गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण की 89 सीटों पर आज वोट डाले जाएंगे. इन 89 विधानसभा सीटों में 54 सीटें सौराष्ट्र क्षेत्र की है. सौराष्ट्र गुजरात में बीजेपी का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता है. सौराष्ट्र बीजेपी की राजनीतिक प्रयोगशाला का क्षेत्र भी रहा है. बीजेपी की सौराष्ट्र पर मजबूती ही उसे पिछले दो दशकों राज्य के सत्ता सिंहासन तक पहुंचाती रही है.
पाटीदारों की नाराजगी के चलते इस बार बीजेपी के राजनीतिक हालात सौराष्ट्र में कुछ बदले हुए नजर आ रहे हैं. कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी सौराष्ट्र के जरिए सत्ता की वापसी की उम्मीद लगाए हुए हैं. ऐसे में अब देखना होगा कि बीजेपी के दुर्ग सौराष्ट्र में उसका जादू कायम रहता है, या फिर उसका राजनीतिक किला ढह जाएगा, ये आज सौराष्ट्र के लोग तय करेंगे.
सौराष्ट्र का सियासी समीकरण
दरअसल गुजरात और बीजेपी दोनों की राजनीति में सौराष्ट्र की काफी अहम भूमिका रही है. राज्य की 182 विधानसभा सीटों में से 54 सीटें इस क्षेत्र से आती हैं. सौराष्ट्र में बड़ी आबादी पाटीदार समाज की है और उसमें भी खासकर लेऊवा पटेल की. इस क्षेत्र में कम से कम 35 से 40 विधानसभा सीटों पर पटेल समुदाय खुद जीतने या फिर किसी भी पार्टी को चुनाव जीताने और हराने की कुवत रखते हैं.
सौराष्ट्र के जरिए बीजेपी सत्ता में आई
बीजेपी सौराष्ट्र पर मजबूती के जरिए ही पिछले बीस साल से सत्ता पर काबिज है. सौराष्ट्र में बीजेपी की साख बनाने और उसे मजबूत करने में केशुभाई पटेल की अहम भूमिका रही है. इसी का नतीजा था कि बीजेपी ने कांग्रेस सरकार की जीत का सिलसिला खत्म कर राज्य में पहली बार 1995 में अपनी सरकार बनाई. 1995 में सौराष्ट्र की 54 में से 44 सीटें बीजेपी ने जीती और केशुभाई पटेल पहली बार मुख्यमंत्री बने.
केशुभाई की बगावत से भी बीजेपी को मात नहीं
गुजरात की राजनीति में बीजेपी की जमीन बनाने और सत्ता के सिहांसन तक पहुंचाने वाले केशुभाई पटेल को जब मुख्यमंत्री के पद से हटाया गया तो उन्होंने पार्टी छोड़ दी. बीजेपी से केशुभाई पटेल की बगावत के बाद भी सौराष्ट्र क्षेत्र में बीजेपी की पकड़ कमजोर नहीं हुई. पिछले 2012 के विधानसभा चुनाव में सौराष्ट्र की कुल 54 सीटों में से बीजेपी 34 और कांग्रेस 19 सीट और एक सीट अन्य जीतने में सफल रही है. गुजरात की कमान जब तक नरेंद्र मोदी के हाथों में रही सौराष्ट्र बीजेपी के पक्ष में रहा. मोदी सौराष्ट्र में सबसे ताकतवर पोस्टर ब्वॉय रहे हैं.
पटेल आरक्षण आंदोलन से बीजेपी कमजोर
2014 में नरेंद्र मोदी के गुजरात के सीएम से देश के पीएम बन जाने के बाद से पाटीदारों पर बीजेपी की पकड़ कमजोर हुई है. ऐसा माना जा रहा है कि हार्दिक पटेल के नेतृत्व में शुरू हुए पटेल आंदोलन ने बीजेपी की पकड़ को कमजोर कर दिया है. इसी का नतीजा रहा कि 2015 में हुए जिला पंचायत चुनाव में सौराष्ट्र की 11 में से 8 पर कांग्रेस विजयी रही.
पहले चरण का मतदान
विधानसभा चुनाव के पहले चरण में सौराष्ट्र क्षेत्र की सभी सीटों पर आज मतदान होने है. सौराष्ट्र पाटीदार बहुल्य क्षेत्र है. पाटीदार समाज बीजेपी का परंपरागत वोट रहा है, लेकिन पटेल आरक्षण की मांग को लेकर फिलहाल नाराज माने जा रहे हैं. पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने कांग्रेस को समर्थन देने का ऐलान कर रखा है. कांग्रेस पिछले दो दशक से राज्य में सत्ता का वनवास झेल रही है. राहुल गांधी सौराष्ट्र के जरिए सत्ता में वापसी की आस लगाए हुए हैं. राहुल ने पाटीदार समाज को दोबारा से अपने साथ जोड़ने की कवायद करने के लिए हार्दिक का समर्थन हासिल किया है.