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जासोल परिवार के कांग्रेस में शामिल होने से बाड़मेर में बदले समीकरण

राजस्थान की बाड़मेर संसदीय सीट पर इस बार के सियासी समीकरण बदले हुए हैं, मारवाड़ की राजनीति में खासा प्रभाव रखने वाला जसवंत सिंह जासोल परिवार अब कांग्रेस के साथ खड़ा है. जिसका नतीजा यह हुआ कि हाल में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने यहां की 8 सीटों में से 7 पर कब्जा कर लिया.

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और मानवेंद्र सिंह (फाइल फोटो-पीटीआई)
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और मानवेंद्र सिंह (फाइल फोटो-पीटीआई)

पांच राज्यों में विधानसभा चुनावों के सेमीफाइनल मुकाबले के बाद सिंहासन का फाइनल यानी लोकसभा चुनावों की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. चूंकि राजस्थान में विधानसभा चुनाव के कुछ महीने बाद ही देश में आम चुनाव होते हैं, इसलिए अक्सर देखा गया है कि इन चुनावों के नतीजों का असर लोकसभा चुनाव पर भी पड़ता है. हाल में संपन्न हुए चुनावों में कांग्रेस पार्टी ने बीजेपी को पटखनी तो दी है, लेकिन दोनों दलों के वोट प्रतिशत में महज .5 फीसदी का अंतर है. लिहाजा लोकसभा चुनाव दिल्चस्प होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं.

राजस्थान के विधानसभा चुनाव के दौरान राज्य की राजनीति खासकर मारवाड़ की राजनीति प्रभावित करने वाला अहम घटनाक्रम रहा बीजेपी संस्थापक सदस्य रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह जासोल के पुत्र मानवेंद्र सिंह का बीजेपी से इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल होना. जासोल परिवार का मारवाड़ की राजनीति खासा दबदबा रहा है. लेकिन साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बाड़मेर संसदीय सीट पर बीजेपी से टिकट न मिलने पर जसवंत सिंह निर्दलीय चुनाव लड़ने को मजबूर हुए तो वहीं पार्टी के टिकट पर कर्नल सोनाराम ने उन्हें पराजित कर दिया. मानवेंद्र सिंह बाड़मेर की शिव विधानसभा से विधायक थे लेकिन पार्टी में उचित सम्मान न मिलने का आरोप लगाते हुए इस्तीफा दे दिया.

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राजनीतिक पृष्ठभूमि

बाड़मेर लोकसभा सीट पर 1957 से हुए कुल 15 लोकसभा चुनाव में 9 बार कांग्रेस का कब्जा रहा, जबकि 2 बार बीजेपी, 1 बार निर्दलीय, 1 बार बीएलडी, 1 बार आरआरपी और 1 बार जनता दल ने इस सीट का प्रतिनिधित्व किया. कांग्रेस के टिकट पर कर्नल सोनाराम 1996-2004 तक लगातार तीन बार इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं. फिलहाल कर्नल सोनाराम चौधरी यहां से बीजेपी के सांसद हैं.

बाड़मेर लोकसभा क्षेत्र में बाड़मेर की 7-शिव, बाड़मेर, वायतू, पचपदरा, सिवाना, गुढ़ामालानी चौहटन और जैसलमेर विधानसभा सीट शामिल हैं. दिसंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में सिवाना सीट छोड़कर कांग्रेस ने सभी सीटों पर कब्जा जमाया. वहीं बीजेपी के मौजूदा सांसद कर्नल सोनाराम बाड़मेर सीट पर कांग्रेस विधायक मेवाराम जैन से 30000 मतों के भारी अंतर से पराजित हुए. जबकि 2013 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बाड़मेर छोड़ सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी.

सामाजिक ताना बाना

बाड़मेर संसदीय क्षेत्र संख्या 17 की बात करें तो यह सामान्य सीट है. इस लोकसभा में बाड़मेर की सात और जैसलमेर की एक विधानसभा शामिल हैं. साल 2011 की जनगणना के अनुसार यहां की आबादी 2970008 है जिसका 91.67 प्रतिशत ग्रामीण और 8.33 प्रतिशत हिस्सा शहरी है. जबकि कुल आबादी का 16.59 फीसदी अनुसूचित जाति और 6.77 फीसदी अनुसूचित जनजाति हैं. बाड़मेर लोकसभा सीट पर करीब 17 लाख मतदाताओं में से 3.5 लाख जाट, 2.5 लाख राजपूत, 4 लाख एससी-एसटी, 3 लाख अल्पसंख्यक और शेष अन्य जातियों के मतदाता हैं.

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वहीं 2014 लोकसभा चुनाव के आंकड़ो के मुताबिक बाड़मेर में 8,95,593 पुरुष और 7,81,989 महिला मतदाता हैं.

2014 का जनादेश

साल 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर 72.56 फीसदी मतदान हुआ था जिसमें बीजेपी को 40.09 और कांग्रेस को 18.12 फीसदी वोट पड़े थे. कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए कर्नल सोनाराम चौधरी ने निर्दलीय उम्मीदवार और पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह को 87,461 मतों से पराजित किया. बीजेपी के कर्नल सोनाराम को 4,88,747 और जसवंत सिंह को 4,01,286 वोट मिले थें. जबकि 2,20,881 मतों के साथ कांग्रेस सांसद हरीश चौधरी तीसरे स्थान पर रहे.

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

बाड़मेर सांसद कर्नल सोनाराम चौधरी बीजेपी के टिकट पर सांसद बनने से पहले तीन बार कांग्रेस के सांसद रह चुके हैं. राजनीति में आने से पहले सोनाराम चौधरी भारतीय सेना में 26 साल तक सेवा दे चुके हैं उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई जोधपुर से एमबीएम इंजिनियरिंग कॉलेज से पूरी की. साल 2014 के चुनावी हलफनामे के मुताबिक सोनाराम चौधरी के पास कुल 17.46 करो़ड़ रुपये की चल-अचल संपत्ति है.

16वीं लोकसभा में सोनाराम चौधरी के प्रदर्शन की बात करें तो संसद में उनकी मौजूदगी 95.95 फीसदी रही. इस दौरान उन्होंने कुल 367 सवाल पूछे और 41 बहसों में हिस्सा लिया. सांसद विकास निधि की बात करें तो कर्नल सोनाराम चौधरी ने कुल आवंटित 25 करोड़ रुपये में से 59.52 फीसदी यानी 14.88 करोड़ रुपये खर्च किए.

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