पश्चिम बंगाल और असम विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण का प्रचार का शोर मंगलवार शाम थम जाएगा. इन दोनों ही राज्यों में दूसरे फेज की वोटिंग गुरुवार को होनी है. बंगाल की 30 विधानसभा सीटों पर 171 प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं जबकि असम की 39 सीटों पर 345 उम्मीदवार मैदान में है. बंगाल में टीएमसी की साख दांव पर है तो असम में बीजेपी के सामने अपनी प्रतिष्ठा बचाए रखने की चुनौती है.
दूसरे चरण में टीएमसी की साख दांव पर
पश्चिम बंगाल चुनाव में दूसरे चरण में चार जिलों की कुल 30 विधानसभा सीटों पर पहली अप्रैल को मतदान होगा. इनमें नौ सीट पूर्वी मेदिनीपुर जिले की हैं जबकि बांकुरा की 8 सीटों, पश्चिमी मेदिनीपुर की 9 सीटों और साउथ 24 परगना की 4 सीटों पर चुनाव होने हैं. पिछले चुनाव में इस इलाके में टीएमसी ने क्लीन स्वीप किया था, लेकिन इस बार का समीकरण काफी बदला हुआ है. बीजेपी को इस इलाके से काफी उम्मीदे हैं. मतुआ समुदाय का वोट दूसरे चरण की सीटों पर काफी अहम माना जा रहा है.
नंदीग्राम में ममता बनाम शुभेंदु की फाइट
दूसरे चरण में बंगाल की सबसे हाई प्रोफाइल सीट मानी जा रही नंदीग्राम सीट भी शामिल है, जहां मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और बीजेपी से शुभेंदु अधिकारी आमने-सामने हैं. यही नहीं दूसरे चरण में शुभेंदु अधिकारी की साख भी दांव पर है, क्योंकि उनके गढ़ में चुनाव होने हैं.
नंदीग्राम सीट जीतने के लिए ममता कोई कसर नहीं छोड़ना चाहती हैं. इसीलिए वह रविवार से ही नंदीग्राम में डेरा जमाए हुए हैं और ताबड़तोड़ चुनावी रैलियां और रोड शो कर रही हैं. ममता ने खुद कहा कि मैं एक अप्रैल को वोटिंग होने तक नंदीग्राम में ही रहूंगी और वोटिंग के बाद यहां से जाऊंगी. इससे साफ जाहिर होता है कि ममता बनर्जी नंदीग्राम सीट पर किसी तरह का जोखिम भरा कदम नहीं उठाना चाहती हैं.
दूसरी ओर प्रचार के अंतिम दिन मंगलवार को बीजेपी प्रत्याशी शुभेंदु अधिकारी के समर्थन में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी नंदीग्राम में रैली व रोड शो करने जा रहे हैं. इसके अलावा हाल में भाजपा में शामिल होने वाले दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती भी नंदीग्राम में रोड शो कर माहौल बनाने की कवायद करेंगे.
डोबरा में दो पूर्व आईपीएस के बीच फाइट
नंदीग्राम के साथ ही कई अहम विधानसभा सीट हैं, जिन पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं. इनमें डेबरा विधानसभा सीट भी शामिल है. इस बार यहां से दो पूर्व आईपीएस के बीच जंग होने वाली है. दोनों सीआईडी में एक-दूसरे के साथ अपराधियों के खिलाफ काम कर चुके हैं. अब, दोनों पूर्व आईपीएस चुनावी मैदान में आमने-सामने खड़े हैं.
बीजेपी ने डेबरा से पूर्व आईपीएस अधिकारी भारती घोष को चुनावी मैदान में उतारा है तो वहीं टीएमसी ने भी पूर्व आईपीएस अधिकारी हुमायूं कबीर पर दांव खेला है. भारती घोष वर्ष 2019 से राजनीति में हैं. उन्होंने 2019 में घाटाल से बीजेपी की तरफ से लोकसभा चुनाव भी लड़ा था. हालांकि उन्हें पराजित होना पड़ा था. वहीं हुमायूं कबीर पहली बार राजनीति में कदम रख रहे हैं. कुछ महीने पहले ही हुमायूं कबीर ने हुगली पुलिस कमिश्नरेट से सीपी के पद से इस्तीफा देने के साथ ही आईपीएस के पद से भी रिजाइन कर दिया था. इसके बाद ही उन्होंने टीएमसी ज्वाइन कर ली. इस बार टीएमसी ने डेबरा से हुमायूं कबीर को भारती घोष के खिलाफ खड़ा किया है.
असम में बीजेपी की साख दांव पर
वहीं, असम विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की 39 सीटों के लिए 345 उम्मीदवार मैदान में हैं, जहां एक अप्रैल को वोटिंग होनी है. असम में बीजेपी के अगुवाई वाले एनडीए और कांग्रेस गठबंधन के बीच कांटे का मुकाबला है. कांग्रेस इस बार बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट्र, ऑल इंडिया युनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट और लेफ्ट पार्टियों के साथ मिलकर चुनावी मैदान में है जबकि बीजेपी असम गणपरिषद के साथ उतरी है.
असम के दूसरे चरण की हाई प्रोफाइल सीट
असम के दूसरे चरण में बीजेपी के साथ-साथ पार्टी के दिग्गज नेताओं की साख भी दांव पर लगी है. बीजेपी से मंत्रियों परीमल सुकलावैद्य (ढोलाई), भावेश करलिता (रांगिया), पिजुष हजारिका (जागीरोड) और विधानसभा उपाध्यक्ष अमिनुल हक लस्कर (सोनाई) से किस्मत आजमा रहे हैं.
इसके अलावा दिगंत कालिता (कमलापुर), रमाकांत देवरी (मोरीगांव), जीतु गोस्वामी (ब्रह्मपुर), मिहिर कांती शोम (उधारबोंड), गौतम रॉय (काटीगोड़ा), नंदिता गारसोला (हाफलांग) और जयंत मल्ला बरुआ (नलबाड़ी). एजीपी के अजीज अहमद खान (करीमजंग दक्षिण) से हैं. भाजपा से टिकट नहीं मिलने के बाद पार्टी छोड़ने वाले विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष दिलीप कुमार पॉल सिलचर से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.