झारखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी की नैया एक बार फिर पार लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज यानी सोमवार को अपनी चुनावी रैली का आगाज करेंगे. पीएम मोदी झारखंड के पलामू और गुमला के जरिए आदिवासी समुदाय को साधने की कवायद करेंगे. बीजेपी ने पीएम की इन दोनों रैलियों के जरिए पहले चरण की 13 विधानससभा पर कमल खिलाने की रणनीति बनाई है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहली जनसभा डालटनगंज विधानसभा क्षेत्र के मेदिनीनगर (पलामू जिला मुख्यालय) के चियांकी हवाई अड्डा मैदान में करेंगे. जबकि दूसरी चुनावी रैली दोपहर 1:20 बजे गुमला के फुग्गू पक्का हवाई अड्डा मैदान में करेंगे. इन दोनों सीटों पर आदिवासी समुदाय ही जीत-हार तय करते हैं.
डालटनगंज का सियासी समीकरण
डालटनगंज विधानसभा सीट पलामु जिले के तहत आती है. अंग्रेज कमिश्नर कर्नल डालटन के नाम पर यहां का नाम डालटनगंज पड़ा. कोयल नदी के तट पर बसा डालटनगंज शहर का नाम बाद में चेरो राजा मेदनी राय के नाम पर डालटनगंज से बदलकर मेदिनीनगर हुआ है. पीएम मोदी बीजेपी प्रत्याशी आलोक चौरसिया के पक्ष में चुनावी रैली को संबोधित करेंगे. अलोक चौरसिया 2014 में जेवीएम से जीतकर विधायक चुने गए थे और बाद में उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर ली थी.
बीजेपी को टक्कर देने के लिए गठबंधन ने चुनावी मैदान में पूर्व मंत्री व कांग्रेस नेता कृष्णानंद त्रिपाठी उर्फ केएन त्रिपाठी को मैदान में उतारा है. केएन त्रिपाठी को भरोसा है कि उन्हें जेएमएम और कांग्रेस का पारंपरिक वोट मिलेगा और इसी आधार पर उनकी जीत होगी. हालांकि, डालटनगंज सीट पर 32 साल के अलोक चौरसिया का कब्जा है. ऐसे में यह सीट बीजेपी के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है. यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी झारखंड में अपनी पहली जनसभा डालटनगंज क्षेत्र से शुरू कर रहे हैं.
गुमला सीट का समीकरण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी दूसरी रैली आदिवासी समुदाय के लिए सुरक्षित गुमला सीट पर बीजेपी प्रत्याशी मिसिर कुजरू के पक्ष में संबोधित करेंगे. पिछले दो चुनाव से इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है और हर पार्टी यहां से जीते हुए विधायक का टिकट काटकर नए चेहरे पर दांव खेलती रही है. इस बार भी बीजेपी ने मौजूदा विधायक शिवशंकर उरांव की जगह मिसिर कुजरू को उतारा है. जबकि, झारखंड मुक्ति मोर्च ने लगातार चौथी बार भूषण तिर्की पर ही अपना भरोसा जताया है.
झारखंड की गुमला विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. इस सीट पर उरांव जाति के विधायकों का दबदबा रहा. सबसे अधिक छह बार भाजपा से विधायक चुने गए जबकि यहां से कांग्रेस के तीन व जेएमएम के दो विधायक रह चुके हैं. साल 2004 में जेएमएम के भूषण तिर्की विधायक चुने गए थे. जबकि, 2009 में यहां बीजेपी के कमलेश उरांव जीते, लेकिन 2014 में पार्टी ने उनकी बजाय शिवशंकर उरांव पर दांव खेला और वह जीतकर विधायक बने. बीजेपी ने इस बार उरांव की जगह मिसिर कुजरू पर दांव खेला हैं. ऐसे में देखना होगा पीएम मोदी गुमला में रैली करके मिसिर कुजरू की जीत तय कर सकेंगे?