प्रशांत किशोर ने बिहार की जनता को संबोधित करते हुए अपने राजनीतिक सफर और भविष्य की योजनाओं पर प्रकाश डाला. उन्होंने बताया कि कैसे उन्होंने अलग-अलग मुख्यमंत्रियों को सत्ता में लाने में मदद की, लेकिन तीन साल पहले उस काम को छोड़ दिया. उनका मानना है कि केवल नेता या दल के जीतने से जनता का जीवन नहीं बदलता है.