नागरिकता संशोधन एक्ट के मुद्दे पर भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनियन के बीच पैदा हुई दरार लगातार बढ़ती जा रही है. पार्टी में बीजेपी के खिलाफ उठ रही आवाज़ों को दरकिनार करते हुए जेडीयू ने दिल्ली में गठबंधन किया है. पार्टी प्रवक्ता पवन वर्मा ने इस गठबंधन को लेकर सवाल खड़े किए हैं और पार्टी प्रमुख नीतीश कुमार से सवाल किया है कि वह विचारधारा को लेकर पार्टी का रुख साफ करें.
इंडिया टुडे से बात करते हुए पवन वर्मा ने कहा कि 2017 में नीतीश कुमार ने उन्हें बताया था कि बीजेपी-मोदी किस तरह लोकतांत्रिक मूल्यों को खत्म कर रहे हैं. लेकिन अब वही नीतीश उसी बीजेपी के साथ दिल्ली में गठबंधन कर रहे हैं.
पार्टी प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि इस डबल स्टैंडर्ड की वजह से ही पार्टी के कई विधायक साथ छोड़ रहे हैं. पार्टी में ही कुछ ऐसे विचार हैं जो कि नीतीश कुमार के साथ नहीं मेल खा रहे हैं और ऐसे मुद्दों को लेकर गुस्सा बढ़ता जा रहा है.
This is the letter I have written to @NitishKumar today asking him how the JD(U) has formed an alliance with the BJP for the Delhi elections, given his own views on the BJP, and the massive national outrage against the divisive CAA-NPR-NRC scheme. pic.twitter.com/ErSynnuiYm
— Pavan K. Varma (@PavanK_Varma) January 21, 2020
पवन वर्मा ने चिट्ठी लिख जाहिर किया गुस्सा
दिल्ली में बीजेपी के साथ जाने के खिलाफ पवन वर्मा ने नीतीश कुमार को चिट्ठी लिखी. उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि मैंने नीतीश कुमार को एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें उनसे दिल्ली में बीजेपी के साथ किए गए गठबंधन के बारे में पूछा है. नागरिकता संशोधन एक्ट और एनआरसी के मुद्दे पर देश में लगातार विरोध हो रहा है.
अपने खत में पवन वर्मा ने लिखा है कि ऐसा पहली बार हुआ है जब बिहार से बाहर पार्टी ने बीजेपी के साथ इस तरह का गठबंधन किया है. मैं इस फैसले से काफी आहत हुआ हूं और आपसे विचारधारा को लेकर सफाई मांगना चाहता हूं.
पवन वर्मा ने नीतीश को संबोधित करते हुए लिखा है कि कई मौकों पर आपने खुद BJP, RSS का विरोध किया है और उनकी नीतियों पर सवाल खड़े किए हैं लेकिन अब इस तरह गठबंधन को देशव्यापी कर देना कई तरह के सवाल खड़े करता है.
दिल्ली: JDU स्टार कैंपेनर लिस्ट से PK आउट, CAA का विरोध या कुछ और वजह?
आपको बता दें कि नीतीश कुमार की पार्टी JDU ने नागरिकता संशोधन एक्ट का राज्यसभा, लोकसभा में समर्थन किया था. लेकिन पार्टी में इसके बाद इस मुद्दे पर विरोध हुआ, प्रशांत किशोर और पवन वर्मा जैसे नेताओं ने खुले तौर पर इस फैसले के खिलाफ आवाज़ उठाई.