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गुजरात: क्या अमरेली लोकसभा सीट पर होगी कांग्रेस की वापसी?

नारनभाई कछाड़िया 2009 और 2014 में अमरेली सीट से सांसद निर्वाचित हुए हैं. उनका मौजूदा कार्यकाल काफी विवादास्पद भी रहा है. उन पर एक सरकारी डॉक्टर के साथ बदसलूकी का आरोप लगा था.

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2014 में बीजेपी ने जीती थी अमरेली सीट
2014 में बीजेपी ने जीती थी अमरेली सीट

गुजरात का अमरेली शहर एक नगरपालिका है और इस लोकसभा क्षेत्र पर लंबे वक्त से भारतीय जनता पार्टी का कब्जा रहा है. यह लोकसभा क्षेत्र अमरेली और भावनगर जिले के अंतर्गत आता है. इस सीट से 2014 का चुनाव नारनभाई कछाड़िया ने जीता था.

राजनीतिक पृष्ठभूमि

आजादी के बाद 1957 के लोकसभा चुनाव से लेकर 1984 तक सात बार यहां से कांग्रेस पार्टी को जीत मिली. लेकिन जनता दल ने 1989 में पहली बार अमरेली सीट से कांग्रेस को मात दी. इसके बाद लगातार बीजेपी यहां से जीतती रही और 1991, 1996, 1998 व 1999 यहां भगवा परचम लहराया. एनडीए सरकार के शाइनिंग इंडिया नारे के बावजूद 2004 में इस सीट पर बीजेपी को शिकस्त मिली और एक बार फिर लंबे वक्त बाद कांग्रेस की विजय हुई. इसके बाद 2009 और 2014 में फिर से बीजेपी को जीत मिली. 2014 में अमरेली सीट से नारनभाई कछाड़िया सांसद बने.

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सामाजिक ताना-बाना

2011 के जनगणना के मुताबिक, यहां की आबादी 20,80,631 है. इसमें 74.63% ग्रामीण और 25.37% शहरी आबादी है. यहां 7.63% अनुसूचित जाति और 0.41% अनुसूचित जनजाति की संख्या है. 2018 की वोटर लिस्ट के मुताबिक, यहां मतदाताओं की संख्या 15,99,024 है. अमरेली की करीब 93 फीसदी आबादा हिंदू है और सात फीसदी के करीब यहां मुसलमान रहते हैं.

अमरेली लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत सात विधानसभा सीट आती हैं. इनमें धारी, अमरेली, लाठी, सावरकुंडला, राजुला, महुवा, गरियाधार शामिल हैं. अमरेली जिले के अधीन आने वाली धारी, अमरेली, लाठी, सावरकुंडला और राजुला में 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को जीत मिली थी. जबकि भावनगर जिले के तहत आने वाली महुवा और गरियाधार से बीजेपी उम्मीदवार जीते थे.

2014 लोकसभा चुनाव का जनादेश

नारनभाई कछाड़िया, बीजेपी- 436,715 वोट (54%)

विरजी भाई ठुम्मर, कांग्रेस- 280,483 (35%)

2014 चुनाव का वोटिंग पैटर्न

कुल मतदाता- 1,486,286

पुरुष मतदाता- 7,77,662

महिला मतदाता-  7,08,624

मतदान-  8,08,816 (54.4%)

पुरुष मतदान- 58.84 %

महिला मतदान- 49.57 %

सांसद का रिपोर्ट कार्ड

63 साल के नारनभाई कछाड़िया 2009 और 2014 में अमरेली सीट से सांसद निर्वाचित हुए हैं. उनका मौजूदा कार्यकाल काफी विवादास्पद भी रहा है. एक सरकारी डॉक्टर के साथ बदसलूकी के आरोप में 2016 में उन्हें 3 साल की सजा सुनाई गई थी. हालांकि, बाद में गुजरात हाई कोर्ट ने निचली अदालत का फैसला रद्द कर दिया था. कछाड़िया के खिलाफ दलित डॉक्टर के साथ बदतमीजी के आरोप लगे थे, जिसके तहत उन पर एससी-एसटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था.

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नारनभाई कछाड़िया ने अपने कार्यकाल के दौरान जारी कुल धनराशि का लगभग 87.63 फीसदी खर्च किया है. उनकी निधि से अलग-अलग मद में कुल 25.71 करोड़ रुपये की राशि जारी हुई है, जिसमें 21.38 करोड़ रुपये खर्च कर दिया गया. यानी करीब 3.80 करोड़ रुपये उनकी निधि से खर्च नहीं हो सके.

नारनभाई की संपत्ति की बात की जाए तो एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक, उनके पास कुल साढ़े तीन करोड़ की संपत्ति की है. इसमें 67 लाख के करीब चल संपत्ति और 2 करोड़ 74 लाख की अचल संपत्ति शामिल है.

नारनभाई का संसद में प्रदर्शन औसत से अच्छा रहा है. संसद में उपस्थिति की बात की जाए तो उनकी मौजूदगी 92 फीसदी रही. जबकि गुजरात के सांसदों की औसत उपस्थिति 84 फीसदी है और देशभर के सांसदों का औसत 80 फीसदी है. वहीं, बहस में हिस्सा लेने के मामले में भी वह पीछे नहीं हैं और उन्होंने 128 डिबेट्स में हिस्सा लिया है. जबकि गुजरात के सांसदों का औसत 39.5 फीसदी ही है. सवाल पूछने के मामले में भी वह काफी आगे हैं और उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान 718 सवाल पूछे हैं, जबकि गुजरात के सांसदों का औसत 270 ही है और सवाल पूछने के मामले में देशभर के सांसदों का औसत 278 है. नारभाई एक बार प्राइवेट मेंबर बिल भी लाए हैं.

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नारनभाई कछाड़िया फेसबुक और ट्विटर का इस्तेमाल करते हैं. हालांकि, ट्विटर पर उनकी सक्रियता काफी कम रहती है. उन्होंने 2015 में ही ट्विटर ज्वाइन किया था और अब तक महज करीब 4 हजार ही ट्वीट उन्होंने किए हैं और उनके फॉलोअर्स की संख्या भी 2 हजार तक नहीं पहुंच सकी है. दूसरी तरफ फेसबुक पर वो एक्टिव नजर आते हैं. जहां वह वीडियो समेत अपनी पार्टी और पीएम मोदी से जुड़ी खबरें शेयर करते रहते हैं.

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