पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस से अलग होकर नई राजनीतिक पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया है. इसके साथ ही उन्होंने विधानसभा चुनाव के लिए बीजेपी के साथ गठबंधन की ओर इशारा भी किया है. उन्होंने कहा है कि अगर किसानों का मुद्दा सुलझता है तो बीजेपी के साथ गठबंधन हो सकता है.
पिछले महीने कैप्टन अमरिंदर ने जब मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था, तभी उन्होंने साफ कर दिया था कि वो कांग्रेस में नहीं रहेंगे. मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के तुरंत बाद कैप्टन सीधे दिल्ली गए थे और वहां जाकर उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी. इसी मुलाकात से तय हो गया था कि या तो कैप्टन आने वाले समय में बीजेपी का दामन थामेंगे या फिर कुछ न कुछ ऐसा करेंगे जहां पर बीजेपी की भूमिका कैप्टन के समान रहेगी.
बीजेपी के लिए 'ढाल' बनेंगे कैप्टन!
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने बीजेपी ने गठबंधन से भले ही संकेत दिए हों, लेकिन वो बीजेपी में शामिल नहीं होंगे. भले ही बीजेपी तीनों कृषि कानून रद्द ही क्यों न कर दे. कैप्टन चाहते हैं कि वो अपनी अलग पार्टी बनाएं और बीजेपी पर तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने का दबाव बनाएं.
इससे कानून रद्द करवाने का सारा क्रेडिट अमरिंदर सिंह को मिल जाएगा और अगर ऐसा होता है तो इसका फायदा कहीं न कहीं बीजेपी को भी मिलेगा. इतना ही नहीं, ऐसा करके कैप्टन एक ऐसे 'चेहरे' बन जाएंगे, जिनके ऊपर परदे के पीछे से बीजेपी दांव खेलने की तैयारी कर रही है.
दरअसल, ये जो पूरा गेम प्लान है, उसमें कैप्टन अमरिंदर सिंह को खिलाड़ी के रूप में शामिल किया जाएगा और बैकअप बीजेपी का रहेगा. क्योंकि पंजाब का सियासी गणित समझें तो यहां अभी भी बहुत बड़ी संख्या में हिंदू वोटर्स हैं, लेकिन कृषि कानूनों की वजह से किसान बीजेपी के विरोध में आ खड़े हुए हैं पर अब कैप्टन अमरिंदर जैसा चेहरा बीजेपी को 'ढाल' के रूप में मिल सकता है.
इतना ही नहीं, पिछले तीन दिन से कैप्टन अमरिंदर सिंह दिल्ली में हैं और सूत्र बताते हैं कि इस दौरान वो बीजेपी के बड़े नेताओं से लगातार संपर्क में हैं. कुल मिलाकर पंजाब के विधानसभा चुनाव में एक नया फ्रंट आ गया है.
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कांग्रेस, कैप्टन, बीजेपी कौन फायदे में?
पंजाब की सियासत में इस वक्त सबसे बड़ा मुद्दा तीनों कृषि कानूनों का है और इन कानूनों से अकाली दल, आम आदमी पार्टी, कांग्रेस के नेताओं को भी विरोध सहना पड़ा है. ऐसे में अगर कैप्टन अमरिंदर सिंह इस बात का क्रेडिट लेते हैं कि उनकी वजह से केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने को मजबूर हुई है तो जाहिर सी बात है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह बड़े दांव के रूप में पंजाब की राजनीति में कदम रखेंगे.
कितनी संभावना है कि बीजेपी ये मान लेगी?
कैप्टन अमरिंदर सिंह कभी हल्की बात नहीं करते हैं. वो बेबाक बोलते हैं और राजनीति के मझे हुए खिलाड़ी हैं. अगर वो नई पार्टी बनाने की बात और बीजेपी से गठबंधन की बात कह रहे हैं, उन्होंने और किसी पार्टी का नाम नहीं लिया है.
सूत्र बता रहे हैं कि उनके बीजेपी नेताओं से बात हो रही है. सूत्र ये भी बता रहे हैं कि कैप्टन काफी लंबे वक्त से प्रधानमंत्री मोदी से भी मुलाकात करना चाह रहे थे, लेकिन जेपी नड्डा से उनकी मुलाकात हुई है. लेकिन चर्चाओं का जो दौर चल रहा है, उससे साफ है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह एक समझौते के तौर पर बीजेपी के बेहद करीब पहुंच गए हैं. और अगर किसान आंदोलन खत्म होता है तो कैप्टन अमरिंदर का ही नहीं, बीजेपी का भी सियासी फायदा हो सकता है.
(आजतक ब्यूरो)