गठबंधन के मोर्चे पर यूपी के बाद अब पश्चिम बंगाल में भी कांग्रेस को झटका लगा है. यहां कांग्रेस की सीट बंटवारे को लेकर सीपीआई (एम) के नीत वाम मोर्चा के साथ बातचीत निर्णायक स्थिति में नहीं पहुंच पाई. इसके बाद कांग्रेस ने अकेले दम पर चुनाव मैदान में उतरने का फैसला लिया. बता दें कि बीजेपी के खिलाफ मोर्चाबंदी कर रही कांग्रेस पश्चिम बंगाल के अलावा भी कई राज्यों में गठबंधन करने में असफल रही है.
गठबंधन पर सोमेन मित्रा
रविवार शाम बंद कमरे में हुई पार्टी की बैठक के बाद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सोमेन मित्रा ने कहा, ‘हमारी पार्टी इकाई ने तय किया है कि वह अपने सम्मान के साथ समझौता कर कोई तालमेल या गठबंधन नहीं चाहती है. वाम हमारे ऊपर हुकुम नहीं चला सकता है कि कौन उम्मीदवार होगा और कौन नहीं? हम बंगाल में अकेले लड़ेंगे.’
दिलचस्प हुआ चुनावी ‘दंगल’
सीपीआई के राज्य सचिव सूर्यकांत मिश्रा ने कहा कि कांग्रेस की ओर से औपचारिक संदेश मिलने तक वह कोई टिप्पणी नहीं करेंगे. वाम मोर्चा ने आगे की रणनीति तय करने के लिए सोमवार को बैठक बुलाई है. रविवार को कांग्रेस के इस फैसले ने पश्चिम बंगाल में चुनावी मुकाबले को और दिलचस्प बना दिया है और तृणमूल कांग्रेस, बीजेपी, वाम मोर्चा और कांग्रेस के बीच चतुष्कोणीय मुकाबला होगा.
महागठबंधन से बनाई दूरी
गौरतलब है कि कोलकाता में हुई महागठबंधन की रैली में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा था कि जो पार्टी जिस राज्य में मजबूत है, वो वहां लड़े. उन्होंने साफ शब्दों में कहा था कि अगर यूपी में सपा-बसपा मजबूत है तो वो वहां लड़े, बिहार में आरजेडी मजबूत है तो वो वहां लड़े और कांग्रेस एमपी, राजस्थान छत्तीसगढ़ में मजबूत है तो वो वहां लड़े. दीदी का साफ इशारा था कि वे पश्चिम बंगाल में मजबूत हैं. लिहाजा अपने किले में वो किसी दूसरी पार्टी को सेंध लगाने नहीं देंगी. ममता की ये बात राज्य के कांग्रेस कैडर को पसंद नहीं आई थी. उसके बाद से ही कांग्रेस ने इस महागठबंधन से दूरी बना ली.