मध्य प्रदेश की मुरैना लोकसभा सीट बीजेपी का गढ़ मानी जाती है. मध्य प्रदेश में बीजेपी के जो मजबूत किले हैं उन्हीं में से एक मुरैना भी है. इस सीट पर बीजेपी पिछले 6 चुनावों से जीत हासिल करते आ रही है. कांग्रेस को आखिरी बार इस सीट पर जीत साल 1991 में मिली थी. फिलहाल बीजेपी के अनूप मिश्रा यहां के सांसद हैं. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के भांजे अनूप मिश्रा हाल ही में मध्य प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में भितरवार सीट से मैदान में उतरे थे. हालांकि उनको हार का सामना करना पड़ा था.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
मुरैना लोकसभा सीट 1967 में अस्तित्व में आई. यहां पर पहले चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार रहे आत्मदास ने जीत हासिल की थी. इसके अगले चुनाव में जनसंघ के हुकुमचंद विजयी रही. कांग्रेस का इस सीट पर खाता 1980 में खुला था. तब बाबूलाल सोलंकी ने यहां पर जीत हासिल की.
इसके अगले चुनाव में भी यहां पर कांग्रेस को जीत मिली. 1989 में इस सीट पर बीजेपी ने पहली बार जीत हासिल की. छविराम बीजेपी की ओर से जीत करने वाले यहां के पहले सांसद बने. हालांकि अगला चुनाव वह हार गए और कांग्रेस ने एक बार फिर इस सीट पर वापसी की.1991 के चुनाव में बरेलाल जाटव ने छविराम को हराया. 1996 में बीजेपी ने यहां से अशोक अर्गल को उतारा और वे कांग्रेस के डॉ. प्रीतम प्रसाद चौधरी को हराकर यहां के सांसद बने.
1996 के बाद से यह सीट बीजेपी के ही पास है. 1967 से 2004 तक यह सीट अनुसूचित जाति के उम्मीदवार के लिए आरक्षित थी, लेकिन 2009 में परिसीमन के बाद यह सीट सामान्य वर्ग के लिए हो गई. यहां के राजनीतिक इतिहास को देखें तो इस सीट पर ज्यादातर बीजेपी का ही कब्जा रहा है. यहां पर 7 बार बीजेपी तो 3 बार कांग्रेस को जीत मिली है.
मुरैना लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत विधानसभा की 8 सीटें आती हैं. माधवपुर, विजयपुर, सबलगढ़, जौरा, सुमावली, मुरैना, दिमनी, अंबाह यहां की विधानसभा सीटें हैं. यहां की 8 विधानसभा सीटों में से 7 पर कांग्रेस का कब्जा है, जबकि बीजेपी के खाते में सिर्फ एक सीट है.
सामाजिक तान-बाना
मुरैना का 50 प्रतिशत भाग खेती योग्य है. इस जिले का 42.94 प्रतिशत क्षेत्र सिंचित है. नहर इस क्षेत्र की सिंचाई का मुख्य साधन है. जिले की मुख्य फसल गेंहू है. सरसों का उत्पादन भी मुरैना में प्रचुर मात्रा में होता है. मुरैना कच्ची घानी के सरसों के तेल के लिये पूरे मध्य प्रदेश में जाना जाता है.2011 की जनगणना के मुताबिक इस जिले की जनसंख्या 2653831 है. यहां की 78.23 फीसदी ग्रामीण क्षेत्र और 21.77 फीसदी जनसंख्या शहरी क्षेत्र में रहती है.
मुरैना में 19.97 फीसदी अनुसूचित जाति के लोग और 6.73 फीसदी अनुसूचित जनजाति के लोग रहते हैं. चुनाव आयोग के 2014 के आंकड़े के मुताबिक साल 2014 में यहां पर कुल 1702492 मतदाता थे. इनमें से 938466 पुरूष और 764026 महिला मतदाता थे.2014 के आम चुनाव में यहां पर 50.18 फीसदी मतदान हुआ था. इस क्षेत्र में दलित और ठाकुर जाति के मतदाताओं की संख्या अच्छी खासी है. ब्राह्मण मतदाता भी यहां पर चुनाव में किसी भी उम्मीदवार की जीत में अहम भूमिका निभाते हैं.
2014 का जनादेश
2014 के लोकसभा चुनाव में अनूप मिश्रा ने बसपा के वृन्दावन सिंह सिकरवार को हराया था. इस चुनाव में अनूप मिश्रा को 375567 (43.96 फीसदी)वोट मिले थे तो वहीं वृन्दावन सिंह सिकरवार को 242586(28.4 फीसदी) वोट मिले थे. दोनों के बीच हार जीत का अंतर 132981 वोटों का था. बता दें कि वृन्दावन सिंह सिकरवार पहले कांग्रेस में थे, चुनाव से पहले उन्होंने बसपा का दामन थामा. वहीं कांग्रेस के डॉ.गोविंद इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रहे थे. उनको 184253(21.57 फीसदी) वोट मिले थे.
इससे पहले 2009 के चुनाव में भी बीजेपी को जीत मिली थी. नरेंद्र तोमर ने कांग्रेस के रामनिवास रावत को हराया था. तोमर को 300647(42.3 फीसदी) वोट मिले थे. वहीं रामनिवास को 199650(28.09 फीसदी) वोट मिले थे.दोनों के बीच हार जीत का अंतर 100997 वोटों का था. बसपा के बलवीर सिंह 19.99 फीसदी वोटों के साथ तीसरे स्थान पर थे.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
62 साल के अनूप मिश्रा पहली बार इस सीट से जीतकर सांसद बने. सांसद बनने से पहले उन्होंने 2008 - 2013 के दौरान पूर्वी ग्वालियर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. 2013 के चुनाव में अनूप मिश्रा ने अपना निर्वाचन क्षेत्र को बदल दिया. वे भितरवार सीट से चुनाव हार गए.
अनूप मिश्रा को उनके निर्वाचन क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए 22.50 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे. जो कि ब्याज की रकम मिलाकर 22.85 करोड़ हो गई थी. इसमें से उन्होंने 19.40 यानी मूल आवंटित फंड का 86.23 फीसदी खर्च किया. उनका करीब 3.44 करोड़ रुपये का फंड बिना खर्च किए रह गया. संसद में अनूप मिश्रा की उपस्थिति 46 फीसदी रही. इस दौरान उन्होंने संसद में 6 बहस में हिस्सा लिया. अनूप मिश्रा ने संसद में 274 सवाल भी किए.