असम की लखीमपुर सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी प्रत्याशी सर्वानंद सोनोवाल ने जीत दर्ज की थी. लेकिन 2016 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद उन्हें बीजेपी हाईकमान ने राज्य का मुख्यमंत्री बनाया. इसके चलते उन्हें यह सीट छोड़नी पड़ी. इसके बाद हुए उपचुनाव में भी बीजेपी प्रत्याशी प्रधान बरुआ ने जीत दर्ज की. लखीमपुर संसदीय सीट में 9 विधानसभा सीटें हैं जिनमें से 5 पर बीजेपी का कब्जा है.
राजनीतिक पृष्ठभूमि
1967 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. अगले दो चुनावों यानि 1971 और 77 के चुनाव में भी कांग्रेस प्रत्याशियों ने यहां से जीत दर्ज की. 1984 में असम गण परिषद ने यहां से विजय हासिल की. इसके बाद फिर कांग्रेस ने अगल चार चुनावों में इस सीट पर कब्जा बरकरार रखा. 1999 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रानी नाराह ने सर्वानंद सोनोवाल को 54 हजार 523 मतों से हराया था. सोनोवाल ने ये चुनाव असम गण परिषद के टिकट से लड़ा था. 2004 का चुनाव एजीपी प्रत्याशी अरुण कुमार सरमाह ने जीता. 2009 के चुनाव में कांग्रेस ने एक बार फिर रानी नाराह को टिकट दिया. रानी पार्टी के भरोसे पर फिर खरी उतरीं. उन्होंने तीसरी बार संसद का रुख किया. इसके बाद 2014 में बीजेपी प्रत्याशी सर्वानंद सोनोवाल को बंपर जीत मिली. भारी मतों से मिली जीत का उन्हें बड़ा ईनाम मिला. सोनोवाल को मोदी सरकार ने अपने मंत्रिमंडल में शामिल किया.
विधानसभा सीटें
लखीमपुर संसदीय सीट पर कुल 9 विधानसभा सीटें हैं.
मजुली (एसटी)- BJP
धकुआखाना (एसटी)- BJP
धेमजी (एसटी)- BJP
जोनई (एसटी)- निर्दलीय
छबुआ - BJP
डुमडुमा- कांग्रेस
सदिया - BJP
लखीमपुर - AGP
नाओबोइचा - AIUDF
सामाजिक ताना-बाना
असम की लखीमपुर संसदीय सीट में 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या 24 लाख 22 हजार 695 है. इसमें 92 फीसदी से अधिक आबादी ग्रामीण और 7 फीसदी से अधिक आबादी शहरी इलाकों में रहती है. यहां 6.57 फीसदी आबादी एससी और 27.5 फीसदी आबादी एसटी है. 2014 में इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 14 लाख 31 हजार 80 थी. इसमें पुरुषों की संख्या 7 लाख 35 हजार 340 और महिलाओं की संख्या 6 लाख 95 हजार 740 थी. 2018 की वोटर लिस्ट के मुताबिक यहां 16 लाख 21 हजार 647 मतदाता हैं.
एसटी हैं गेमचेंजर
इस सीट पर एसटी समुदाय गेम चेंजर साबित होता है. यहां इनकी आबादी 25 फीसदी से भी ज्यादा है.
2014 का जनादेश
16वें लोकसभा चुनाव यानि 2014 में बीजेपी के टिकट पर सर्वानंद सोनोवाल चुनाव लड़े. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी रानी नाराह को भारी-भरकम 2 लाख 92 हजार 138 मतों से हरा दिया.
उपचुनाव में भी बीजेपी का डंका
2016 में हुए विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री के रूप में सोनोवाल को फिर से असम लौटना पड़ा. इसके चलते लखीमपुर सीट खाली हो गई. इस सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी प्रधान बरुआ ने कांग्रेस प्रत्याशी हेमा हरि प्रसन्ना को 1 लाख 90 हजार 219 मतों से हराया. 2009 के लोकसभा चुनाव में यहां 68.35 फीसदी वोटिंग हुई जो 2014 में बढ़कर 77.75 फीसदी हो गई.
सांसद का रिपोर्ट कार्ड
54 वर्षीय बीजेपी सांसद प्रधान बरुआ डिब्रूगढ़ पॉलिटेक्निक कॉलेज से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कोर्स किए हुए हैं. किसानों के लिए ये काफी काम करते हैं. संसद में इनकी उपस्थिति 87 दिन रही है. इन्होंने महज 1 सवाल पूछा है. अब तक इन्होंने एक भी बहस में हिस्सा नहीं लिया है. सांसद निधि में से 15.16 करोड़ रुपये प्रधान बरुआ खर्च कर चुके हैं.