Punjab Congress Fight: पंजाब में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों की तैयारियों में जुटी कांग्रेस की मुश्किलें खत्म नहीं हो रही हैं. पहले पंजाब का मुख्यमंत्री बदला गया और अब नए प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने अपना पद त्याग दिया है. नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब सरकार में हुई कुछ नियुक्तियों से खफा थे, जिनका उन्होंने खुले तौर पर विरोध किया.
सिद्धू ने अपने इस्तीफे की बात ट्विटर पर सार्वजनिक की, पहला बयान भी ट्विटर पर ही दिया, दूसरी ओर आलाकमान ने कड़ा रुख अपना लिया है. ऐसे में पंजाब कांग्रेस की जो चिंताएं थीं वो खत्म होती नहीं दिख रही हैं. कैसे पंजाब में कांग्रेस के भीतर दंगल खत्म नहीं होता दिख रहा है, समझिए...
ट्विटर पर इस्तीफा, वीडियो से संदेश...
नवजोत सिंह सिद्धू ने मंगलवार दोपहर को तीन बजे अपना इस्तीफा ट्विटर पर जारी कर हर किसी को चौंका दिया था. नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी ट्वीट की, जिसमें उन्होंने बताया कि वह अपने मुद्दों से समझौता नहीं कर सकते हैं और इसलिए पद छोड़ रहे हैं.
इसके ठीक अगले दिन यानी बुधवार को नवजोत सिंह सिद्धू ने फिर से ट्विटर का ही सहारा लिया और अपना पहला बयान जारी किया. नवजोत सिंह सिद्धू ने एक वीडियो संदेश में कहा कि दागी सिस्टम को हटाने की बात हुई थी, लेकिन फिर दागियों को लाया जा रहा है जो ठीक नहीं है. वह हक-सच की लड़ाई लड़ते रहेंगे, ऐसे में अपने एजेंडे से पीछे नहीं हटेंगे.
पंजाब के लोगों की ज़िंदगी बेहतर करना ही मेरा धर्म-फर्ज है. पंजाब का अपना एजेंडा है, मैं इसके लिए लड़ाई लड़ता रहूंगा और इसके लिए कोई समझौता नहीं करूंगा.
आलाकमान ने अपनाया सख्त रुख...
नवजोत सिंह सिद्धू की प्रदेश अध्यक्ष पद पर नियुक्ति सीधे कांग्रेस आलाकमान ने की थी, उनका इस्तीफा देना हाईकमान के लिए ही बड़ा झटका है. ऐसे में अब कांग्रेस हाईकमान सख्ती के मूड में है और नवजोत सिंह सिद्धू को मनाने की कोशिशें नहीं की जा रही हैं.
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस हाईकमान ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के रुख को सही माना है. साथ ही अब नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश भी शुरू कर दी है. पंजाब के प्रभारी हरीश रावत के दौरे को भी टाल दिया गया, जो सिद्धू से मुलाकात कर सकते थे. हालांकि, कुछ अन्य नेताओं को भेजा जा रहा है.
पंजाब कांग्रेस में आर-पार की जंग
नवजोत सिंह सिद्धू की एंट्री से लेकर एग्जिट तक पंजाब कांग्रेस में घमासान ही रहा. कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पहले उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने का विरोध किया, अब जब सिद्धू ने पद छोड़ा तब भी कैप्टन ने कहा कि वह पहले ही बता चुके थे कि सिद्धू स्थिर व्यक्ति नहीं हैं.
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने भी कहा कि जिनको पंजाब कांग्रेस की जिम्मेदारी दी गई थी, उन्हें पंजाब की समझ ही नहीं थी. पंजाब में जो राजनीतिक हालात बन गए हैं, उसे ठीक करना जरूरी है. पंजाब में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ती है तो सिर्फ पाकिस्तान को ही फायदा होता है.