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2014 में बंगाल में कमल खिलाने वाले बाबुल सुप्रियो-आहलूवालिया की आज परीक्षा

2014 में मोदी लहर के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के सिर्फ दो नेता ही बंगाल में जीत पाए थे और इन दोनों ही सांसदों की किस्मत आज दांव पर है. बाबुस सुप्रियो अपनी पुरानी सीट आसनसोल से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि एसएस आहलूवालिया अपनी सीट बदलकर अब बर्धमान-दुर्गापुर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं. इन दोनों ही नेताओं के सामने अस्तित्व बचाने की चुनौती है.

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बाबुल सुप्रियो और एसएस आहलूवालिया
बाबुल सुप्रियो और एसएस आहलूवालिया

चौथे चरण के तहत आज लोकसभा की 72 सीटों पर मतदान हो रहा है. इनमें पश्चिम बंगाल की आठ सीटें शामिल हैं. 2014 में मोदी लहर के बावजूद भारतीय जनता पार्टी के सिर्फ दो नेता ही बंगाल में जीत पाए थे और इन दोनों ही सांसदों की किस्मत आज दांव पर है. बाबुल सुप्रियो अपनी पुरानी सीट आसनसोल से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि एसएस आहलूवालिया अपनी सीट बदलकर अब बर्धमान-दुर्गापुर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में हैं. इन दोनों ही नेताओं के सामने अस्तित्व बचाने की चुनौती है.

हालांकि, बीजेपी का बंगाल पर पूरा फोकस है और पार्टी बड़ी जीत की उम्मीद के साथ सभी 42 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इनमें से बेहरामपुर, कृष्णानगर, राणाघाट, बर्धमान पूर्व, बर्धमान-दुर्गापुर, आसनसोल, बोलपुर और बीरभूम लोकसभा क्षेत्रों में आज (29 अप्रैल) मतदान हो रहा है. आसनसोल सीट से बाबुल सुप्रियो चुनाव लड़ रहे हैं. बाबुल सुप्रियो ने पिछला लोकसभा चुनाव इसी सीट से जीता था. उन्होंने तृणमूल कांग्रेस प्रत्याशी डोला सेन को करीब 70 हजार मतों से हराया था.

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बाबुल सुप्रियो की यह जीत बहुत महत्वपूर्ण थी. ये पहला मौका था जब बीजेपी ने दार्जिलिंग सीट के अलावा बंगाल में किसी लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की थी. इस बड़ी जीत का इनाम भी बाबुल सुप्रियो को दिया गया और मोदी कैबिनेट में उन्हें मंत्री बनाया गया. सुप्रियो की तरह मोदी के मंत्रिमंडल में बंगाल के दूसरे सांसद को भी जगह दी गई, जिनका नाम है एसएस आहलूवालिया.

एसएस आहलूवालिया ने 2014 में दार्जिलिंग लोकसभा सीट से चुनाव जीता था. मोदी लहर में गोरखा जनमुक्ति मोर्चा (गोजमुमो) के समर्थन से आहलूवालिया ने बीजेपी के टिकट पर 4,88,257 वोट पाते हुए अपने प्रतिद्वंदी व तृणमूल कांग्रेस के स्टार प्रत्याशी बाइचूंग भूटिया (2,91,018) को हराया था. आहलूवालिया को इस जीत के बाद मोदी सरकार में जिम्मेदारी दी गई. लेकिन मौजूदा चुनाव में उनका क्षेत्र बदल दिया गया है और वो बर्धमान-दुर्गापुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां आज वोटिंग हो रही है.

बंगाल की राजनीति में अपनी जड़ जमाने का भरसक प्रयास कर रही बीजेपी का इतिहास भी काफी दिलचस्प है. 1999 में दो सीटें जीतने वाली बीजेपी को शाइनिंग इंडिया के नारे के बावजूद 2004 के लोकसभा चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली थी. इसके बाद 2009 में पार्टी ने दार्जिलिंग के रूप में महज एक सीट पर जीत पाई और 2014 में मोदी लहर के बावजूद यह आंकड़ा सिर्फ दो तक ही पहुंच पाया. हालांकि, मौजूदा चुनाव में बीजेपी बीस से ज्यादा सीटों पर जीत के दावे कर रही है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने बंगाल में पूरी ताकत झोंक रखी है. ऐसे में बंगाल की राजनीतिक जमीन मजबूत बनाने में जुटी बीजेपी के लिए ममता बनर्जी के गढ़ में सेंध लगाना ही नहीं, बल्कि दोनों मौजूदा सांसदों के सामने भी अपनी जीत बरकरार रखने की चुनौती है.

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