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Arrah: 15 साल तक इस विधानसभा में रहा BJP का राज, फिर खेला अमरेन्द्र प्रताप सिंह पर दांव

आरा विधानसभा सीट के लिए बीजेपी उम्मीदवार के रूप में अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने नामांकन का पर्चा दाखिल किया है. हनुमान मंदिर में पूजा करने के बाद अमरेन्द्र प्रताप सिंह सैकड़ों समर्थकों के साथ प्रखंड कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने आरा सीट से नामांकन का पर्चा दाखिल किया.

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आरा विधानसभा से चार बार विधायक रहे अमरेन्द्र प्रताप सिंह (फोटो आजतक)
आरा विधानसभा से चार बार विधायक रहे अमरेन्द्र प्रताप सिंह (फोटो आजतक)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • आरा विधानसभा से 4 बार विधायक रहे अमरेन्द्र प्रताप सिंह
  • अमरेन्द्र ने आरा विधानसभा से नामांकन दाखिल किया
  • 2020 के चुनाव में सीपीआई (एमएल) के प्रत्याशी क्यामुद्दीन अंसारी से मुकाबला

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में हर राजनीतक दल के लिए एक-एक सीट बहुत ही महत्वपूर्ण है. यही कारण रहा कि बड़ी सूझबूझ के साथ प्रत्याशियों का चयन किया जा रहा है. कई पुरानी सीटों को जीतने के लिए राजनीतिक दलों ने पुराने नेताओं पर दांव लगाया है. ऐसी ही एक विधानसभा सीट है आरा, जहां 15 साल तक बीजेपी का झंड़ा लहराया, लेकिन विधानसभा चुनाव 2015 में जीत का ये सिलसिला टूट गया. बीजेपी ने इस विधानसभा से एक बार फिर पूर्व विधायक अमरेन्द्र प्रताप सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है. बुधवार को बीजेपी प्रत्याशी और पूर्व विधायक अमरेन्द्र ने आरा विधानसभा से नामांकन दाखिल किया. 

चार बार रह चुके हैं विधायक 

आरा 194 विधानसभा सीट के लिए बीजेपी उम्मीदवार के रूप में अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने नामांकन का पर्चा दाखिल किया है. हनुमान मंदिर में पूजा करने के बाद अमरेन्द्र प्रताप सिंह सैकड़ों समर्थकों के साथ प्रखंड कार्यालय पहुंचे, जहां उन्होंने आरा सीट से नामांकन का पर्चा दाखिल किया. बीजेपी प्रत्याशी अमरेन्द्र प्रताप सिंह आरा विधानसभा से चार बार विधायक रह चुके हैं. साथ ही वे बिहार विधानसभा के पूर्व में उपसभापति भी रह चुके हैं. विधानसभा चुनाव 2015 में अमरेन्द्र प्रताप सिंह को आरजेडी प्रत्याशी अनवर आलम ने बहुत ही कम वोटों के अंतराल से चुनाव हारया था.

अमरेन्द्र प्रताप सिंह का राजनैतिक सफर

बीजेपी प्रत्याशी अमरेन्द्र प्रताप सिंह मूल रूप से बक्सर जिले के चौंगाई के रहने वाले हैं. अमरेन्द्र प्रताप सिंह के पिता स्वर्गीय बिहारी प्रसाद सिंह थे, जो स्वतंत्रता सेनानी के साथ ही एक अच्छे किसान भी थे. अमरेन्द्र सिंह की प्रारंभिक शिक्षा गांव के समीप मूरार हाई स्कूल से हुई थी, जिसके बाद महाराजा कॉलेज से उन्होंने ग्रेजुएशन पूरा किया. गोरखपुर में भारत सरकार की फर्टिलाइजर कंपनी में उनकी नौकरी लग गई.

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पिता के कहने नौकरी छोड़ दी और झारखंड के टाटा नगर चले आए. उनके बड़े भाई मृगेन्द्र प्रताप सिंह उस वक्त झारखंड सरकार में वित्त मंत्री थे, जिनके कहने पर अमरेन्द्र प्रताप सिंह फिर से टाटा टेल्को कंपनी में नौकरी करने लगे. इस शहर में मजदूरों की एक बड़ी हड़ताल हुई, जिसमें मजदूर संघ के नेता के रूप में अमरेन्द्र प्रताप​ सिंह ने हड़ताल का नेतृत्व किया. इसके बाद उनकी यहां से नौकरी चली गई. यहीं से उनके राजनैतिक जीवन की शुरुआत हुई.

1991 में हार गए पहला चुनाव

अमरेन्द्र प्रताप​ सिंह ने जनसंघ पार्टी ज्वाइन की और 1991 में झारखंड की जमशेदपुर लोकसभा से चुनाव लड़ा, लेकिन वे चुनाव हार गए. इसके बाद पार्टी ने उन्हें बिहार संगठन का प्रभार सौंपा. अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने 2000 में आरा विधानसभा से चुनाव लड़ा. जीत भी गए. इसके बाद से अमरेंद्र प्रताप सिंह आरा विधानसभा सीट से चार बार चुनाव जीते. लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में वो महागठबंधन के आरजेडी प्रत्याशी अनवर आलम से बहुत ही कम वोटों के अंतराल से चुनाव हार गए. 

इस बार भी दिलचस्प होगा मुकाबला

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में आरा विधानसभा सीट से दिलचस्प मुकाबला होगा. जहां भारतीय जनता पार्टी अपने इस पुराने किले पर झंड़ा फहराने के लिए आतुर है, तो वहीं महागठबंधन समर्थित सीपीआई (एमएल) के उम्मीदवार मोहम्मद क्यामुद्दीन अंसारी को चुनावी मैदान में उतारा है. क्यामुद्दीन अंसारी ने सदर प्रखंड पहुंच कर निर्वाचन कार्यालय में नामांकन दाखिल किया है.

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