जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने मंगलवार को निश्चय संवाद के तहत वर्चुअल रैली की. इस रैली के जरिए उन्होंने 11 विधानसभा क्षेत्रों के लोगों को संबोधित किया. अपने भाषण में नीतीश ने जहां लालू-राबड़ी के कार्यकाल के बहाने आरजेडी को घेरा वहीं अपने 15 साल के कामों के बारे में भी बताया. अल्पसंख्यक समुदाय के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में भी उन्होंने जोर देकर अपनी बात रखी.
नीतीश कुमार ने विपक्षियों को निशाने पर लेते हुए कहा कि लोग अल्पसंख्यकों के नाम पर वोट लेते हैं लेकिन उनके लिए किया क्या है? भागलपुर में जो दंगा हुआ उसके लिए क्या किया? जबकि हमने सरकार में आते ही जांच कराई, आयोग बनवाया, पीड़ितों को 2500 रुपये प्रतिमाह देने का प्रावधान किया है.
भागलपुर दंगे का जिक्र नीतीश कुमार ने 12 अक्टूबर की रैली में भी किया था और आरजेडी पर अल्पसंख्यकों के लिए कुछ न करने का आरोप लगाया था. बता दें कि भागलपुर दंगा 1989 में हुआ था, इस दंगे के बाद लालू यादव की मुस्लिम समाज में स्वीकार्यकता बढ़ी थी. इसके बाद 1990 में लालू यादव पहली बार सीएम बने थे और 2005 तक राज्य में आरजेडी की ही सरकार चली थी.
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मंगलवार को रैली में नीतीश कुमार ने उर्दू भाषा की तरक्की को लेकर भी अल्पसंख्यकों तक पहुंचने की कोशिश की. नीतीश कुमार ने कहा कि हम उर्दू की पढ़ाई सब जगह करना चाहते हैं. उर्दू हमारी द्वीतीय भाषा है. उर्दू के प्रति अपने लगाव को बताते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि हम तो बचपन में उर्दू पढ़ना चाहते थे लेकिन कोई पढ़ाने वाला नहीं था.
इसके अलावा नीतीश कुमार ने ये भी कहा कि हमने बिहार राज्य वक्फ विकास योजना को लागू किया, वक्फ की भूमि पर बहुद्देशीय भवन, मुसाफिरखाना, विवाह भवन, व्यावसायिक भवन और मार्केट काम्प्लेक्स का निर्माण करवाया जा रहा है.
बता दें कि लालू यादव ने बिहार की राजनीति में M-Y समीकरण से सत्ता संभाली. बिहार में करीब 16 फीसदी मुस्लिम और 15 फीसदी यादव मतदाता हैं. ये दोनों मिलकर सौ से ज्यादा विधानसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका में रहते हैं. नीतीश कुमार ने भी 115 में से 11 सीटों पर मुस्लिम प्रत्याशी उतारे हैं. ये माना जाता रहा है कि बीजेपी से गठबंधन होने के बावजूद नीतीश कुमार मुस्लिम वोट ले पाने में सफल रहते हैं.