राज्य दर राज्य, चुनाव दर चुनाव सफलता का परचम लहराती आ रही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की अग्नि परीक्षा लोकसभा चुनाव में होगी. राम रथ पर सवार बीजेपी को विपक्षी पार्टियां जातिगत जनगणना के मुद्दे पर घेर रही हैं. हाल ही में बीजेपी का राष्ट्रीय अधिवेशन हुआ. लोकसभा चुनाव से पहले हुए इस अधिवेशन के जरिए बीजेपी ने एक तरह से यह संदेश भी दे दिया कि चुनावों में उसकी रणनीति के मुख्य आधार कौन से विषय होंगे, विपक्षी व्यूह भेदने के लिए किन बिंदुओं के इर्द-गिर्द वह चुनावी रणनीति का ताना-बाना बुनेगी.
बीजेपी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के 10 साल के कामकाज, कल्याणकारी योजनाओं के साथ ही राम मंदिर निर्माण, जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने को बड़ी उपलब्धि के रूप में जनता के बीच लेकर जा रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर पार्टी के तमाम बड़े नेता इन सभी विषयों पर लगातार मुखर होकर बोल रहे हैं. लेकिन चुनावी जंग जीतने के लिए बीजेपी क्या केवल इन मुद्दों पर ही निर्भर है? बीजेपी इन सभी मुद्दों को लेकर जनता के बीच जा रही है और पूरे प्रचार अभियान के दौरान भी यह मुद्दे छाए रहने वाले हैं. लेकिन पार्टी का सबसे अधिक जोर किसी और बात पर है.
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उपलब्धि बताने के लिए बीजेपी के पास मोदी सरकार के 10 साल के कामकाज के साथ ही राम मंदिर और अनुच्छेद 370 हैं ही, पार्टी का सबसे ज्यादा जोर है बूथ मैनेजमेंट पर. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय अधिवेशन में हर बूथ पर मतदाताओं को जोड़ने पर सबसे अधिक जोर दिया और कार्यकर्ताओं को अगले सौ दिन के लिए टास्क भी सौंप दिया. पीएम मोदी ने कहा कि बीजेपी का कार्यकर्ता पूरे सालदेश की सेवा के लिए कुछ न कुछ करता ही रहता है लेकिन अगले सौ दिन नई ऊर्जा, नए उमंग, नए उत्साह, नए विश्वास और नए जोश के साथ काम करने का है. एक-एक मतदाता तक पहुंचना है. पीएम के संबोधन में भी संदेश साफ था- बूथ मैनेजमेंट का, बूथ जीतने की रणनीति का.
लक्ष्य तक पहुंचने के लिए क्या कर रही बीजेपी
पीएम मोदी की ओर से दिए गए लक्ष्य को पाने के लिए बीजेपी अब तैयारी में भी जुट गई है. बीजेपी ने सभी प्रदेश इकाइयों में जिम्मेदारी तय करने के साथ ही यह भी संदेश दे दिया है कि सभी मंडल प्रभारी 30 दिन में कम से कम एक बार हर एक पन्ना प्रमुख से मिलें. पीएम मोदी ने हर एक मतदाता तक पहुंचने का जो टास्क सौंपा है, उसके लिए भी पार्टी ने रणनीति तैयार कर ली है. हर नेता और कार्यकर्ता से हर बूथ पर 370 वोट बढ़ाने को कहा गया है. अब आंकड़ों की बात करें तो देशभर में कुल मिलाकर 10 लाख 35 हजार और एक लोकसभा क्षेत्र में औसतन 1900 बूथ हैं. अब इस हिसाब से देखें तो बीजेपी का लक्ष्य एक लोकसभा क्षेत्र में औसतन सात लाख और कुल मिलाकर करीब 38 लाख मतदाताओं को जोड़ने का है.
पीएम ने सरकार की अलग-अलग योजनाओं के लाभार्थियों से मिलकर उन्हें नमो ऐप के जरिए मोदी की चिट्ठी देने, पिछले पांच साल की उपलब्धियां बताने का भी आह्वान किया है. इसके जरिए पीएम मोदी और बीजेपी की रणनीति मतदाताओं से इमोशनल कनेक्ट स्थापित करने की है. पीएम मोदी का कार्यकर्ताओं को संदेश देना कि हर लाभार्थी तक पहुंचकर यह कहना कि प्रधान सेवक नरेंद्र मोदी ने उनको प्रणाम कहा है, इसी रणनीति की तरफ संकेत करता है. पीएम मोदी ने कार्यकर्ताओं को यह नसीहत भी दी है कि मतदाताओं से संपर्क के समय पंथ और परंपरा को दरकिनार कर मिलें. अगर कोई मतदाता किसी कारण से अब तक बीजेपी से नहीं जुड़ पाया है तो उसे जोड़ने के लिए भी काम करना होगा. पार्टी का फोकस फर्स्ट टाइम वोटर्स पर भी है. यही वजह है कि पीएम ने यह हिदायत भी दी है कि एक भी फर्स्ट टाइम वोटर ऐसा न हो जिस तक आप ना पहुंचें.
मेरा बूथ,सबसे मजबूत के मायने क्या?
बीजेपी का जोर हर चुनाव में बूथ लेवल मैनेजमेंट पर होता है. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी यही बीजेपी के चुनाव अभियान की धुरी रहने वाला है. यही वजह है कि जब मध्य प्रदेश, राजस्थान समेत पांच राज्यों के चुनाव कार्यक्रम का ऐलान भी नहीं हुआ था, तभी बीजेपी ने भोपाल में बूथ लेवल कार्यकर्ता सम्मेलन कराकर 2024 के लिए अपने अभियान का आगाज कर दिया था. पार्टी की रणनीति है कि बूथ लेवल कमेटी का हर सदस्य 10-10 परिवारों के संपर्क में रहे, उनसे करीबी बढ़ाए और मतदान वाले दिन पार्टी के पक्ष में उनके वोट डलवाए.
13 सदस्यों की टीम करेगी बूथ को मजबूत
बीजेपी ने बूथ लेवल पर पार्टी को मजबूत करने का जिम्मा बूथ लेवल कमेटियों को सौंपा है. बूथ लेवल कमेटी में बूथ अध्यक्ष, महामंत्री और बूथ एजेंट के साथ ही 10 सदस्य भी हैं. बीजेपी का सांगठनिक ढांचा मंडल स्तर पर पहले से ही मजबूत था, पिछले कुछ वर्षों में पार्टी ने सबसे छोटी इकाई बूथ लेवल पर फोकस कर दिया है. बूथ कमेटी के भी नीचे एक कमेटी काम करती है जिसे पन्ना और अर्द्ध पन्ना कमेटी का नाम दिया गया है. यह कमेटी बूथ कमेटी को मजबूत करने के लिए काम करती है. पन्ना कमेटी का संबंध वोटर लिस्ट के पन्नों से है. वोटर लिस्ट के हर एक पन्ने पर लगभग 30 परिवारों का विवरण दर्ज रहता है. बीजेपी की रणनीति बूथ कमेटी के साथ ही पन्ना और अर्द्ध पन्ना कमेटी के जरिए हर एक मतदाता से सीधा संपर्क स्थापित करने की रहती है.