हिमाचल प्रदेश की सियायत में जयराम ठाकुर एक बड़ा चेहरा बनकर उभरे हैं. प्रेम सिंह धूमल के चुनाव हार जाने के बाद जयराम सीएम को सीएम की रेस में काफी आगे माना जा रहा था और अंतत: उन्हीं के नाम पर मुहर लगी. मुख्यमंत्री पद के लिए जयराम ठाकुर आज शपथ लेंगे. उनकी ताजपोशी शिमला के ऐतिहासिक रिज मैदान में होगी. शपथ ग्रहण के लिए भव्य तैयारियां की गई हैं.
बता दें कि हिमाचल की 68 विधानसभा सीटों में से बीजेपी ने 44 सीटों पर जीत दर्ज की है. लेकिन चुनाव में बीजेपी के सीएम का चेहरा रहे प्रेम कुमार धूमल नहीं जीत सके. इसके बाद कई दिन तक माथापच्ची के बाद पार्टी आलाकमान ने मुख्यमंत्री के लिए जयराम ठाकुर के नाम पर मुहर लगाई. उनके नाम के ऐलान से पहले इस रेस में केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा, सुरेश भारद्वाज, नरेंद्र बरागटा और प्रेम कुमार धूमल का नाम चल रहा था. लेकिन युवा चेहरा, संघ के बैकग्राउंड और राज्य की सियासत में जमीनी पकड़ के चलते बाजी जयराम के नाम रही.
दरअसल, जयराम बीजेपी के आलाकमान से लेकर पीएम नरेंद्र मोदी की पहली पसंद बताए जाते हैं. जयराम ठाकुर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आंगन में पले बढ़े हैं और एबीवीपी से उन्होंने राजनीति में कदम रखा. वो बीजेपी के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार के करीबी नेताओं में से एक हैं.
जयराम ठाकुर का जन्म 6 जनवरी 1965 को मंडी जिले के टांडी में हुआ. जयराम ठाकुर के पिता का नाम जेठूराम ठाकुर और पत्नी का नाम डॉ. साधना ठाकुर है. जयराम एक गरीब परिवार से आते हैं. वो 5वीं बार विधायक चुने गए हैं. उन्होंने मंडी के सिराज विधानसभा से जीत दर्ज की है.
सियासी सफर
जयराम ठाकुर आरएसएस के आंगन में पले बढ़े हैं. उन्होंने अपना सियासी सफर छात्र राजनीति से शुरू किया. ठाकुर ने 1998 में अपना पहला विधानसभा चुनाव जीता था. इसके बाद उन्होंने मुड़कर नहीं देखा एक के बाद एक लगातार पांचवीं बार जीत दर्ज की है. ठाकुर हिमाचल सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं. धूमल सरकार में ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज विभाग का कार्यभार भी वो संभाल चुके हैं.
जयराम की सबसे बडी सियासी ताकत उनका समाज है. वो हिमाचल की सियासत में किंग माने जाने वाले क्षत्रिय समाज से आते हैं. राज्य की सियासत में राजपूतों का वर्चस्व रहा है. जयराम अपने समाज पर मजबूत पकड़ रखते हैं. जयराम संगठन और पार्टी के मजबूत नेता माने जाते हैं. हिमाचल प्रदेश बीजेपी की कमान भी वो संभाल चुके हैं. इतना ही नहीं लो प्रोफाइल रहने से आम लोगों के बीच भी उनकी गहरी पैठ है. वो हिमाचल के उन क्षेत्रों में जाकर पार्टी को मजबूत करते रहे हैं, जहां ठंड के मौसम में कोई जाना नहीं चाहता है.
शांता कुमार के करीबी
जयराम ठाकुर पूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार के करीबी माने जाते हैं. शांता कुमार से जब राज्य के सीएम के बारे में पूछा गया तो उन्होंने नाम नहीं लिया, लेकिन इशारों में जयराम ठाकुर के पक्ष में दिखे. शांता कुमार ने कहा कि पर्यवेक्षकों को अपनी राय बता दी है. उन्होंने कहा कि इस तरह की नारेबाजी होना पूरी तरह से गलत है. मुख्यमंत्री को लेकर जनता ने मेंडेट दे दिया है. जनता का रुझान किसकी तरफ है ये सबको पता है.