लोकसभा चुनाव के ज्यादातर एग्जिट पोल भले ही एनडीए को बहुमत दिखा रहे हों, लेकिन फाइनल रिजल्ट से पहले विपक्षी दलों के नेता एक दूसरे को साधने में जुट गए हैं. इस कड़ी में टीडीपी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू जहां उत्तर भारत के राजनीतिक दलों के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं तो वहीं एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने मंगलवार को यूपीए की ओर से वाईएसआर कांग्रेस के अध्यक्ष जगन मोहन रेड्डी से फोन पर बात करने की कोशिश की. हालांकि, हैरान करने वाली बात ये है कि जगन रेड्डी ने पवार से बात नहीं की.
माना जा रहा है कि आंध्र प्रदेश में अच्छा प्रदर्शन कर रहे जगन मोहन रेड्डी 23 मई को आने वाले नतीजों से पहले किसी भी दल के साथ खड़े नजर नहीं आना चाहते. रेड्डी नतीजों से पहले अपना पत्ता नहीं खोलना चाहते हैं. हालांकि, एग्जिट पोल में वाईएसआर कांग्रेस को टीडीपी से ज्यादा सीटें मिलने का अनुमान जताया गया है. ऐसे में कांग्रेस की कोशिश है कि जगन को अपने साथ लाया जाए.
कांग्रेस के साथ एनसीपी का गठबंधन है और यूपीए की ओर से ही शरद पवार जगन मोहन से फोन कर बात करना चाहते थे, लेकिन जगन इसके लिए तैयार नहीं हुए. ऐसा लग रहा है कि वे चुनाव नतीजे आने का इंतजार कर रहे हैं और तब तक किसी से बात करना नहीं चाहते हैं. बता दें कि टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने पिछले सप्ताह अपने दिल्ली दौरे पर शरद पवार से दो बार मुलाकात की थी.
बताया जा रहा है कि कांग्रेस की ओर से तीन नेताओं को साधने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. शरद पवार को जगन रेड्डी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर को साधने का जिम्मा दिया गया है. जगन के पिता और केसीआर दोनों से शरद पवार के नजदीकी रिश्ते रहे हैं, लेकिन कांग्रेस से उनके छत्तीस के आंकड़े हैं. इसीलिए कांग्रेस से इन दोनों नेताओं से बात करने की जिम्मेदारी पवार को सौंपी है.
जबकि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक को साथ लाने की जिम्मेदारी दी गई है. दोनों नेताओं का बचपन का कनेक्शन है और दोनों ही दून स्कूल में साथ पढ़े हुए हैं. इसी कनेक्शन के सहारे पटनायक को यूपीए के पक्ष में लाने की जिम्मेदारी कमलनाथ को दी गई है.
इन तीनों नेताओं को यूपीए के साथ लाने की कोशिश कितना रंग ला पाती है यह कहना अभी मुश्किल होगा. लेकिन जगन मोहन रेड्डी ने शरद पवार का फोन कॉल दरकिनार कर फिलहाल अपने इरादे जरूर जाहिर कर दिए हैं.