बिहार का विधानसभा चुनाव अब राजनीति के 'महाभारत' में बदल गया है. पीएम मोदी और सीएम नीतीश कुमार की जोड़ी एनडीए के चुनाव प्रचार अभियान को धार देने में जुटी है तो महागठबंधन से तेजस्वी यादव अभी तक अकेले ही सियासी नैया के खेवनहार बने हुए हैं. ऐसे में तेजस्वी को चुनावी रण में एक ऐसे 'कृष्ण' की दरकार है, जो उनका सारथी बनकर सत्ता के सिंहासन तक पहुंचा सके?
कांग्रेस नेता राहुल गांधी बुधवार से एक बार फिर बिहार के चुनाव प्रचार में उतर रहे हैं. 24 सितंबर को पटना में कांग्रेस की सीडब्ल्यूसी की बैठक के बाद से राहुल गांधी ने बिहार से दूरी बना ली थी, लेकिन अब एक महीने के बाद फिर से वे बिहार चुनाव में सक्रिय होने जा रहे हैं.
राहुल गांधी बुधवार से महागठबंधन के चुनावी प्रचार अभियान को धार देने के लिए उतर रहे हैं. राहुल गांधी के साथ तेजस्वी यादव सहित महागठबंधन के दूसरे नेता भी साथ मंच साझा करेंगे. एक बार फिर महागठबंधन अपनी एकजुटता का संदेश देने और बिहार की चुनावी जंग फ़तह करने के लिए यह रणनीति बना रहा है.
बिहार के रणभूमि में राहुल गांधी
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बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग से सात दिन पहले राहुल गांधी मुजफ़्फरपुर से मिशन-बिहार का आगाज करने जा रहे हैं. राहुल गांधी मुज़फ़्फ़रपुर के सकरा और उसके बाद दरभंगा में महागठबंधन के उम्मीदवारों के समर्थन में रैली करेंगे. इस दौरान राहुल के साथ आरजेडी नेता व महागठबंधन के सीएम चेहरा तेजस्वी यादव और डिप्टी सीएम मुकेश सहनी भी नज़र आएंगे.
राहुल गांधी के साथ ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और प्रियंका गांधी सहित तमाम कांग्रेस के बड़े नेता बिहार विधानसभा चुनाव में पार्टी उम्मीदवार और महागठबंधन के पक्ष में प्रचार के लिए उतर रहे हैं. राहुल और प्रियंका के भाई-बहन की जोड़ी अब अगले दस दिनों तक बिहार में ताबड़तोड़ रैली करने की प्लानिंग कर रखी है.
राहुल की दूरी से ठंडा पड़ गया था जोश
राहुल गांधी बिहार में एक महीने से ज्यादा दिन के बाद आ रहे हैं, जहां उनकी पार्टी और महागठबंधन विधानसभा चुनाव को लेकर काफी उम्मीदें लगाए बैठे हैं. राहुल गांधी ने बिहार में वोटर लिस्ट रीविजन (एसआईआर) के खिलाफ 17 अगस्त से 1 सितंबर तक 25 जिलों में करीब 1300 किलोमीटर की यात्रा निकाली थी.
राहुल गांधी ने तेजस्वी यादव, दीपांकर भट्टाचार्य और मुकेश सहनी के साथ 25 जिलों में 'वोटर अधिकार यात्रा' निकालकर कांग्रेस में उत्साह जगाने से लेकर महागठबंधन का हौसला बढ़ाने तक का काम किया था, लेकिन एक महीने तक उनकी गैरमौजूदगी से वह जोश ठंडा पड़ गया था, इतना ही नहीं, कांग्रेस पार्टी और गठबंधन में दरारें उभर आईं थीं. राहुल की बिहार से दूरी ने कांग्रेस की गति और आत्मविश्वास को प्रभावित किया है, जिसके चलते महागठबंधन में सीट शेयरिंग तक का मामला फंस गया था.
तेजस्वी सियासी मझधार में अकेले
राहुल गांधी की बिहार में गैरमौजूदगी ने न सिर्फ जमीनी स्तर पर कांग्रेस को प्रभावित किया है, बल्कि पार्टी के अंदर और महागठबंधन में अंतर्विरोध को भी उजागर कर दिया था. इसका सियासी असर महागठबंधन के चुनावी प्रचार अभियान पर पड़ा और तेजस्वी यादव सियासी मझधार में अकेले खड़े नजर आ रहे थे.
