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Bhojpur: कहीं देवरानी बनाम जेठानी तो कहीं भयो बनाम भसुर की लड़ाई

एक सीट पर जहां देवरानी और जेठानी एक दूसरे के खिलाफ हैं वहीं एक अन्‍य सीट पर भयो (छोटे भाई की पत्‍नी) और भसुर (पति के बड़े भाई) आमने-सामने खड़े हैं.

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सीटों के लिए प्रत्‍याशियों के बीच घमासान (Photo: File)
सीटों के लिए प्रत्‍याशियों के बीच घमासान (Photo: File)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • चुनाव में देवरानी बनाम जेठानी
  • जेठ बनाम भयो की भी लड़ाई
  • पहले भी रह चुके हैं विधायक

बिहार के भोजपुर जिले में इस बार विधानसभा की सात सीटों के लिए प्रत्‍याशियों के बीच घमासान है. एनडीए खेमे में सीट शेयरिंग के बाद भोजपुर की सात सीटों में से चार बीजेपी के पास हैं जबकि तीन जदयू के हिस्‍से में आईं हैं. महागठबंधन की ओर से ज्‍यादातर सीटों पर राजद के प्रत्‍याशी मैदान में हैं. इन सात सीटों में दो सीटों पर लड़ाई बेहद दिलचस्‍प है. एक सीट पर जहां देवरानी और जेठानी एक दूसरे के खिलाफ हैं वहीं एक अन्‍य सीट पर भयो (छोटे भाई की पत्‍नी) और भसुर (पति के बड़े भाई) आमने-सामने खड़े हैं. 

देवरानी बनाम जेठानी 
भोजपुर की शाहपुर सीट पर बीजेपी के दिवंगत नेता विशेश्‍वर ओझा का परिवार इस बार चुनावी मैदान में आमने-सामने है. बीजेपी ने स्‍व. विशेश्‍वर ओझा के छोटे भाई भुअर ओझा की पत्नी मुन्नी देवी को चुनाव मैदान में उतारा है. इस टिकट के लिए स्‍व. विशेश्‍वर ओझा की पत्‍नी शोभा देवी भी प्रयास में थीं. लेकिन उन्‍हें टिकट नहीं मिला. टिकट न मिलने से नाराज शोभा देवी ने अब न‍िर्दलीय प्रत्‍याशी के रूप में चुनाव लड़ने का फैसला किया है. अब लड़ाई रोचक हो गयी है. एक तरफ न‍िर्दलीय जेठानी तो दूसरी तरफ बीजेपी कैंडीडेट देवरानी आमने-सामने हैं. 

राजद के कब्‍जे में है शाहपुर सीट:  शाहपुर सीट अभी राजद के कब्‍जे में है. बीजेपी की प्रत्‍याशी मुन्नी देवी पहले इस सीट से जीत दर्ज करा चुकी हैं. जबकि शोभा देवी पहले भी इस सीट से चुनाव लड़ चुकी हैं लेकिन सफल नहीं रहीं. शोभा देवी को उम्‍मीद है कि क्षेत्र की जनता उनके पति स्‍व. विशेश्‍वर ओझा के कार्यों को याद करेगी और उन्‍हें उनका हक देगी. जबकि मुन्नी देवी के लिए बीजेपी का सपोर्ट मजबूत फैक्‍टर है. हालांकि ओझा परिवार की इस अंदरखाने की लड़ाई में राजद को अपना फायदा दिख रहा है. उन्‍हें उम्‍मीद है कि इस सीट पर उनका कब्‍जा बरकरार रहेगा. 

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जेठ बनाम भयो 
भोजपुर के संदेश विधानसभा सीट की लड़ाई भी कम रोचक नहीं. 2015 के चुनाव में इस सीट से राजद प्रत्याशी अरुण कुमार यादव ने जीत हासिल की थी. हालांकि बाद में बलात्‍कार के एक मामले में आरोपी बनने के बाद से वह फरार चल रहे हैं. ऐसे में राजद ने अरुण कुमार की पत्‍नी किरण देवी को टिकट दिया है. पार्टी को उम्‍मीद है अरुण के प्रभाव वाले इस सीट पर उनकी पत्‍नी को आसानी से जीत मिल जाएगी. लेकिन राजद प्रत्‍याशी के खिलाफ जदयू ने अरुण के बड़े भाई विजेंद्र यादव को टिकट देकर लड़ाई को मजेदार बना दिया है. 

पहले भी रह चुके हैं विधायक:  अरुण के पत्‍नी किरण देवी के जेठ विजेंद्र यादव पहले भी इसी सीट से दो बार चुनाव जीत चुके हैं. लेकिन जब विजेंद्र यादव राजद के टिकट पर चुनाव लड़े और जीते थे. बाद में राजद ने विजेंद्र का टिकट काट कर अरुण को प्रत्‍याशी बनाया और तब से वही सीटिंग एमएलए हैं. विजेंद्र अब अपोजिट खेमे से टिकट लेकर अपनी भयो के लिए चुनौती बनने जा रहे हैं. किरण देवी जहां अपने पति के गुड वर्क को गिना रही हैं वहीं विजेंद्र अपने पूर्व के दो कार्यकाल की बदौलत मतदाताओं को अपने पक्ष में करने में जुटे हैं.

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