर उतारी.
पिछले चुनाव में प्रचंड बहुमत पर सवार होकर मायावती का हाथी जिस अंदाज से लखनऊ में सत्ता के शिखर पर पहुंचा था कुछ उसी अंदाज में जनता के गुस्से ने पार्टी को बाहर का रास्ता भी दिखा दिया.
राहुल ने खूब गुस्सा दिखाया, महाराष्ट्र में यूपी के लोगों के भीख मांगने की बात कहकर उनकी आत्मा को भी ललकारा लेकिन यूपी की जनता के गुस्से की आंच में समाजवादी पार्टी ने अपनी साइकिल को लखनऊ की गद्दी तक पहुंचा दिया.
7 चरणों तक चले उत्तर प्रदेश चुनाव में कुछ ऐसे लम्हे भी आए और कुछ नेताओं ने अपने अभिनय के ऐसे-ऐसे गुर भी दिखाए जिसके सामने बॉलीवुड की अच्छी से अच्छी स्क्रिप्ट भी पानी मांगती फिरे.
कांग्रेस के युवराज कहे जाने वाले महासचिव राहुल गांधी को ही ले लें. इस चुनाव में उनका एक बिल्कुल अलग रूप देखने को मिला और वह था 'एंग्री यंग मैन' वाला रूप.
फिल्म 'दीवार' के अमिताभ बच्चन वाले अंदाज में राहुल गांधी ने उत्तर प्रदेश में जगह-जगह जाकर अपना गुस्सा दिखाया. उनका गुस्सा मायावती और उनके उस हाथी की तरफ था, जो गरीबों के लिए आया सारा पैसा हड़प जाता था. उनका गुस्सा उस समाजवादी पार्टी की तरफ भी था, जिसे वे मुस्लिमों के पिछड़ेपन के लिए जिम्मेदार मानते हैं. उनका गुस्सा खासकर इस बात पर तो कुछ ज्यादा ही उमड़ जाता कि यूपी के लोगों को दिल्ली, पंजाब और महाराष्ट्र में काम की तलाश में जाना पड़ता है.
पूरे चुनावी दौर में उनका गुस्सा इस कदर बढ़ा हुआ था कि हफ्तों तक दाढ़ी नहीं बनाई और गाहे-बगाहे वे अपनी बाहें चढ़ाते हुए देखे गए.
अपने गुस्से में उन्होंने ऐसा काम कर डाला, जिसके लिए उनकी खूब आलोचना भी हुई. उन्होंने एक चुनावी सभा में समाजवादी पार्टी के तथाकथित घोषणात्र को फाड़ दिया था. उनकी गुस्से के इस परफॉर्मेंस पर सामने बैठे समर्थकों ने ताली बजाकर खूब आनंद भी लिया.
आखिर उनके इस गुस्से पर सपा के युवराज अखिलेश यादव को यह कह कर अपनी प्रतिक्रिया देनी पड़ी कि कोई राहुल गांधी को अपने गुस्से पर नियंत्रण करना सिखाए, वरना वे एक दिन स्टेज से कूद जाएंगे.
यूपी चुनावों के नतीजे आने के बाद राहुल गांधी का गुस्सा शांत हो गए. वे जब प्रेस कांफ्रेस करने आए तो उनके अंदर वो गुस्सा नजर नहीं आया. जिसका प्रत्यक्षदर्शी पूरा भारत रहा.