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कर्नाटक के चुनावी रण में कांग्रेस आजमा रही है 3 सूत्री रणनीति

यात्रा का ये फंडा राहुल के लिए सबसे पहले उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान छोटे पैमाने पर शुरू किया गया था. फिर गुजरात में पूरी तैयारी और रणनीति के साथ ‘नवसर्जन यात्रा’  में पूरी ताकत झोंकी गई. गुजरात में नतीजे अच्छे सामने आए तो कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कर्नाटक के लिए भी प्रचार की ऐसी ही रणनीति का आग्रह किया.

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कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल फोटो)
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी (फाइल फोटो)

कर्नाटक का चुनावी रण कांग्रेस और बीजेपी के लिए ना सिर्फ 2019 लोकसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल है बल्कि दोनों पार्टियों के लिए अपनी कई रणनीतियों को आजमाने की प्रयोगशाला भी बन गया है. कांग्रेस कर्नाटक के मैदान में तीन प्रमुख रणनीतियों को आजमाने जा रही है जिन पर पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी की मुहर लगी हुई है.

1.  यात्रा एक, लक्ष्य अनेक  

गुजरात में ‘नवसर्जन यात्रा’की कामयाबी के बाद कर्नाटक में भी पार्टी का फोकस राहुल गांधी की ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ पर रहा है. चुनाव प्रचार के लिए इस यात्रा में राहुल बस पर राज्य से पार्टी के सभी अहम नेताओं को साथ लेकर लोगों से संपर्क के लिए निकलते हैं. इससे जहां नेताओं के आपसी मतभेदों के सतह पर आने की गुंजाइश नहीं रहती वहीं लोगों में भी पार्टी के एकजुट होने का संदेश जाता है.  

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यात्रा का ये फंडा राहुल के लिए सबसे पहले उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान छोटे पैमाने पर शुरू किया गया था. फिर गुजरात में पूरी तैयारी और रणनीति के साथ ‘नवसर्जन यात्रा’  में पूरी ताकत झोंकी गई. गुजरात में नतीजे अच्छे सामने आए तो कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कर्नाटक के लिए भी प्रचार की ऐसी ही रणनीति का आग्रह किया. फिर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ही कर्नाटक के हर वर्ग के लोगों तक पहुंचने के लिए ‘जन आशीर्वाद यात्रा’ का विचार दिया.   

यात्रा ने नेताओं और कार्यकर्ताओं के बीच दूरी को पाटने का भी काम किया. साथ ही अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचने के लक्ष्य को भी काफी हद तक पूरा किया. इसके अलावा उम्मीदवारों को भी अपने विशिष्ट कैम्पेन के लिए प्लेटफॉर्म मिला.   

2.  कार्यकर्ता ही ‘किंग’

राहुल गांधी ने जब से अध्यक्ष के तौर पर पार्टी की कमान संभाली है, उनका संदेश साफ रहा है- कार्यकर्ता ही अब किंग है. राहुल ने कर्नाटक में अब तक के कैम्पेन के दौरान कार्यकर्ताओं से ज्यादा से ज्यादा संवाद किया और उन्हें प्रचार की रणनीति से भी जोड़ा. कई कार्यकर्ताओं को पार्टी टिकट भी दिए गए. 14 सिटिंग विधायकों के टिकट काटे गए. वहीं रिश्तेदारों के लिए टिकट मांगने वाले कांग्रेस नेताओं को भी पार्टी आलाकमान से ठंडा रिस्पॉन्स मिला.  

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कर्नाटक के लिए कांग्रेस के महासचिव इंचार्ज के सी वेणुगोपाल ने इंडिया टुडे से कहा, ‘राहुल गांधी का पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए संदेश अहम है. कर्नाटक के लिए टिकट वितरण सामूहिक कोशिश का नतीजा है और पार्टी कैडर के लिए बड़ा प्रोत्साहन है.’   

3.  क्षेत्रीय नेतृत्व को महत्व

गुजरात की तरह कर्नाटक मे भी क्षेत्रीय नेतृत्व को खासा महत्व दिया गया. राहुल गांधी के नेतृत्व में और सिद्धारमैया की सलाह से ब्लॉक-डिस्ट्रिक्ट से लेकर राज्य स्तर पर सभी नेताओं को चुनाव प्रक्रिया से जोड़ा गया.

कई राज्यों में पार्टी नेतृत्व में बदलाव के बाद कांग्रेस नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी यही चाहते हैं कि पार्टी के केंद्रीय नेता और राज्य स्तर के नेता कंधे से कंधा मिला कर साथ चलें. इसके अलावा पार्टी नेता और कार्यकर्ता निजी स्तर पर भी लोगों से संपर्क बढाएं.

सूत्रों के मुताबिक आगे भी जिन राज्यों में चुनाव होने हैं वहां के नेता भी राहुल के यात्रा मॉडल को दोहराने के बड़े इच्छुक हैं. कार्यकर्ताओं और क्षेत्रीय चेहरों को प्राथमिकता देने के पीछे यही संदेश देने की कवायद है कि राहुल की कांग्रेस पहले की कांग्रेस से अलग है.

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