झारखंड के हजारीबाग जिले की बड़काठा विधानसभा सीट, बरही विधानसभा सीट, मांडू विधानसभा सीट और हजारीबाग विधानसभा सीटों पर वोटों की गिनती पूरी हो गई है. चुनाव आयोग ने चुनाव नतीजों को भी जारी कर दिया है.
हजारीबाग विधानसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार मनीष जायसवाल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के डॉक्टर रामचंद्र प्रसाद को 51812 वोट से हरा दिया. मनीष को कुल 106208 वोट मिले, वहीं कांग्रेस उम्मीदवार को 54396 वोट मिले. झारखंड विकास मोर्चा के उम्मीदवार मुन्ना सिंह 31578 वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे.
बड़काठा विधानसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार अमित कुमार यादव ने भारतीय जनता पार्टी के जानकी प्रसाद यादव 24,812 वोटों के अंतर से करारी शिकस्त दी है. इस चुनाव में अमित कुमार यादव को 72,572 वोट मिले, जबकि जानकी प्रसाद यादव को 47,760 वोटों से संतोष करना पड़ा.
वहीं, बरही विधानसभा सीट से कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार उमाशंकर अकेला ने विजय का परचम फहराया है, जबकि भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी मनोज कुमार यादव को 11,371 वोटों से हार का मुंह देखना पड़ा है. इस चुनाव में उमाशंकर अकेला को 84,358 वोट मिले, जबकि मनोज कुमार यादव को 72,987 वोटों से संतोष करना पड़ा.
वहीं, मांडू विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी के जय प्रकाश भाई पटेल ने विजय पताका फहराया है. उन्होंने अपने सबसे करीबी प्रतिद्वंदी और आजसू के प्रत्याशी निर्मल महतो को 2.062 वोटों से हराया है. हजारीबाग जिले की सभी चारों विधानसभा सीटों पर 12 दिसंबर को वोट डाले गए थे.
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झारखंड की सभी 81 विधानसभा सीट पर कुल पांच चरणों में विधानसभा चुनाव कराए गए थे. इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) ने मिलकर चुनाव लड़ा है. झारखंड की राजधानी रांची से 93 किमी दूर हजारीबाग जिला पहले काफी बड़ा था, लेकिन समय-समय पर इससे कोडरमा, चतरा, रामगढ़ और गिरिडीह को अलग कर जिला बना दिए गए.
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इस जिले के उत्तरी सीमा पर गया (बिहार) और कोडरमा है. पूर्व में गिरिडीह और बोकारो, दक्षिण में रामगढ़ और पश्चिम में चतरा. यह जिला दुर्गम जंगलों से घिरा हुआ है. इसके इतिहास के बारे में बताया जाता है कि यहां पर हमेशा से गैर-आर्य जनजातियों का कब्जा रहा था. प्राचीन भारत में हजारीबाग जिले पर हिंदू प्रभाव नहीं था. हालांकि 1526 तक यह किसी भी साम्राज्य के अधीन नहीं था, लेकिन 1556 में दिल्ली के सिंहासन पर अकबर के आते ही झारखंड में मुस्लिम प्रभाव बढ़ने लगा. यहां भी अकबर की मृत्यु तक मुगल शासन का प्रभाव रहा. लेकिन उसके बाद नहीं.
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साल 1831 में यहां कोल विद्रोह हुआ. जिसके बाद हजारीबाग क्षेत्र के प्रशासनिक ढांचे में बदलाव किया गया. यह तत्कालीन बिहार के लेफ्टिनेंट गवर्नर के अधीन एक गैर-नियमन प्रांत के रूप में प्रशासित होने लगा. 1855-56 में अंग्रेजों के खिलाफ संथालों ने महान विद्रोह किया था, लेकिन बेरहमी से दबा दिया गया. 1991 की जनगणना के बाद शीघ्र ही हजारीबाग को तीन जिलों हजारीबाग, चतरा एवं कोडरमा में विभाजित कर दिया गया. बाद में इसमें से रामगढ़ और गिरिडीह को अलग कर जिला घोषित कर दिया गया. अभी जिले में 16 ब्लॉक्स हैं.
17.34 लाख आबादी, 69.75% साक्षरता दर
साल 2011 की जनगणना के अनुसार हजारीबाग जिले की आबादी 1,734,495 है. इनमें से 890,881 पुरुष और 843,614 महिलाएं हैं. जिले में औसत लिंगानुपात 947 है. जिले की 15.9 फीसदी आबादी शहरी और 84.1 फीसदी आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है. जिले में औसत साक्षरता दर 69.75 प्रतिशत है. 66.91 फीसदी पुरुष और 49.45 प्रतिशत महिलाएं साक्षर हैं.