केरल का यह संसदीय क्षेत्र कांग्रेस का गढ़ है. इस सीट पर 1962 में हुए पहले चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के आर. अच्युतन विजयी हुए थे. तब से अब तक इस सीट पर नौ बार कांग्रेस जीत चुकी है. यहां से पी.जे. कुरियन और रमेश चेन्नीथला जैसे दिग्गज कांग्रेस नेता सांसद रहे हैं. मावेलिकारा शहर अलप्पुझा जिले के दक्षिणी हिस्से में अचनकोवल नदी के तट पर स्थित है. इस शहर का काफी समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत है.
वामन देव की भूमि
मावेलिकारा नाम मवेली और करा शब्दों से बना लगता है. मवेली केरल के एक पौराणिक राजा का नाम है और करा का मतलब है भूमि. यह वही भूमि है जहां पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक महाबली ने वामन के सामने अपना सिर झुकाकर उस पर उन्हें अपना पैर रखने की पेशकश की थी. भगवान परशुराम ने केरल में 108 शिव मंदिरों का निर्माण कराया था, जिसमें से एक इस शहर में भी है. केरल की मावेलिकारा संसदीय क्षेत्र में सात विधानसभा क्षेत्र आते हैं-चंगनस्सेरी, कुट्टानाड, कुन्नाथुर, कोट्टारक्कारा, पंथानापुरम, चेंगन्नूर और मावेलिकारा.
कांग्रेस बनाम सीपीआई
साल 2014 के चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कोडिक्कुन्न्लि सुरेश 32,737 वोटों से जीते थे. उन्हें कुल 4,02,432 यानी 45.26 फीसदी वोट मिले. दूसरे स्थान पर रहे भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी यानी सीपीआई के चेंगारा सुरेंद्रन को 3,69,695 वोट मिले. तीसरे स्थान पर रहे बीजेपी के पी. सुधीर जिन्हें 79,743 वोट मिले. आम आदमी पार्टी के एन. सदानंदन को 7,753 और बीएसपी के एडवोकेट पी.के. जयकृष्णन को 3,603 वोट मिले. नोटा बटन 9,459 लोगों ने दबाया.
केरल का मावेलिकारा संसदीय क्षेत्र अलप्पुझा जिले के तहत आता है. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक इस जिले की जनसंख्या 21,27,789 थी, जिसमें से पुरुष 10,13,142 और महिलाएं 11,14,647 थे. इस जिले का सेक्स रेश्यो प्रति 1000 पुरुषों के मुकाबले 1100 स्त्रियों का था. जिले की साक्षरता दर 95.72 फीसदी है. लोगों की आमदनी का मुख्य स्रोत खेती है.
मावेलिकारा में साल 2014 के चुनाव में कुल 12,52,668 मतदाता थे. इनमें से 5,92,702 पुरुष मतदाता और 6,59,966 महिला मतदाता थे. इसमें अनुसूचित जाति के लोगों की संख्या 2,01,211 और अनुसूचित जनजाति के लोगों की संख्या 6,574 थी.
बाईपास की राजनीति
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस इलाके में एक जनसभा कर चुनाव अभियान को गति दे दी है. प्रधानमंत्री गत 15 जनवरी को गए तो थे कोल्लम बाईपास का उद्घाटन करने लेकिन उन्होंने कोल्लम, मावेलिकारा और अलप्पुझा के बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. उनकी सभा को इस रूप में देखा गया कि सबरीमाला आंदोलन से बने सरकार विरोधी लहर का फायदा उठा अपनी जड़ें मजबूत करने के लिए बीजेपी पूरी मेहनत कर रही है. इसके पहले 14 दिसंबर, 2018 को भी पीएम मोदी ने वीडियो काॅन्फ्रेंसिंग के जरिए अलप्पुझा, अट्टिंगल, अलप्पुझा, कोल्लम और पतनमथिट्टा के बीजेपी कार्यकर्ताओं से बात की थी. स्थानीय मीडिया में ऐसी चर्चा है कि कांग्रेस इस सीट से पूर्व मंत्री पंडालम सुधाकरण को उतार सकती है, जो इसी इलाके के रहने वाले हैं.
छठी बार सांसद
56 वर्षीय कोडिक्कुनील सुरेश छठी बार सांसद हैं. हालांकि संसद में उनका प्रदर्शन औसत ही रहा है. उनके परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटा और एक बेटी है. उन्होंने एलएलबी तक पढ़ाई की है और सामाजिक कार्यों खासकर दलितों-आदिवासियों के बीच समाज सेवा में अग्रणी रहे हैं. संसद में उनकी उपस्थिति 70 फीसदी रही है. पिछले पांच साल के कार्यकाल में उन्होंने 532 सवाल पूछे हैं और 97 बार बहसों और अन्य विधायी कार्यों में हिस्सा लिया है. उन्होंने 6 प्राइवेट मेंबर बिल पेश किए हैं. सांसद के. सुरेश को पिछले पांच साल में सांसद निधि के तहत ब्याज सहित 19.66 करोड़ रुपये मिले. इसमें से उन्होंने 14.51 करोड़ रुपये खर्च किए.