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राजस्थान में टिकटों पर 'परिवार राज', पचास फीसदी सीटों पर नेताओं के बेटे-बेटियों की दावेदारी

राजस्थान की 25 में से 15 लोकसभा सीट ऐसी हैं, जहां किसी न किसी नेता के बेटे, बेटियां या बहू संभावित उम्मीदवारों की कतार में सबसे आगे हैं. इनमें मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत का नाम भी है. जबकि पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के बेटे और मौजूदा सांसद दुष्यंत को भी एक बार फिर मौका मिलना तय माना जा रहा है.

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अशोक गहलोत के बेटे लड़ सकते हैं चुनाव, वसुंधरा के बेटे को फिर मिल सकता है मौका
अशोक गहलोत के बेटे लड़ सकते हैं चुनाव, वसुंधरा के बेटे को फिर मिल सकता है मौका

राजनीति में युवाओं व महिलाओं की भागीदारी की बात सभी राजनीतिक दल करते हैं, लेकिन जब टिकट बंटवारे का वक्त आता है तो नेताओं की नजर अपने परिवार तक ही सीमित रह जाती है. आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर राजस्थान में भी ऐसी ही तस्वीर उभरती दिखाई दे रही है. प्रदेश की कुल 25 लोकसभा सीटों पर करीब 15 ऐसे संभावित उम्मीदवार हैं, जो बड़े नेताओं के परिवार से सीधे ताल्लुक रखते हैं.

राजस्थान में नेताओं के बेटे, बेटियां और बहू के रूप में करीब 15 उम्मीदवार बनने जा रहे हैं. इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने वाले नेता पुत्रों में सबसे ज्यादा चर्चित नाम मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत का है. कहा जा रहा है कि वह अपने पिता की परंपरागत सीट जोधपुर या जालौर सिरोही से कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा उम्मीदवार बन सकते हैं. वैभव गहलोत का मानना है कि हम 2009 से इंतजार कर रहे हैं, राजनीति में सक्रिय भी हैं लेकिन पिताजी की वजह से मौका नहीं मिला सका है. मौजूदा मुख्यमंत्री के बेटे को टिकट का इंतजार है तो पूर्व सीएम के बेटे का चुनाव लड़ना एक बार फिर तय माना जा रहा है.

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वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत

राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत सिंह अपनी मां की परंपरागत सीट बारां-झालावाड़ से सांसद हैं और इस बार भी बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं. धौलपुर के पूर्व राजघराने से आने वाले दुष्यंत सिंह ग्वालियर से लगती हुई झालावाड़ की सीट पर अपनी मां की बदौलत राजनीति करते हैं. जब भी बेटे पर संकट आता है मां थामने के लिए पहुंच जाती हैं. इस बार भी विधानसभा चुनाव हारने के बाद वसुंधरा राजे अपने बेटे को जी जान से जिताने के लिए बारां-झालावाड़ में डेरा डाले हुए हैं क्योंकि विधानसभा चुनाव में बारां जिले में बीजेपी का सूपड़ा साफ हो गया था.

इसी तरह से बीजेपी के पूर्व सांसद और पंजाब के राज्यपाल बीपी सिंह अपने बेटे अभिजीत सिंह को अपनी परंपरागत सीट भीलवाड़ा से चुनाव मैदान में उतारना चाहते हैं. बीपी सिंह अपने बेटे अभिजीत सिंह के लिए दिल्ली में जबरदस्त कोशिश कर रहे हैं. बीजेपी के ही सांसद राम कस्वा के बेटे राहुल कसवा भी चूरू से एक बार फिर से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं. जयपुर लोकसभा क्षेत्र से पूर्व सांसद गिरधारी लाल भार्गव के बेटे मनोज भार्गव  बीजेपी का टिकट मांग रहे हैं.

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मानवेंद्र सिंह भी कतार में

बीजेपी के संस्थापकों में रहे जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह जैसलमेर-बाड़मेर सीट पर कांग्रेस से टिकट मांग रहे हैं. जबकि खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री परसादी लाल मीणा के बेटे कमल मीणा दौसा लोकसभा सीट से कांग्रेस का टिकट मांग रहे हैं.

बारां-झालावाड़ सीट पर मंत्री प्रमोद जैन भाया की पत्नी उर्मिला जैन को कांग्रेस टिकट देने जा रही है. कांग्रेस के बड़े जाट नेता रहे शीशराम ओला की बहू और कांग्रेस के विधायक बृजेंद्र ओला की पत्नी राजबाला ओला को कांग्रेस झुंझुनू लोकसभा सीट से मैदान में उतार रही है. इसी तरह से कांग्रेस की राजनीति में दबदबा रखने वाले मिर्धा परिवार से आने वाली ज्योति मिर्धा अपने दादा नाथूराम मीर्धा की विरासत संभालने के लिए फिर से नागौर लोकसभा सीट पर अपनी किस्मत आजमाने जा रही हैं.

हालांकि, अभी तक राजस्थान में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों के उम्मीदवारों की लिस्ट जारी नहीं हुई है. लेकिन जो संभावित नाम कतार में आगे चल रहे हैं, उनमें राज्य के बड़े नेताओं के परिवार से आने वालों का दबदबा है.

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