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नालगोंडा: टीआरएस और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला, सीपीएम फंसा सकती है पेंच

तेलंगाना की नालगोंडा सीट पर रोचक मुकाबला होने के आसार हैं. टीआरएस ने इस बार VEMIREDDY NARASIMHA REDDY पर दांव लगाया है ज‍िन्हें कांग्रेस उम्मीदवार  UTTAM KUMAR REDDY NALAMADA से कड़ी टक्कर म‍िलने की उम्मीद है. बीजेपी ने GARLAPATI JITHENDRA KUMAR और सीपीएम ने MALLU LAXMI को मैदान में उतारा है.

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के. चंद्रशेखर राव (Photo: Facebook)
के. चंद्रशेखर राव (Photo: Facebook)

तेलंगाना की नालगोंडा सीट पर रोचक मुकाबला होने के आसार हैं. तेलंगाना राष्ट्र सम‍ित‍ि (टीआरएस) ने इस बार वेम‍िरेड्डी नरस‍िम्हा रेड्डी (VEMIREDDY NARASIMHA REDDY) पर दांव लगाया है ज‍िन्हें कांग्रेस उम्मीदवार  UTTAM KUMAR REDDY NALAMADA से कड़ी टक्कर म‍िलने की उम्मीद है. बीजेपी ने गर्लापत‍ि ज‍ितेंद्र कुमार (GARLAPATI JITHENDRA KUMAR) और सीपीएम ने MALLU LAXMI को मैदान में उतारा है. देखने वाली बात होगी क‍ि विधानसभा सीटों में व‍िपक्ष को करारी मात देने वाली टीआरएस 11 अप्रैल की वोट‍िंग में इस लोकसभा सीट को कांग्रेस से अपने कब्जे में ले पाती है या नहीं?

बता दें क‍ि तेलंगाना की सभी 17 सीटों पर 11 अप्रैल को पहले फेज में मतदान होना है. 10 मार्च को लोकसभा चुनाव 2019 की घोषणा होने के बाद देश,  चुनावी माहौल में आ गया है. 18 मार्च को इस सीट के ल‍िए नोट‍िफ‍िकेशन न‍िकला, 25 मार्च को नोम‍िनेशन की अंत‍िम तारीख, 26 मार्च को उम्मीदवारों की अंत‍िम ल‍िस्ट पर मुहर लगी. अब 11 अप्रैल के मतदान के ल‍िए सभी दलों ने अपनी ताकत झोंक दी है.  

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तेलंगाना राष्ट्र समिति सरकार की पिछले पांच सालों में दोनों हाथों से बांटी गई खैरात के सैलाब में विपक्षी पार्टियां इस तरह बह गई हैं कि इस चुनाव में उन्हें किनारा नजर नहीं आ रहा. देश के सबसे नए राज्य में एक नया राजनीतिक फार्मूला उभरा है. विकास, खैरात और  नेताओं की खरीद-फरोख्त. इसका र‍िजल्ट न‍िकल कर आ रहा है विपक्ष का सफाया. मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की लोकप्रियता के सामने टिकने वाला कोई दूसरा नेता राज्य में दूर-दूर तक दिखाई नहीं देता. विपक्षी पार्टियों के नेता भी दबी जुबान से इससे सहमत नजर आते हैं.

भाजपा यहां कमजोर जरूर रही है, पर नमो के अपने फैन हैं खासकर हैदराबाद के इलाके में. यहां कहा जाता है, 'दो ही शेर होता, इधर केसीआर, दिल्ली में मोदी.' पर क्योंकि उनके सामने दो में से एक ही शेर चुनने की मजबूरी है, तो उनकी पसंद साफ है. तेलंगाना के नतीजे भी शीशे की तरह साफ नजर आ रहे हैं बशर्ते वोट‍िंग से पहले देशी की राजनीत‍ि में कुछ उलट-फेर न हो जाए.

