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बीजेपी नीतीश की अगुवाई में लड़ेगी बिहार चुनाव, महागठबंधन में तेजस्वी पर रार

कोरोना संकट के बीच बिहार विधानसभा चुनाव के लिए शह-मात का खेल शुरू हो गया है. नीतीश कुमार की अगुवाई में चुनाव मैदान में उतरने के लिए एनडीए के सभी दल एकमत हैं तो वहीं महागठबंधन में अभी तक मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी पर सहमति नहीं बन पा रही है. हालांकि आरजेडी ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का साफ संदेश दे दिया है.

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जीतनराम मांझी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव
जीतनराम मांझी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव

  • बिहार में नीतीश की अगुवाई में चुनाव लड़ेगी बीजेपी
  • महागठबंधन में सीट से लेकर CM चेहरे पर घमासान

कोरोना संकट के बीच बिहार विधानसभा चुनाव के लिए शह-मात का खेल शुरू हो गया है. नीतीश कुमार की अगुवाई में चुनाव मैदान में उतरने के लिए एनडीए के सभी दल एकमत हैं तो वहीं महागठबंधन में अभी तक मुख्यमंत्री पद के प्रत्याशी पर सहमति नहीं बन पा रही है. आरजेडी तेजस्वी यादव के चेहरे के सहारे चुनावी मैदान में उतरने को लेकर अपनी मंशा कई बार जाहिर कर चुकी है. इसके बावजूद महागठबंधन में शामिल जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा ने अभी तक अपनी सहमति नहीं दी है.

आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के संकटमोचक कहे जाने वाले पार्टी के नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने शनिवार को महागठबंधन के अपने सहयोगियों को दो टूक कह दिया कि बिहार में महागठबंधन का चेहरा तेजस्वी यादव ही हैं और आगे भी रहेंगे. ऐसे में अब जिसको जो करना हो वो कर ले. माना जा रहा है कि रघुवंश प्रसाद सिंह ने ये संदेश जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा के लिए दिया है, जो तेजस्वी को महागठबंधन का नेता मानने के लिए तैयार नहीं हैं.

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रघुवंश प्रसाद सिंह ने महागठबंधन के सहयोगी जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा का नाम लिए बगैर नसीहत देते हुए कहा है कि आप लोग आपस में बयानबाजी करने के बजाए हमारे साथ बीजेपी से लड़ने की रणनीति बनाएं. अब ये सोचने का वक्त नहीं, क्योंकि महागठबंधन का चेहरा तेजस्वी ही हैं और रहेंगे, इसको लेकर आपलोगों को कंफ्यूजन क्यों है?

रघुवंश प्रसाद ने ये भी कहा कि आरजेडी के भीतर तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने पर 5 बार प्रस्ताव पारित हो चुका है. रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा कि चुनाव में अपनी सीटों को बढ़ाने के लिए ये नेता कुछ-कुछ बयानबाजी करते रहते हैं. जब जनता ने तय कर लिया है कि तेजस्वी यादव को बिहार का अगला मुख्यमंत्री बनाना है, तो फिर भ्रम कैसा? उन्होंने कहा कि वैसे भी नेता वही होता है जिसके पास वोट होता जो तेजस्वी के पास है.

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आरजेडी ने रघुवंश प्रसाद के जरिए इशारों- इशारों में जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा को ये भी बता दिया कि अगर वो मुख्यमंत्री पद का ख्वाब देख रहे हैं तो उसे छोड़ दें क्योंकि उनके पास जनता का वोट नहीं है. इसके अलावा उन्होंने यह साफ कर दिया है कि इसके पीछे सहयोगी दल सीटों की बार्गेनिंग के लिए दबाव की रणनीति के तहत काम कर रहे हैं.

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बता दें कि एनडीए में भी सीट शेयरिंग का फॉर्मूला अभी तय नहीं है, लेकिन बीजेपी ने पहले ही नीतीश कुमार के नाम पर ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है. वहीं, महागठबंधन में सीट बंटवारे से लेकर सीएम के चेहरे तक पर घमासान मचा हुआ है. जीतन राम मांझी, उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश साहनी ही नहीं बल्कि कांग्रेस ने भी तेजस्वी को लेकर अभी तक अपना नजरिया साफ नहीं किया है.

2015 का विधानसभा चुनाव नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस ने मिलकर लड़ा था. महागठबंधन में सीट शेयरिंग के तहत कुल 242 सीटों में आरजेडी और जेडीयू ने 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ा था जबकि बाकी 40 सीटों पर कांग्रेस ने अपने कैंडिडेट उतारे थे. इस बार समीकरण बदल गए हैं. जेडीयू एनडीए का हिस्सा है और उपेंद्र कुशवाहा, जीतन राम मांझी और मुकेश साहनी महागठबंधन के साथ खड़े हैं.

जेडीयू के महागठबंधन से अलग होने के बाद उसकी 101 सीटों पर महागठबंधन के बाकी सहयोगी दलों की नजर है. कांग्रेस और आरजेडी भी पहले से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने के मूड में है. इस बार के चुनाव में आरजेडी 150 के करीब सीटों पर तैयारी कर रही है तो कांग्रेस ने भी 50 से ज्यादा सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारने का मन बनाया है. ऐसे में महागठबंधन के बाकी सहयोगी के लिए खाते में महज 40 के करीब सीटें बचती हैं. उपेंद्र कुशवाहा की आरएलएसपी के खाते में 20 और जीतन राम मांझी और मुकेश साहनी की पार्टी को 10-10 सीटें मिल सकती है. यही वजह है कि महागठबंधन में रार जारी है.

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