
बिहार विधानसभा की सभी 243 सीटों के नतीजे आ चुके हैं. पूर्णिया सदर से सीट बीजेपी के विजय कुमार खेमका ने कांग्रेस की इंदु सिन्हा को 32154 वोटों से हराया. यहां तीसरे चरण के तहत 7 नवंबर को 58.91% फीसदी वोटिंग हुई थी. पूर्णिया से 23 उम्मीदवार मैदान में थे.
इस बार चुनाव आयोग ने कोरोना के मद्देनजर वोटिंग के दौरान कई दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिसमें मतदान कर्मियों द्वारा इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) की स्वच्छता, मास्क पहनना, थर्मल स्कैनिंग, सेनिटाइजर और पानी की उपलब्धता और अन्य मापदंडों का पालन सुनिश्चत कराया जाना शामिल था.

सीट का इतिहास
पूर्णिया सदर विधानसभा क्षेत्र पर 1980 से लेकर 1995 तक सीपीएम के अजीत सरकार का दबदबा रहा था. जून 1998 को सरकार की पूर्णिया में हत्या हो गई. उनकी हत्या के बाद हुए उपचुनाव में उनकी पत्नी माधवी सरकार जीती थीं. 2000 से 2010 तक बीजेपी के राज किशोर केसरी यहां से जीतते रहे, लेकिन जनवरी 2011 में उनकी भी हत्या हो गई. उसके बाद हुए उपचुनाव में किरण देवी बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतीं थी. 2015 में विजय कुमार खेमका जीते थे.
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कृषि पूर्णिया का मुख्य व्यवसाय है
पूर्णिया पूर्वोत्तर बिहार का सबसे बड़ा शहर है. कृषि पूर्णिया के लोगों का मुख्य व्यवसाय है. इस क्षेत्र में उगाए जाने वाले फसल धान, जूट, गेहूं, मक्का, मूंग, मसूर, गन्ना और आलू हैं. पूर्णिया जिले की जूट प्रमुख नकदी फसल है. नारियल, केला, आम, अमरूद, नींबू, जैक फलों, अनानस और केले जैसे फल पौधे यहां भी उगाए जाते हैं.