सारण लोकसभा सीट पर बीजेपी के राजीव प्रताप रूडी ने आरजेडी के चंद्रिका राय को 138429 वोटों से हराया. राजीव प्रताप रूडी को 499342 और चंद्रिका राय को 360913 वोट मिले. लोकनायक जय प्रकाश नारायण की जन्मभूमि सारण लोकसभा सीट बिहार की सबसे हाई प्रोफाइल संसदीय सीट मानी जाती है. 2008 के परिसीमन से पहले इसका नाम छपरा था. छपरा शहर सारण जिले का मुख्यालय भी है. ये सीट राजपूतों और यादव समुदाय का गढ़ माना जाता है.
कब और कितनी हुई वोटिंगइस सीट पर 6 मई को पांचवे चरण में वोट डाले गए थे. इस संसदीय क्षेत्र में चुनाव आयोग के मुताबिक 1661922 पंजीकृत मतदाता हैं, जिसमें से 938974 ने वोट डाला. सीट पर कुल 56.50 फीसदी वोटिंग हुई.
कौन-कौन हैं प्रमुख उम्मीदवार
सारण में मुख्य मुकाबला बीजेपी राजीव प्रताप रूडी और आरजेडी के चंद्रिका राय के बीच माना जा रहा है. इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी ने श्योजी राम, युवा क्रांतिकारी पार्टी ने इश्तियाक अहमद, भारतीय इंसान पार्टी ने जुनैद खान, बिहार लोकनिर्माण दल ने धरमवीर कुमार, पूर्वांचल महापंचायत ने भीष्म कुमार रे और वंचित समाज पार्टी ने राज किशोर प्रसाद को चुनाव मैदान में उतारा है. वहीं, निर्दलीय उम्मीदवारों में राज कुमार राय, लालू प्रसाद यादव, शिव ब्रत सिंह और प्रभात कुमार गिरी शामिल हैं.
2014 का चुनाव
2014 में सारण सीट से बीजेपी के उम्मीदवार राजीव प्रताप रूडी जीते थे. रूडी ने लालू यादव की पत्नी और बिहार की पूर्व सीएम राबड़ी देवी को हराया. चारा घोटाले में सजा होने के चलते लालू प्रसाद यादव की सदस्यता छिन जाने के बाद राबड़ी देवी सारण से चुनाव मैदान में उतरी थीं, लेकिन मोदी लहर में जीत बीजेपी के हाथ लगी थी. राजीव प्रताप रूडी को 3 लाख 55 हजार 120 वोट मिले थे, जबकि राबड़ी देवी को 3 लाख 14 हजार 172 वोटों से संतोष करना पड़ा था. जेडीयू के सलीम परवेज 1 लाख 7 हजार 8 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर थे.
सामाजिक ताना-बाना
गंगा, गंडक एवं घाघरा नदी से घिरा सारण जिला भारत में मानव बसाव के सार्वाधिक प्राचीन केंद्रों में एक है. यह समतल एवं उपजाऊ इलाका है. भोजपुरी यहां की भाषा है. सोनपुर मेला, चिरांद पुरातत्व स्थल यहां की पहचान हैं. मढौरा का चीनी मील और मर्टन मील बिहार के पुराने उद्योगों के प्रतीक थे. रेल चक्का कारखाना, डीजल रेल इंजन लोकोमोटिव कारखाना, सारण इंजीनियरिंग, रेल कोच फैक्ट्री भी यहां है. हालांकि शिक्षा और रोजगार के लिए बड़े शहरों की ओर पलायन यहां की आम समस्या है.
सीट का इतिहास
2008 के परिसीमन से पहले सारण लोकसभा सीट छपरा के नाम से जानी जाती थी. इस सीट से 1957 के चुनाव में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के राजेंद्र सिंह चुनाव जीते थे. 1962, 1967 और 1971 में कांग्रेस के राजशेखर प्रसाद सिंह यहां से चुनाव जीते थे. 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर लालू यादव यहां से सांसद बनकर दिल्ली पहुंचे. 1980 में जनता पार्टी के सत्यदेव सिंह और 1984 में कांग्रेस के योगेश्वर प्रसाद योगेश तथा 1985 में जनता पार्टी के राम बहादुर सिंह सांसद बने.
1989 में जनता दल के टिकट पर लालू यादव छपरा से लोकसभा चुनाव दोबारा जीते. 1991 में जनता दल के लाल बाबू राय यहां से सांसद बने. 1996 के चुनाव में बीजेपी ने राजीव प्रताप रुडी को मौका दिया. रुडी चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. इसके बाद 1998 में आरजेडी के हीरालाल राय जीते. 1999 के अटल लहर में रुडी जीतकर फिर संसद पहुंचे.
लेकिन 2004 में लालू यादव ने छपरा सीट से चुनाव लड़ा और रुडी को मात दी. 2008 में सारण नाम से इस सीट का परिसीमन हुआ. 2009 के चुनाव में भी लालू यादव यहां से जीते. चारा घोटाले में सजा हो जाने के बाद लालू के चुनाव लड़ने पर रोक लग गई और 2014 में राबड़ी देवी इस सीट से उतरीं. मोदी लहर में आरजेडी के सारे समीकरण फेल हो गए और चुनाव जीतकर फिर राजीव प्रताप रुडी संसद पहुंच गए.
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