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कांग्रेस ने भरी हुंकार, सम्मानजनक सीटें नहीं तो UP की तर्ज पर बिहार में भी 'एकला चलो रे'

बिहार में पहले चरण के मतदान में अब 1 महीना से भी काम का वक्त बचा है. मगर अब तक महागठबंधन के घटक दल आरजेडी, कांग्रेस, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और अन्य वामपंथी दलों में सीटों को लेकर तालमेल नहीं हो पाया है.

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राहुल गांधी और तेजस्वी यादव (फाइल फोटो)
राहुल गांधी और तेजस्वी यादव (फाइल फोटो)

लोकसभा चुनाव को लेकर तारीखों का ऐलान हो चुका है. मगर बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर महागठबंधन का कौन उम्मीदवार होगा यह बात तो छोड़िए, अभी तो इस बात का फैसला भी नहीं हुआ है कि महागठबंधन के घटक दल कितनी-कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेंगे?

पहले चरण के मतदान में अब 1 महीने से भी काम का वक्त बचा है. मगर अब तक महागठबंधन के घटक दल आरजेडी, कांग्रेस, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और अन्य वामपंथी दलों में सीटों को लेकर तालमेल नहीं हो पाया है.

इसी बीच, सीटों के तालमेल को अंतिम रूप देने के लिए बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने बिहार महागठबंधन के नेताओं की अहम बैठक दिल्ली में बुलाई है. जिस में शिरकत करने के लिए आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के नेता जीतन राम मांझी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के नेता उपेंद्र कुशवाहा तथा विकासशील इंसान पार्टी के नेता मुकेश साहनी दिल्ली रवाना हो चुके हैं.

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दिलचस्प बात यह है कि महागठबंधन की अहम बैठक से पहले ही कांग्रेस और आरजेडी ने एक दूसरे पर दबाव की राजनीति बनाना शुरू कर दिया है. इस बैठक से पहले बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सदानंद सिंह ने एक बात साफ कर दी है कि अगर आरजेडी और कांग्रेस के बीच में सम्मानजनक समझौता नहीं होता है तो उत्तर प्रदेश की ही तरह बिहार में भी कांग्रेस एकला चलो रे की नीति अपना सकती है. सदानंद सिंह ने कहा है कि कांग्रेस को महागठबंधन में चुनाव लड़ने के लिए सम्मानजनक सीटें मिलनी ही चाहिए और प्रदेश कांग्रेस की इस मांग से उन्होंने पार्टी नेतृत्व को अवगत करा दिया है.

मंगलवार को सदानंद सिंह ने कहा कि पूरे देश में बीजेपी को टक्कर देने वाली पार्टी कांग्रेस है और पिछली बार से इस बार उनकी पार्टी ज्यादा मजबूत स्थिति में है. तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव की जीत के बाद कांग्रेस की स्थिति और मजबूत हुई है.

सदानंद सिंह ने कहा कि वह आशावान है कि आरजेडी के साथ सम्मानजनक सीटों का तालमेल होगा और अगर किसी वजह से नहीं होता है तो जिस तरीके से पार्टी नेतृत्व में उत्तर प्रदेश में निर्णय लिया है उसी प्रकार से दूसरे राज्य में भी निर्णय लेगी.

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गौरतलब है, 2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने आरजेडी के साथ गठबंधन में 12 सीटों पर चुनाव लड़ा था और इस बार भी पार्टी की मांग है कि उसे कम से कम इतनी ही सीटें लड़ने के लिए मिलनी ही चाहिए.

सूत्रों की मानें तो महागठबंधन में सीटों के तालमेल को लेकर फंसे पेंच को सुलझाने को लेकर एक फार्मूला सामने आया है जिसके अंतर्गत आरजेडी 18, कांग्रेस 12, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी 3, शरद यादव की पार्टी 1, विकासशील इंसान पार्टी 1 तथा बाकी पांच बची सीटों को जीतन राम मांझी और लेफ्ट में बांटा जा सकता है.

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