बिहार की राजनीति में दशकों से जाति एक निर्णायक कारक रही है, जिसकी कहानी कर्पूरी ठाकुर, लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार जैसे नेताओं के इर्द-गिर्द घूमती है. ऐसे में सवाल है कि क्या 2025 के बिहार चुनाव में नए और युवा मतदाता इस जातिगत समीकरण को बदल पाएंगे या बिहार की राजनीति इसी धुरी पर घूमती रहेगी?