
पश्चिम बंगाल में 30 सीटों पर पहले चरण के तहत 27 मार्च को वोट डाले जाएंगे. ज्यादातर सीटें पांच जिलों बांकुड़ा, पुरुलिया, झारग्राम, पश्चिमी और पुर्वी मिदनापुर में है. जंगल महल एरिया के नाम से मशहूर इन इलाकों में आदिवासी समुदाय का वोट काफी मायने रखता है. कभी वाम मोर्चे का गढ़ रहे इन इलाको में पिछले दो विधानसभा चुनावों से सत्तारूढ़ ममता बनर्जी के नेतृत्त्व वाले तृणमूल कांग्रेस का बोलबाला रहा है लेकिन हाल के लोकसभा चुनाव से संकेत मिलता है कि इस इलाके में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का दबदबा बढ़ता जा रहा है.
पहले चरण की 30 सीटो में से 27 सीटों पर टीएमसी का कब्जा है. बाकी दो पर सीपीएम के नेतृत्व वाले लेफ्ट फ्रंट के घटक दलों कांग्रेस (2) और रेवुल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी (1) है.

पहले चरण की पांच खास सीटें
पुरुलिया
पहले चरण के बंगाल विधानसभा में सबकी नजरें पुरुलिया सीट पर टिकी हैं. चुनाव से पहले होने वाली उठापटक और दलबदल का इस सीट पर भी असर हुआ है. 2016 के चुनावों में इस सीट पर कांग्रेस के सुदीप मुखर्जी को सफलता मिली थी. कांग्रेस उम्मीदवार ने करीब 45 फीसदी वोट के साथ टीएमसी के ज्योति प्रसाद सिंह देव को पराजित किया था. उस चुनाव में टीएमसी को 42 फीसदी वोट पड़े थे जबकि बीजेपी को 7 फीसदी वोट पाकर संतोष करना पड़ा था.
इस बार सुदीप मुखर्जी ने कांग्रेस का ‘हाथ’छोड़कर कमल का दामन थाम लिया है. कांग्रेस ने बीजेपी के सुदीप मुखर्जी को चुनौती देने के लिए पार्था प्रीतम बनर्जी को मैदान में खड़ा किया है, जबकि टीएमसी ने सुजय बनर्जी को मैदान में उतारा है. यह विधानसभा सीट पुरुलिया लोकसभा सीट के तहत आती है जिस पर 2019 में बीजेपी के ज्योतिर्मय सिंह ने जीत हासिल की है. ऐसे में कांग्रेस के विधायक का बीजेपी में शामिल होने के बाद इस सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला होने की संभावना है.
बांघमुंडी
दो बार से यह विधानसभा सीट कांग्रेस उम्मीदवार नेपाल चंद्र महतो के पास है. यह सीट भी पुरुलिया लोकसभा के तहत आती है जिस पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी. इस बार के बदले हुए राजनीतिक माहौल में टीएमसी ने सुशांत महतो को खड़ा किया है जबकि बीजेपी ने यह सीट अपने सहयोगी एजेएसयू के लिए छोड़ दिया है. एजेएसयू की ओर से इस सीट पर आशुतोष महतो अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. पिछले चुनाव में कांग्रेस ने 47 फीसदी वोट के साथ जीत हासिल की थी जबकि टीएमसी 43 फीसदी वोट के साथ दूसरे स्थान पर थी. जबकि बीजेपी को इस सीट पर 6 फीसदी वोट मिले थे.
खड़गपुर
खड़गपुर की विधानसभा सीट मेदनीपुर लोकसभा में आती है जहां से बंगाल बीजेपी अध्ययक्ष दिलीप घोष सांसद हैं. हालांकि खड़गपुर विधानसभा सीट टीएमसी के पास है जहां से दिनेन रॉय ने सीपीएम के सजाहन अली को हराकर जीत हासिल की थी. इस बार बीजेपी के उम्मीदवार तपन भुया का मुकाबला करने के लिए टीएमसी ने दिनने रॉय खड़ा किया है.
मेदनीपुर
टीएमसी ने अपने मौजूदा विधायक मृगेंद्रनाथ मैएती की जगह बीजेपी के सामित कुमार दास के खिलाफ एक्टर जुने मलिहा को खड़ा किया है.
खेजुरी
पूर्वी मेदनीपुर जिले की इस विधानसभा सीट पर टीएमसी ने बीजेपी के सांतनु प्रमाणिक और सीपीएम के हिमांग्सु दास की जगह पार्था प्रीतम दास को खड़ा किया है. कांटी लोकसभा सीट के तहत आने वाली इस सीट कई मायनों में महत्वपूर्ण है. कांटी लोकसभा सीट शिशिर अधिकारी के पास है जो विधानसभा चुनावों से ठीक पहले बीजेपी में शाीमिल हो चुके हैं. इस बनते बिगड़ते समीकरण के बीच टीएमसी ने खेजुरी से अपने विधायक रंजीत मंडल की जगह पार्था प्रीतम दास को टिकट दिया है.

जोखिम वाली सीटें
पहले चरण दो ऐसी सीटें हैं जहां पिछले विधानसभा चुनाव में हार और जीत का अंतर पांच हजार वोट से नीचे था. एक सीट पुरुलिया है और दूसरी छांटना. लेफ्ट फ्रंट की ओर से कांग्रेस विधायक सुदीप मुखर्जी ने 4,992 वोटों के अंतर के साथ टीएमसी को हराया था. जबकि छांटना सीट पर लेफ्ट फ्रंट के सहयोगी दल आरएसपी के धीरेंद्र नाथ लायक ने टीएमसी के सुभाशिष बाटाबायल को महज 2,417 सीट से हराया था.

दागी उम्मीदवार
पश्चिम बंगाल में पहले चरण के चुनाव में हर चौथे उम्मीदवार का आपराधिक रिकॉर्ड है. उम्मीदवारों के एफिडेविट के आधार पर जानकारी जुटाने वाली संस्था एसोशिएशन पर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म (एडीआर) के मुताबिक 30 सीटों में से 10 ऐसी सीटें हैं जहां कम से कम 5 आपराधिक रिकॉर्ड वाले उम्मीदवार खड़े हैं. खेजुरी विधानसभा सीट पर सबसे अधिक 34 दागी उम्मीदवार है जबकि सलबोनी में 20, खड़गपुर में 16 और गारबेटा में 8 ऐसे उम्मीदवार हैं जिन्होने अपने खिलाफ चलने वाले आपरधिक मामलों की जानकारी चुनाव आयोग से साझा की है.

एडीआर के मुताबिक पहले चरण के कुल 191 उम्मीदवारों में से 48 पर आपराधिक और 42 पर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं. एडीआर के मुताबिक पहले चरण में 19 करोड़पति उम्मीदवार जबकि चार ऐसे भी हैं जिनके पास जीरो एसेट (संपत्ति) है.
राज्य की 294 सीटों वाली पश्चिम बंगाल विधानसभा के लिए 8 चरणों में 27 से लेकर 29 अप्रैल के बीच वोट डाले जाएंगे. जबकि वोट की गिनती का काम 2 मई को शुरू होगा.