पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनावों में 100 से ज्यादा सीटों पर जीत और लोकसभा चुनाव 2014 में मत प्रतिशत बढ़ने से भारतीय जनता पार्टी उत्साहित है. उसने राज्य में 22 लोकसभा सीट जीतने का लक्ष्य रखा है. बीजेपी राज्य की जिन सीटों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, उनमें कृष्णानगर शामिल हैं. वैसे तो कृष्णानगर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) का गढ़ रहा है, लेकिन इस सीट पर बीजेपी भी एक बार अपना परचम लहरा चुकी है. 1999 के आम चुनावों में बीजेपी के उम्मीदवार सत्यव्रत मुखर्जी ने जीत हासिल की थी.
कृष्णानगर की गिनती पश्चिम बंगाल के उन क्षेत्रों में होती है, जो अपने सांस्कृतिक पहचान के लिए जाने जाते हैं. नादिया जिले में आने वाला कृष्णानगर जलांगी नदी के किनारे बसा हुआ है. कहा जाता है कि राजा कृष्णचंद्र राय (1728–1782) के नाम पर इस शहर का नाम कृष्णानगर पड़ा था. कुछ का कहना है कि राजा कृष्ण चंद्र राय श्रीकृष्ण के भक्त थे और इसीलिए उन्होंने इसका नाम कृष्णानगर रखा था. यही वजह है कि ऐतिहासिक होने की वजह से कृष्णानगर पर्यटकों को अपनी तरफ खींचता रहा है.
राजनीतिक पृष्टभूमिः माकपा के गढ़ में सेंधमारी
कृष्णानगर एक समय मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का गढ़ माना जाता था. यह सीट चौथे लोकसभा चुनाव यानी 1967 में अस्तित्व आई थी. तब से लेकर अब तक इस सीट पर 13 लोकसभा चुनाव हो चुके हैं और माकपा ने यहां से 9 बार जीत हासिल की है. 1967 में इस सीट पर पहली बार आम चुनाव हुआ था. उस दौरान निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतरे हरिपद चट्टोपध्याय ने जीत हासिल की थी. माकपा के टिकट पर चुनाव लड़ने वाली कृष्णपदा दास ने 1977, 1980 और 1984 तक लगातार लोकसभा सदस्य चुनी जाती रहीं. 1989 के चुनावों में माकपा के टिकट पर अजॉय मुखोपध्याय चुनाव मैदान में उतरे और सांसद चुने गए. वह 1991, 1996 और 1998 तक लोकसभा सदस्य चुने जाते रहे. लेकिन 1999 में ऐसा पहली बार हुआ कि इस सीट पर भगवा पार्टी परचम लहराने में कामयाबी रही थी. इस चुनाव में बीजेपी के सत्यव्रत सांसद चुने गए थे. 2004 के चुनावों में माकपा ने फिर वापसी की और पार्टी नेता ज्योतिर्मय सिकदर ने जीत हासिल की. लेकिन 2009 के चुनावों में तृणमूल कांग्रेस के तपस पॉल ने जीत हासिल की और 2014 में मोदी लहर के बावजूद वह अपनी जीच सुनिश्चित करने में कामयाब रहे.
सामाजिक ताना-बाना और विधानसभा सीटें
जनगणना 2011 के मुताबिक कृष्णानगर संसदीय सीट की आबादी 20,89,516 है. इसमें 87.34% आबादी गांवों में रहती है जबकि 12.66% लोग शहरों में रहते हैं. कृष्णानगर की कुल आबादी में अनुसूचित जाति और जनजाति का अनुपात क्रमशः 22.57 और 1.69 प्रतिशत का है. 2017 की मतगणना सूची बताती है कि इस लोकसभा सीट पर 15,51,663 मतदाता हैं जो 1800 मतदान केंद्रों पर मतदान करते हैं. 2014 के लोकसभा चुनावों में यहां 84.56% वोटिंग हुई थी जबकि 2009 में यह आंकड़ा 85.5% था. कृष्णानगर लोकसभा सीट के अंतर्गत सात विधानसभा सीटें आती हैं. इसमें तेहत्ता, पलासीपारा, कालीगंज, नक्क्षीपारा, छपरा, कृष्णानगर उत्तर, शांतिपुर और नवादीप शामिल हैं.
क्या कहता है 2014 का जनादेश
कृष्णानगर लोकसभा सीट पर 2014 के चुनावों में तृणमूल कांग्रेस, बीजेपी, माकपा और कांग्रेस को क्रमशः 35.16%, 26.4%, 29.45% और 5.99% वोट मिले थे जबकि 2009 के चुनावों में यह आंकड़ा क्रमशः 42.43%, 16.76%, 35.03% और 5.99% था. 2014 के चुनावों में तृणमूल कांग्रेस बंगाल में 34 सीटों पर जीतने में कामयाब रही, जबकि कांग्रेस को 4 सीटों, माकपा और बीजेपी को 2-2 सीटों पर जीत मिली थी. इसमें राज्य में तृणमूल कांग्रेस को 39.05%, माकपा को 29.71%, बीजेपी को 16.80% और कांग्रेस को 9.58% वोट मिले थे. वोट प्रतिशत के मामले में दूसरे स्थान पर रहने के बावजूद माकपा सिर्फ दो सीटें ही जीत पाई. कृष्णानगर से तृणमूल कांग्रेस के उम्मीदवार तपस पॉल चुने गए थे. पश्चिम बंगाल में बढ़ते जनाधार को देखते हुए बीजेपी राज्य में अपनी राजनीतिक हैसियत बढ़ाने के लिए पूरजोर कोशिश कर रही है.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
कृष्णानगर लोकसभा सीट से सांसद तृणमूल कांग्रेस के तपस पॉल सदन में 45% उपस्थित रहे और 8 डिबेट में शामिल हुए. तपस पॉल ने सदन की कार्यवाही के दौरान 7 सवाल पूछे लेकिन इस दौरान वह कोई प्राइवेट मेंबर बिल नहीं ला पाए. सांसद निधि के तहत इस सीट के लिए 25 करोड़ रुपये निर्धारित है. विकास संबंधी कार्यों के लिए 20 करोड़ रुपये मंजूर किए गए जिसमें 86.41 फीसदी फंड का इस्तेमाल हो चुका है.