गया संसदीय सीट इस बार अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. लेकिन सीधी लड़ाई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) बनाम महागठबंधन की है. जीतन राम मांझी इस क्षेत्र के कद्दावर नेता हैं, जिन्हें महागठबंधन का समर्थन हासिल है. इस सीट के मौजूदा सांसद हरी मांझी हैं. एनडीए गठबंधन के चलते बीजेपी ने अपना उम्मीदवार यहां से नहीं खड़ा किया है.
एनडीए के समर्थन के साथ इस बार जनता दल (यूनाइटेड) की ओर से विजय कुमार मैदान में हैं.
इस बार नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी की ओर से दीन दयाल भारतीय चुनाव लड़ रहे हैं. बहुजन समाज पार्टी की और से दिलीप कुमार मैदान में हैं. हिंदुस्तान आवाम मोर्चा (सेक्यूलर) की ओर से जीतन राम मांझी मैदान में हैं. उमेश रजक पीपल्स पार्टी ऑफ इंडिया से चुनाव लड़ रहे हैं. भारतीय राष्ट्रीय मोर्चा की ओर से गिरिधर सपेरा चुनाव लड़ रहे हैं. दयानंदर राजवंशी मूलनिवासी समाज पार्टी की ओर से चुनाव लड़ रहे हैं.
पब्लिक मिशन पार्टी से प्रकाश चंद्रा मैदान में हैं. मौलिक अधिकार पार्टी से राकेश चौधरी चुनाव लड़ रहे हैं. आम जनता पार्टी राष्ट्रीय की ओर से राजेश कुमार पासवान चुनाव लड़ रहे हैं. विजय कुमार चौधरी, जनता दल राष्ट्रवादी के टिकट से मैदान में हैं. अंबेडकर पार्टी ऑफ इंडिया से शिवशंकर और भारत भ्रष्टाचार मिटाओ पार्टी से सुनील पासवान चुनाव लड़ रहे हैं. इस संसदीय सीट से कोई भी निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव नहीं लड़ रहा है.
गया संसदीय सीट के तहत विधानसभा की 6 सीटें आती हैं. शेरघाटी, बाराचट्टी, बोधगया, गया टाउन, बेलागंज और वजीरगंज. बाराचट्टी और बोधगया दोनों आरक्षित सीटें हैं. 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में इन 6 सीटों में से 3 सीटें आरजेडी जबकि 1-1 सीट बीजेपी-जेडीयू और कांग्रेस को मिली.
16वीं लोकसभा के लिए 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में गया सीट से बीजेपी के हरी मांझी को जीत मिली थी. हरी मांझी को 326230 वोट मिले थे, वहीं दूसरे नंबर पर रहे रामजी मांझी को 210726 वोट मिले. तीसरे नंबर पर जीतनराम मांझी रहे जो जेडीयू के टिकट पर चुनावी मैदान में थे. जीतनराम मांझी को 131828 वोट मिले थे. चौथे नंबर पर जेएमएम के अशोक कुमार रहे जिन्हें 36863 वोट मिले. हरी मांझी 2009 में भी इस सीट से जीतने में कामयाब रहे थे.
गया लोकसभा सीट पर वोटरों की कुल संख्या 1,329,192 है. 705,874 पुरुष मतदाता हैं, वहीं 623,318 महिला वोटर हैं.
आरक्षित सीट का समीकरण इस बार काफी अलग है. मोदी लहर पहले की तरह नहीं है और गठबंधन बनाम महागठबंधन की लड़ाई के चलते राजनीतिक विश्लेषक भी कुछ कहने से कतरा रहे हैं. यहां हुए आम चुनावों के इतिहास में 5 बार कांग्रेस इस सीट से जीतने में कामयाब रही है. 1989 से जनता दल लगातार तीन बार जीतने में कामयाब रही.
1998 और 1999 में यहां बीजेपी को जीत मिली. 2004 में आरजेडी के राजेश कुमार मांझी ने इस सीट को जीता. इसके बाद 2009 और 2014 के चुनाव में बीजेपी के हरी मांझी को जीत मिली. बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तान अवाम मोर्चा के प्रमुख जीतनराम मांझी गया से विधायक रहे हैं और लोकसभा का चुनाव भी लड़ चुके हैं.