हुगली नदी के तट पर बसा मुर्शिदाबाद मुगल काल में बंगाल की राजधानी के रूप में जाना जाता था. 1704 में औरंगजेब के दीवान मुर्शीद कली खान ने बंगाल की राजधानी को डाका यानी ढाका (अब बांग्लादेश की राजधानी) से स्थानांतरित कर यहां लाया था और इस शहर का नाम खुद के नाम पर मुर्शिदाबाद रखा था. 1716 में मुर्शीद कली खान को बंगाल सूबे के नवाब की उपाधि से नवाजा गया और इस तरह मुर्शिदाबाद बंगाल की राजधानी बनी. अंग्रेजों के भारत में आने तक मुर्शिदाबाद प्रशासन की कुछ प्रमुख संस्थाएं यहां बनी रहीं. बाद में वारेन हेस्टिंग ने 1772 में सुप्रीम सिविल कोर्ट और क्रिमिनल कोर्ट को मुर्शिदाबाद से उठाकर कलकत्ता ले गए. ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध मुर्शिदाबाद लोकसभा सीट पर आम तौर पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला रहा है. राज्य की सत्ता में रहने के बावजूद 2014 के चुनावों में इस सीट पर तृणमूल कांग्रेस का उम्मीदवार जीत नहीं पाया, जबकि पार्टी ने 34 सीटों पर शानदार जीत दर्ज की थी.
वामपंथ का गढ़, जहां कांग्रेस देती रही है चुनौती
मुर्शिदाबाद लोकसभा सीट पर 1952 में पहली लोकसभा के लिए हुए आम चुनाव में कांग्रेस के मुहम्मद खुदा बख्श ने जीत हासिल की थी. 1957 में भी कांग्रेस के टिकट पर मुहम्मद खुदा बख्श ही चुनाव जीते. इंडिपेंडेंट डेमोक्रेटिक पार्टी (इंडिया) के उम्मीदवार सईद बदरूद्दुजा ने 1962 और 1962 के आम चुनावों में लगातार जीते. 1971 में इंडियन युनियन मुस्लिम लीग के अबू तालेब चौधरी चुनकर संसद पहुंचे थे. लेकिन 15 मार्च 1972 को चौधरी का निधन हो गया जिसके बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस के मुहम्मद खुदा बख्स सांसद चुने गए.
आपातकाल के बाद 1977 में हुए आम चुनाव में जनता पार्टी के टिकट पर काजीम अली मिर्जा जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे. 1980,1984, 1989, 1991,1996 और 1998 के चुनावों में माकपा के सैयद मसूदल हुसैन लगातार चुनाव जीतते रहे. 1998 और 1999 में माकपा ने मोइनुल हसन को चुनाव मैदान में उतारा जिन्होंने दोनों बार जीत हासिल की. कांग्रेस के टिकट पर 2009 और 2004 के आम चुनावों में अब्दुल मन्नान हुसैन लोकसभा सदस्य चुने गए. अभी इस सीट पर माकपा का कब्जा है और बदरुद्दोज़ा खान सांसद हैं.
सामाजिक ताना-बाना
जनगणना 2011 के मुताबिक मुर्शिदाबाद लोकसभा क्षेत्र की कुल आबादी 23,15,730 है. इसमें 93.83% लोग गांवों में रहते हैं जबकि 6.17% फीसदी शहरी आबादी है. इस पूरी आबादी में अनुसूचित जाति और जनजाति का अनुपात क्रमशः 10.02 और 1.25 फीसदी है. मतदाता सूची 2017 के मुताबिक इस संसदीय क्षेत्र में 16,21,672 मतदाता हैं जो 1898 मतदाता केंद्रों पर वोटिंग करते हैं. 2014 के लोकसभा चुनावों में 85.22% लोगों ने मतदान में हिस्सा लिया था जबकि 2009 में यह आंकड़ा 88.14% था.
मुर्शिदाबाद की औसत साक्षारता दर 81.9 फीसदी है जो कि राष्ट्रीय औसत 74 फीसदी से अधिक है. यहां 86 फीसदी पुरुष साक्षर हैं जबकि महिलाओं में साक्षरता की दर 78 फीसदी है. मुर्शिदाबाद शहर में बंगाली मुस्लिमों की आबादी 75.09 फीसदी है जबकि हिन्दुओं की आबादी 23.8 फीसदी है. इस लोकसभा सीट के अंतर्गत सात विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें भगवानगोला, रानीनगर, मुर्शिदाबाद, हरिहरपाड़ा, दोमकल, जलांगी और करीमपुर शामिल हैं.
2014 का जनादेश
वर्ष 2014 के चुनावों में भले ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने देश के कई राज्यों में शानदार जीत हासिल की थी, लेकिन पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की लहर चली. तृणमूल कांग्रेस बंगाल में 34 सीटों पर जीतने में कामयाब रही, जबकि कांग्रेस को 4 सीटों, माकपा और बीजेपी को 2-2 सीटों पर जीत मिली थी. इसमें तृणमूल कांग्रेस को 39.05%, माकपा को 29.71%, बीजेपी को 16.80% और कांग्रेस को 9.58% वोट मिले थे. वोट प्रतिशत के मामले में दूसरे स्थान पर रहने के बावजूद माकपा सिर्फ दो सीटें ही जीत पाई. मुर्शिदाबाद से माकपा के उम्मीदवार बदरुद्दोज़ा खान चुने गए थे. मुर्शिदाबाद लोकसीट पर 2014 में आम चुनाव के दौरान बीजेपी चौथे स्थान पर रही. पश्चिम बंगाल में बढ़ते अपने मत प्रतिशत को देखते हुए बीजेपी राज्य में अपनी राजनीतिक हैसियत बढ़ाने के लिए पूरजोर कोशिश कर रही है.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
8 जनवरी 2019 के आंकड़े बताते हैं कि माकपा सांसद बदरुद्दोज़ा खान सदन की कार्यवाही के दौरान सदन में 88 फीसदी उपस्थित रहे. संसद की कार्यवाही के दौरान 358 सवाल पूछे जबकि 151 डिबेट में हिस्सा लिया. हालांकि इस दौरान उन्होंने कोई प्राइवेट मेंबर बिल पेश नहीं किया. मुर्शिदाबाद लोकसभा क्षेत्र के लिए 25 करोड़ रुपये निर्धारित हैं और विकास संबंधी कार्यों के लिए 12.50 करोड़ रुपये को मंजूरी दी गई. इमसें 67.53 फीसदी राशि का इस्तेमाल कर लिया गया है.