आगामी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 370 और एनडीए को 400 पार सीटें हासिल करने के लिए मौजूदा सीटें बरकरार रखने के अलावा दक्षिण और पूर्व में भी अपनी ताकत बढ़ाने की जरूरत है. इसके लिए पार्टी की नजरें तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश पर हैं. पूर्व की बात करें तो पार्टी ओडिशा और पश्चिम बंगाल में भी बड़ा लक्ष्य लेकर चल रही है. दक्षिण में कर्नाटक और तेलंगाना को छोड़कर केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश, लक्षद्वीप और पुड्डुचेरी में बीजेपी की कोई सीट नहीं है. यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा तक दक्षिण राज्यों में बड़ी सभाओं को कर रहे हैं.
दक्षिण की 131 सीटों में बीजेपी के पास अभी केवल 29 सीटें हैं और इनमें से भी 25 अकेले कर्नाटक में हैं. बीजेपी कर्नाटक में विपक्ष में होने के बावजूद अपनी सीटों को बचाना चाहती है और इसीलिए जेडीएस से तालमेल किया है. आंध्र प्रदेश में टीडीपी और जनसेना से गठबंधन तय है, जबकि तेलंगाना में भी टीआरएस के साथ बीजेपी हाथ मिला सकती है. तमिलनाडु और केरल में बीजेपी पूरी ताकत लगा रही है. पीएम मोदी दो महीने में तीसरी बार तमिलनाडु का दौरा करेंगे. बीजेपी की नजरें तमिलनाडु की चार और केरल की तीन लोकसभा सीटों पर हैं.
आंध्र में फिर साथ आ सकते हैं बीजेपी और टीडीपी
आंध्र प्रदेश में बीजेपी और टीडीपी के दोबारा साथ आने की संभावना है. बीजेपी की सहयोगी पवन कल्याण की जनसेना पार्टी दोनों को साथ लाना चाहती है. पिछले विधानसभा चुनाव में टीडीपी, जनसेना और बीजेपी ने अलग-अलग चुनाव लड़ा था. टीडीपी को 39.17, जनसेना को 5.53 और बीजेपी को 0.84 प्रतिशत वोट मिले थे. टीडीपी को राज्य की 175 में से 23 और जनसेना को एक सीट पर जीत मिली थी. वहीं बीजेपी अपना खाता नहीं खोल पाई थी जबकि लोकसभा चुनाव में टीडीपी को 40.19 प्रतिशत वोट और 25 में से तीन सीटों पर जीत मिली थी. वहीं जनसेना को 5.87 और बीजेपी को 0.98 प्रतिशत वोट मिले थे. ये दोनों ही दल कोई लोकसभा सीट नहीं जीत पाए थे.
चंद्रबाबू नायडू ने विपक्षी गठबंधन से बनाई है दूरी
आंकड़ें बताते हैं कि बीजेपी के पास आंध्र प्रदेश में खोने को कुछ नहीं है. यहां कांग्रेस दोबारा जिंदा होने के लिए हाथ-पैर मार रही है, जबकि सत्तारूढ़ वायएसआरसीपी पिछले पांच साल से कई महत्वपूर्ण बिलों पर केंद्र में एनडीए सरकार का समर्थन करती आ रही है. चंद्रबाबू नायडू बीजेपी के खिलाफ केंद्र में बन रहे इंडिया गठबंधन से दूर हैं जबकि इससे पहले वे तीसरे मोर्चे को मजबूत करने में कई बार भूमिका निभा चुके हैं. टीडीपी नेताओं का कहना है कि आंध्र में जमीन पर कमजोर बीजेपी से गठबंधन करने से उन्हें चाहे चुनावी फायदा न हो, लेकिन चुनाव प्रबंधन की दृष्टि से बड़ी मदद मिल जाएगी. इससे केंद्र सरकार का उसके साथ रहने का संदेश भी चला जाएगा.
तमिलनाडु में छोटे दलों को साथ लाने में जुटी बीजेपी
कुछ महीने पहले चंद्रबाबू नायडू दिल्ली आकर गृह मंत्री अमित शाह से मिल चुके हैं. दक्षिण भारत के अन्य राज्यों में भी बीजेपी गठबंधन के लिए सहयोगी दलों की तलाश में है. कर्नाटक में जेडीएस के साथ बीजेपी का गठबंधन हो चुका है जबकि तमिलनाडु में एआईएडीएमके से रिश्ता टूटने के बाद अब बीजेपी वहां छोटे दलों को साथ लाना चाह रही है. केरल में भी बीजेपी की नजरें कई छोटे दलों पर हैं, जिनमें से कुछ के साथ उसका विधानसभा चुनाव में गठबंधन हो चुका है.
केरल में भी उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी बीजेपी
केरल में बीस सीटों में से बीजेपी ने 12 उम्मीदवार घोषित किए हैं. वायनाड समेत चार और सीटों पर बीजेपी उम्मीदवार घोषित करेगी. चार सीट सहयोगी दल भारत धर्म जन सेना को दी जा सकती हैं. पीसी जॉर्ज ने अपनी पार्टी केरला जनपक्षम सेक्यूलर का बीजेपी में विलय कर दिया है. 2019 में बीजेपी ने 15 सीटों पर चुनाव लड़ा था. चार सीटें सहयोगी BDJS को और एक सीट केरल कॉंग्रेस थॉमस को दी गई थी. एनडीए को तब 15.64% वोट मिले थे, यह 2014 की तुलना में 2.78% अधिक था. कासरगोड, कोझीकोड, पोन्नामी, थ्रिसूर, पलक्कड, चलाकुडी, ऐर्णाकुलम, कोट्टायम, अलप्पुझा, पथानमथित्ता, अटिंगर और तिरुवनंतपुरम आदि 14 सीटों पर एनडीए को एक लाख से अधिक वोट मिले थे. इनमें पांच सीटों पर दो लाख से अधिक वोट मिले थे. एक विधानसभा सभा पर एनडीए आगे था और सात विधानसभा सीटों पर दूसरे नंबर पर थीं.