उत्तर प्रदेश के उपचुनाव में बीजेपी की हार और उन्नाव रेप मामले से सीएम योगी आदित्यनाथ की छवि को गहरा झटका लगा है. गुजरात और त्रिपुरा में जीत का श्रेय पाने वाले योगी आदित्यनाथ को कर्नाटक चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में उतारा जा रहा है. जबकि पहले माना जा रहा था कि उन्हें शुरू से ही चुनावी रण में उतारा जाएगा, पर अब पार्टी ने रणनीति में बदलाव किया है. 3 मई के बाद से योगी कर्नाटक में झोंकेंगे अपनी ताकत.
गोरखपुर और फूलपुर के उपचुनाव की हार ने योगी को इस कदर हिला दिया कि गुजरात और त्रिपुरा में जीत का श्रेय लेने वाले योगी ने कर्नाटक चुनाव प्रचार से तौबा ही कर लिया. कर्नाटक चुनाव अपने पूरे उफान पर है. कांग्रेस और बीजेपी ने अपने दिग्गजों को मैदान में उतार दिया है. राज्य में बीजेपी मोदी-शाह के बाद तीसरे सबसे बड़े स्टार प्रचारक के तौर पर पहचान बना चुके योगी आदित्यनाथ की करीब 10 मई तक 25 रैलियां कराने का पार्टी ने प्लान बनाया है.
योगी कर्नाटक में 10 दिन धुंआधार चुनाव प्रचार करेंगे. 3 मई से लेकर चुनाव प्रचार के आखिरी दिन 10 मई तक 25 रैलियां संबोधित करेंगे.
बता दें किउपचुनाव में करारी शिकस्त मिली तो जब तक योगी इस झटके से उबरते तब तक उन्नाव रेप कांड सामने आकर खड़ा हो गया. बताया जा रहा है कि कठुआ रेप कांड और उन्नाव रेप कांड के देशभर में चर्चित होने के बाद योगी सरकार इससे जूझती नजर आई. बीजेपी ने योगी की सेवाएं कर्नाटक चुनाव में तब तक ना लेने की कोशिश की जब तक उन्नाव मामले पर विधायक पर कोई आखिरी फैसला न हो जाए.
उन्नाव के आरोपी विधायक कुलदीप सेंगर अब जब जेल भेजे जा चुके हैं सीबीआई पूरे मामले की जांच कर रही है और योगी आदित्यनाथ जनता के बीच अपनी पैठ जमाने में जुटे हैं. ऐसी स्थिति में उन्हें अब पार्टी दोबारा कर्नाटक भेजने की तैयारी कर रही है.
गोरखपुर उपचुनाव के तुरंत बाद सिद्धरमैया ने अपने ट्वीट के जरिए योगी आदित्यनाथ पर जमकर निशाना साधा था. योगी ने इसका जवाब राज्यसभा में गठबन्धन के बसपा उम्मीदवार को हराने के बाद दिया था. यूपी के उपचुनाव के पहले कर्नाटक में स्टार प्रचारक की भूमिका निभाने वाले योगी सरकार की डिमांड भी कम हो गई साथ ही पार्टी ने भी उन्हें कर्नाटक से दूर रखा.
इस बीच लिंगायत को अलग धर्म का दर्जा दिए जाने के बावजूद योगी आदित्यनाथ ने उसका जबाब लखनऊ से दिया लेकिन कर्नाटक नहीं गए. माना जा रहा है पार्टी ने जानबूझकर योगी आदित्यनाथ को कर्नाटक चुनाव से दूर रखा ताकि योगी पर होने वाले हमले कम हो और पार्टी उसके जवाब देने से बच सकें.
अब चुनाव प्रचार के आखिरी दिनों में योगी आदित्यनाथ एक बार फिर कर्नाटक में अपनी ताकत दिखाएंगे लेकिन उनका यह चुनाव प्रचार इतना चर्चित न हो जितना गोरखपुर हार के पहले था.