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मध्य प्रदेश की VIP सीटों पर उम्मीदवारी को लेकर मुश्किल में बीजेपी

बीजेपी के समीकरण बिगाड़ने वाले और कोई नहीं बल्कि मामा यानी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, ताई यानी लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन और भाई यानी बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को माना जा रहा है.

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VIP सीटों पर फंसा पेच
VIP सीटों पर फंसा पेच

क्या मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान, सुमित्रा महाजन और कैलश विजयवर्गीय की सीट का सस्पेंस बीजेपी के लिए उलझन बन गया है? मौजूदा हालात में जिन तीन सीटों भोपाल, इंदौर और विदिशा के उम्मीदवारों का नाम होल्ड पर रखा गया ये तीनों बीजेपी की तीन दशक से कब्जे वाली सीटें हैं. तीन दिग्गजों ने इन तीनों सीटों पर बीजेपी के समीकरण बिगाड़ रखे हैं. लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी 29 में से 18 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान तो कर चुकी है लेकिन माथापच्ची इन्हीं तीन दमदार या यूं कहें कि बीजेपी का गढ़ मानी जानी वाली सीटों पर चल रही है.

इन सीटों पर बीजेपी के समीकरण बिगाड़ने वाले और कोई नहीं बल्कि मामा यानी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, ताई यानी लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन और भाई यानी बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को माना जा रहा है. ऐसे में मुख्यमंत्री कमलनाथ इस पर चुटकी लेते हुए कह रहे हैं कि बीजेपी के पसीने छूट रहे हैं. वह सलाह दे रहे हैं कि बीजेपी कैंडिडेट के लिए विज्ञापन निकाल ले. पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का पसीना उतर रहा है और अब इसके लिए कौन सा कैंडिडेट लड़ाएंगे इसका विज्ञापन निकाले तो शायद बीजेपी को उम्मीदवार मिल जाएगा.

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भोपाल से दिग्विजय का दांव

दरअसल, कांग्रेस जिन तीन सीटों के लिए बीजेपी पर मामा, ताई और भाई का तंज कस रही है उनमें भोपाल की बात करें तो कांग्रेस की तरफ से 10 साल मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह यहां से मैदान में हैं. इसलिए इस पर खींचतान दो नामों को लेकर है, मामा यानी शिवराज और भाई यानी कैलाश विजयवर्गीय. वहीं इंदौर से करीब 30 साल से चुनाव जीतती आईं ताई यानी सुमित्रा महाजन और तकरार भाई यानी कैलाश विजयवर्गीय के बीच में चल रही है. तो विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के चुनाव नहीं लड़ने के ऐलान के बाद अब विदिशा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की पत्नी साधना सिंह का पेच उलझा है.

यही वजह है कि तीनों सीटें अब तक बीजेपी तय नहीं कर पाई है कि किसको उतारा जाए. ऐसे में बीजेपी नेता गोपाल भार्गव का कहना है कि ताई, भाई और मामा लोकतंत्र का हिस्सा नहीं हैं, तीनों बीजेपी की परंपरागत सीटें हैं. हमारा उम्मीदवार कमल का फूल है, पार्टी बीजेपी और नेता सिर्फ नरेंद्र मोदी हैं. भार्गव ने कहा कि 'लोकतंत्र में मैं जहां तक मानता हूं कि कोई ताई कोई भाई कोई मामा नहीं होता है. भारतीय जनता पार्टी में व्यक्तियों का महत्व नहीं होता है कोई भी वहां से चुनाव लड़ेगा. तीनों ही बीजेपी की परंपरागत सीटें हैं करीब तीन दशक से यहां हम जीत रहे हैं, कोई भी चुनाव लड़ेगा, जीत हमारी होगी.

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बहरहाल, सियासी चर्चा में जो कुछ भी हो लेकिन बीजेपी बखूबी समझ रही है कि विधानसभा चुनाव में हार के बाद लोकसभा में 29 सीटों में से मौजूदा 26 सीटों पर का काबिज पार्टी के लिए इन सीटों को बचाए रखना बड़ी चुनौती है. सबसे बड़ी मुश्किल है कि पेच भी उन सीटों पर उलझ रहा है जो अब तक बीजेपी का गढ़ मानी जाती हैं. ऐसे में बीजेपी के ही दिग्गज नेताओं के बीच तकरार कहीं ना कहीं बीजेपी के गणित को बिगाड़ सकती है.

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