वायनाड नवसृजित लोकसभा क्षेत्र है जिसमें तीन जिलों-कोझिकोड, वायनाड और मलप्पुरम के सात विधानसभा क्षेत्रों को शामिल किया गया है. साल 2008 में परिसीमन के बाद यह लोकसभा क्षेत्र बना था और इसके लिए पहली बार 2009 में चुनाव हुए. पहले चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस कैंडिडेट एम.आई. शनावास जीते थे. उन्होंने अपने निकट्तम प्रतिद्वंद्वी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) कैंडिडेट एडवोकेट एम. रहमतुल्ला को 1,53,439 वोटों से हराया था. एमआई शनावास को कुल 4,10,703 वोट मिले थे.
साल 2014 में भी जीत के बाद शनावास ही सांसद बने थे, लेकिन पिछले साल नवंबर में शनावास के निधन के बाद से ही यह सीट खाली है. लेकिन कांग्रेस राज्य में जिन दो सीटों पर जीत को लेकर 100 फीसदी आश्वस्त है वे एर्णाकुलम और वायनाड ही हैं. इसके तहत आने वाले सात विधानसभा क्षेत्र इस प्रकार हैं- मनाथवाडी, कलपेट्टा, सुल्तान बथेरी, तिरुवमबाडी, निलम्बुर, वांडूर और एर्नाड.
एमआई शनावास केरल प्रदेश कांग्रेस के महासचिव थे. वह केरल स्टूडेंट्स यूनियन के माध्यम से राजनीति में आए थे और उन्होंने युवा कांग्रेस तथा सेवा दल के लिए भी काम किया था. वह केरल कांग्रेस के उन तीन वरिष्ठ नेताओं में से एक रहे हैं जिन्होंने बागी होकर एक अलग गुट बना लिया था. दो अन्य नेता थे-रमेश चेन्निथला और जी. कार्तिकेयन. साल 2014 के चुनाव की बात करें तो कांग्रेस कैंडिडेट एमआई शानवास को कुल 3,77,035 वोट मिले. उन्होंने अपने निकट्तम प्रतिद्वंद्वी सीपीआई कैंडिडेट पीआर सत्यन मुकरी को 20,870 वोटों से हराया था. मुकरी को कुल 3,56,165 मिले थे.
तीसरे स्थान पर रहे बीजेपी कैंडिडेट पी.आर. रासमिलनाथ को 80,752 वोट मिले थे. आम आदमी पार्टी के कैंडिडेट एडवोकेट पी.पी.ए सगीर को 10,684 वोट, बीएसपी कैंडिडेट वप्पन को 1317 वोट मिले थे. बीजेपी के वोट परसेंटेज में करीब 5 फीसदी की बढ़त हुई, जबकि सीपीआई के वोट परसेंटेज में करीब 8 फीसदी की बढ़त हुई. दूसरी तरफ, कांग्रेस के वोट परसेंटेज में करीब 9 फीसदी की गिरावट आई है. निर्दलीय उम्मीदवार पीवी अनवर को 37,123 वोट, एसडीपीआई कैंडिडेट जलील नीलम्बरा को 14,327 वोट मिले. नोटा बटन 10,735 लोगों ने दबाया.
वायनाड उत्तर केरल का एक जिला है जिसका मुख्यालय वायनाड शहर है. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक इस जिले की कुल जनसंख्या 8,17,420 है जिसमें से 4,01,684 पुरुष और 4,15,736 महिलाएं हैं. जिले का सेक्स रेश्यो 1035 है यानी प्रति हजार पुरुषों पर 1035 महिलाएं हैं. जिले की जनसंख्या में हिंदू 49.48 फीसदी और मुस्लिम 28.65 फीसदी हैं. जिले की साक्षरता दर 89.03 फीसदी है. लोगों की आमदनी का मुख्य स्रोत खेती ही है.
इस सीट पर कई दिग्गज कांग्रेसियों की नजर
स्थानीय सांसद शानवास के निधन की वजह से इस बार कांग्रेस के इस सुरक्षित सीट पर कई नेताओं की नजर है. मीडिया की खबरों के अनुसार इस बार कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक के. मुरलीधरन इस सीट से टिकट हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं. मुरलीधरन पहले भी तीन बार सांसद रह चुके हैं. हालांकि उनके विरोधी खेमे का कहना है कि वह 2016 में वट्टियूरकाउ विधानसभा सीट महज 7,622 वोटों से जीते थे. वह राज्य के मुख्यमंत्री रहे और दिग्गज नेता के. करुणाकरण के बेटे हैं. हालांकि टी. सिद्दीकी और शानिमोल उस्मान के नाम भी आगे चल रहे हैं. कांग्रेस के लिए बेहद इस सुरक्षित सीट पर केपीसीसी के पूर्व अध्यक्ष एमएम हसन की भी नजर है.
भारत धर्म जन सेना भी कतार में
दूसरी तरफ, भारत धर्म जन सेना ( BDJS) ने एनडीए से केरल की आठ सीटों पर दावेदारी की है, जिसमें से एक वायनाड भी है. बीडीजेएस तुषार वेल्लेप्पली के नेतृत्व वाली पार्टी है जिसका लक्ष्य खासकर एझावा और थिया समुदाय के कल्याण के लिए काम करना है. यह पार्टी सबरीमाला आंदोलन में काफी सक्रिय रही है.
संसद में सामान्य प्रदर्शन
शानवास का संसद में प्रदर्शन औसत ही रहा है. वे अपने पीछे पत्नी के अलावा एक बेटे और एक बेटी को छोड़ गए हैं. उन्होंने एर्णाकुलम से एमए एलएलबी की पढ़ाई की थी. संसद में उनकी उपस्थिति करीब 68 फीसदी रही. उन्होंने 232 सवाल पूछे और 46 बार बहसों और अन्य विधायी कार्यों में हिस्सा लिया. शानवास को पिछले पांच साल में सांसद निधि के तहत ब्याज सहित कुल 18.81 करोड़ रुपये मिले जिसमें से उन्होंने 15.84 करोड़ रुपये खर्च किए.