गुजरात में विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही सभी राजनीतिक पार्टियां तैयारी में जुट गई हैं. ऐसे में आज आपको हम जूनागढ़ जिले के मांगरोल सीट के बारे में बताएंगे कि यहां का चुनावी गणित कैसा है. जूनागढ़ जिले में विधानसभा की कुल पांच सीटें हैं जिसमें एक सीट मांगरोल है.
मत्स्य उद्योग से समृद्ध इस क्षेत्र में मालिया हाटीना ओर मांगरोल दोनों तहसील मिलाकर करीबन 2 लाख 6 हजार मतदाता हैं. मांगरोल का चोरवाड़ गांव देश के सबसे धनी कारोबारी घराने के मुखिया रहे धीरूभाई अंबानी का जन्मस्थल भी है.
चोरवाड़ के समुद्रतट पर जूनागढ़ के नवाब रासुल खान गर्मी की छुट्टियों में आराम करने के लिए आते थे, जिसके लिए उन्होंने वहां हवामहल भी बनवाया था जो अब जर्जर हालत में है.
राजनीति पृष्ठभूमि
गुजरात में 11 ऐसी सीटें है जिसमें मुस्लिम आबादी 35% से ज्यादा है. मांगरोल भी इसमें से एक है. इस सीट से कांग्रेस नेता बाबूभाई कालू भाई वाजा विधायक हैं. इन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार को पटखनी दी थी.
मांगरोल में कोली समाज की आबादी 40% और मुस्लिम समाज की आबादी 35% है. यही वजह है कि इस सीट पर कोली और मुस्लिम समाज का प्रभुत्व रहता है. इस सीट पर 1962 से विधानसभा चुनाव हो रहा है जिसमें 2012 तक यहां जाति और समाज आधारित उम्मीदवार ने चुनाव जीत दर्ज नहीं की है.
हालांकि 2012 के बाद से इस सीट की राजनीति बदल गई और यहां जाति आधारित उम्मीदवार पसंद किए जाने लगे. बीते चुनाव में बीजेपी ने भगवानजी करगाठिया को इस सीट से खड़ा किया तो कांग्रेस ने भी बाबू वाजा को उम्मीदवार बनाया. 2012 ओर 2017 दोनों ही चुनाव में कांग्रेस के बाबू वाजा ने बाजी मारी और बीजेपी को हार का मुंह देखना पड़ा.
मांगरोल की आर्थिक हालत
मांगरोल में मत्स्य उद्योग और फलों का बाग मुख्य व्यवसाय है. नारियल, पपीता, बादाम, अंगूर, केले, जैसे फलों का यहां बड़े पैमाने पर उत्पादन होता है. मांगरोल में सबसे बड़ा मत्स्य उद्योग है.
मांगरोल में 50% फीसदी पुरूष आबादी समुद्र से मछलियां पकड़कर पेट पालने पर ही निर्भर हैं. यूरोपियन देशों में यहां मछली और मछली के प्रोडक्ट निर्यात किए जाते हैं. मांगरोल में आज तक सीवरेज की व्यवस्था नहीं हो पाई है. रास्ते खराब हैं और यहां ट्रैफिक जाम की समस्या भी बनी रहती है.
विधायक बाबूभाई कालू वाजा का परिचय
जन्म- 1952
जन्मस्थान - मांगरोल
केस: 0
व्यवसाय: खेती
बाबूभाई कालू भाई वाजा एक स्पष्ट वक्ता होने के कारण विधानसभा में मांगरोल की समस्याओं को उठाते रहे हैं. हालांकि इस बार कांग्रेस के अन्य नेताओं में भी टिकट लेने की होड़ मची हुई है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि पार्टी उनपर भरोसा जताती है या नहीं.
वहीं बात अगर बीजेपी की करें तो 2017 में खुद अमित शाह ने इस सीट पर बीजेपी उम्मीदवार भगवानजी करगठिया के लिए प्रचार किया था, लेकिन वो फिर भी चुनाव हार गए थे. (जूनागढ़ से भार्गवी जोशी की रिपोर्ट)
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