
कटिहार विधानसभा सीट पर अल्पसंख्यक वोटरों को निर्णायक माना जाता हैं. फिलहाल इस सीट पर बीजेपी का कब्जा है. विधायक तार किशोर प्रसाद लगातार 3 बार से बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीत रहे हैं. 2015 के चुनाव में उन्होंने जेडीयू के उम्मीदवार को पटखनी दी थी. इस बार जेडीयू और बीजेपी साथ हैं. ऐसे में एक बार फिर कटिहार सीट पर दिलचस्प चुनावी लड़ाई देखने को मिल सकती है. इस बार यहां 61.52 फीसदी वोटिंग हुई है.
बता दें कि कटिहार विधानसभा सीट पर अब तक 16 बार चुनाव हुए हैं, जिसमें एक उपचुनाव शामिल हैं. यहां से सबसे अधिक 5 बार बीजेपी जीती है. वहीं, 4 बार कांग्रेस, 2 बार आरजेडी, एक-एक बार जनता दल, जनता पार्टी, एलटीसी, बीजेएस और सीपीआई ने जीत दर्ज की है. 2015 के चुनाव में बीजेपी के तार किशोर प्रसाद ने जेडीयू के बिजय सिंह को 14,894 वोटों के अंतर से हराया था. इस बार यहां से 23 नामांकन दाखिल हुए हैं, सभी स्वीकार कर लिए गए हैं.

विधायक- तार किशोर प्रसाद
पार्टी-बीजेपी
वोटरों की संख्या- 2,42,009
कटिहार जिले का इतिहास
कटिहार 1973 में पूर्णिया जिले से विभाजित होकर एक संपूर्ण जिला बना. पूर्व में कटिहार जिले में चौधरी परिवार का प्रभुत्व था, जो कोसी क्षेत्र के सबसे बड़े जमींदार थे. चौधरी परिवार के संस्थापक खान बहादुर मोहम्मद बक्श थे, जिनके पास कटिहार जिले में लगभग 15000 एकड़ और 8500 एकड़ जमीन पूर्णिया जिले में थी.
जीविका का प्रमुख स्रोत कृषि
जीविका का प्रमुख स्रोत कृषि और कुछ उद्योग हैं. इस क्षेत्र में चावल उद्योग एक समृद्ध व्यवसाय है. यहां उद्योग मुख्य रूप से कृषि आधारित है. कटिहार जिले के किसानों की मुख्य नकदी फसल केला, जूट, मक्का हैं. समूह में शामिल होने के लिए कृषि आधारित उद्योग में से एक मखाना है. मुख्य फसलें धान, जूट, केले, गेहूं, मक्का और दलहन हैं.