तेलंगाना की नालगोंडा (Nalgonda) लोकसभा सीट यहां के नालगोंडा जिले में स्थित है. नालगोंडा जिले की सीमा आंध्र प्रदेश की सीमा से लगती है. नालगोंडा तेलुगू दो शब्दों- Nalla और Konda से मिलकर बना है. Nalla का आशय है काली और Konda का आशय है पहाड़ी, यानी नालगोंडा का अर्थ होता है- कली पहाड़ी. पहले यहां का नाम नीलगिरी हुआ करता था जो यहां के राजपूत शासकों ने दिया था. तेलंगाना राज्य निर्माण के विद्रोह में इस जिले की अहम भूमिका रही है. नालगोंडाजिले से कई नदियां होकर बहती हैं, जिनमें कृष्णा नदी, Musi नदी, Dindi नदी आदि हैं. नालगोंडा लोकसभा सीट से कांग्रेस के गुथा सुकेंदर रेड्डी सांसद हैं.

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राजनीतिक पृष्ठभूमि

नालगोंडा लोकसभा सीट अपने अस्तित्व से लेकर अब तक कई दलों के पास रही है. सबसे ज्यादा बार यहां से लेफ्ट के नेता लोकसभा में पहुंचते रहे हैं. 16 लोकसभा चुनाव में से यहां छह बार सीपीआई और एक बार सीपीएम के सांसद चुने गए हैं. इसके बाद यहां से छह बार कांग्रेस को जीत मिली है. इनके अलावा एक बार तेलंगाना प्रजा समिति और दो बार तेलुगू देशम पार्टी के उम्मीदवारों को जीत मिली है. मौजूदा सांसद गुथा सुकेंदर रेड्डी इस सीट से तीसरी बार सांसद चुने गए हैं. वह यहां से वह पहली बार 1999 में सीपीआई के एस. सुधाकर रेड्डी को हराकर जीते थे. अगले चुनावों में सुधाकर रेड्डी ने उन्हें हराया था. इसके बाद 2009 और 2014 में सुकेंदर रेड्डी को ही जीत मिली.

सामाजिक ताना-बाना

2011 की जनगणना के अनुसार यहां की करीब 76 फीसदी आबादी ग्रामीण है तो करीब 24 फीसदी आबादी शहरी है. यहां पर अनुसूचित जाति की आबादी यहां की कुल आबादी की 17.55 फीसदी है तो अनुसूचित जनजाति की आबादी यहां की कुल आबादी का 15.36 फीसदी है. यह जिला देश के 250 सबसे पिछड़े और तेलंगाना के 9 सबसे पिछड़े जिलों में से एक है. नालगोंडा लोकसभा सीट में सात विधानसभा सीटें आती हैं. इनमें से देवरकोन्डा सीट ही अनुसूचित जनजाति के लिए सुरक्षित है, बाकी सीटें अनारक्षित हैं. 2018 में हुए विधानसभा चुनावों में छह सीटों से टीआरएस और एक सीट से कांग्रेस को जीत मिली थी. नलगोन्डा में पुरुषों के मुकाबले महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. इस लोकसभा सीट पर 7,47,281 पुरुष और 7,48,299 महिला यानी कुल 14,95,580 मतदाता हैं. यहां पर 2014 में हुए आम चुनावों में करीब 80 फीसदी मततादातओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था.

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2014 का जनादेश

2014 के लोकसभा चुनाव में गुथा सुकेंदर रेड्डी को 39.69 फीसदी यानी 4,72,093 वोट मिले थे. उन्होंने टीडीपी के टी. चिनप्पा रेड्डी को करीब 2 लाख वोटों के अंतर से मात दी थी. चिनप्पा रेड्डी को 23.45 फीसदी यानी 2,78,937 वोट मिले थे. तीसरे नंबर पर टीआरएस के डॉ. पी. राजेश्वर रेड्डी रहे थे, उन्हें 21.92 फीसदी यानी 2,60,677 वोट मिले थे. इससे पहले, 2009 के लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के गुथा सुकेंदर रेड्डी करीब 1.50 लाख वोटों के अंतर से जीते थे. दूसरे नंबर पर सीपीआई के एस. सुधाकर रेड्डी रहे थे.

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