तेजस्वी के पिता आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव स्वास्थ्य के कारण बहुत ज़्यादा सक्रिय नहीं हैं तो भाई तेज प्रताप यादव अलग ही सियासी राह पर चल रहे हैं. इसके अलावा कांग्रेस से लेकर मुकेश सहनी सहित महागठबंधन के नेता 'अपनी ढपली अपना राग' अलाप रहे थे.
वहीं, एनडीए की तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, सीएम नीतीश कुमार और चिराग पासवान सहित एनडीए के तमाम नेता बिहार के रण में उतरकर चुनावी माहौल बनाने में जुट गए थे. ऐसे में महागठबंधन की तरफ़ से तेजस्वी यादव ही अकेले नजर आ रहे थे.
'वोटर अधिकार यात्रा' समाप्त होने के तुरंत बाद तेजस्वी ने कुछ महत्वपूर्ण ज़िलों में 'बिहार यात्रा' निकालकर जोश भरने का दांव जरूर चला था, लेकिन राहुल गांधी के साथ न होने से मामला काफा उलझ गया था. इसके चलते महागठबंधन के चुनाव प्रचार पर भी असर पड़ रहा था.
बिहार में फिर से कांग्रेस सक्रिय
बिहार के चुनावी सीन से राहुल गांधी की दूरी बनाए जाने के चलते पार्टी के कुछ नेता कांग्रेस समर्थन को फिर से जगाने के लिए राहुल गांधी की यात्रा के पुराने वीडियो प्रसारित कर रहे थे ताकि सियासी माहौल को बनाए रखा जा सके. अब महागठबंधन में सीट शेयरिंग और तेजस्वी यादव के चेहरे पर मुहर लगने के बाद राहुल गांधी दोबारा से बिहार में सक्रिय हो रहे हैं. राहुल अब तेजस्वी यादव के साथ संयुक्त रैली करने का प्लान बनाया है.
राहुल गांधी पहले दिन सकरा में कांग्रेस उम्मीदवार के लिए जनसभा करेंगे तो उसके बाद तेजस्वी यादव के साथ दरभंगा की एक सीट पर आरजेडी उम्मीदवार के लिए रैली संबोधित करेंगे. 30 अक्टूबर को भी राहुल गांधी बिहार में दो सभाएं करेंगे. इस तरह राहुल की बिहार में 12 से 14 रैली की प्लानिंग की गई है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे 31 अक्टूबर को गोपालगंज से प्रचार की शुरुआत करेंगे तो प्रियंका गांधी 1 नवंबर से बिहार के चुनाव प्रचार में उतरेंगी.
राहुल-प्रियंका गांधी की केमिस्ट्री
बिहार विधानसभा चुनाव के प्रचार में बचे हुए 10 दिनों में रोजाना ही राहुल गांधी और प्रियंका गांधी में से किसी एक का बिहार में चुनावी कार्यक्रम होता रहेगा. भाई-बहन दोनों की बिहार में लगभग बीस जनसभाएं होंगी. कांग्रेस के स्टार प्रचारकों में इन दोनों ही नेताओं की सबसे ज़्यादा डिमांड है. इसके अलावा मल्लिकार्जुन खड़गे और राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी भी महागठबंधन के पक्ष में माहौल बनाते हुए नजर आएंगे.
राहुल और प्रियंका के चुनाव अभियान जोर पकड़ने से पहले महागठबंधन में आई दरार वाली स्थिति को ख़त्म करने में जुट गई है. इसकी जिम्मेदारी तीन वरिष्ठ नेताओं को सौंपी है ताकि वोटिंग से पहले जनता के बीच यह संदेश जाए कि महागठबंधन में सब कुछ ठीक है. यही वजह है कि राहुल गांधी के साथ तेजस्वी, मुकेश सहनी एक साथ चुनावी हुंकार भरते नज़र आएंगे.
बिहार चुनाव 2025 को लेकर महागठबंधन के घोषणा पत्र का ऐलान हो गया है और अब राहुल गांधी सहित प्रियंका गांधी चुनाव प्रचार में उतर रही हैं. तेजस्वी यादव के लिए राहुल गांधी बिहार में चुनावी सारथी होंगे, क्योंकि महागठबंधन का सीएम चेहरा तेजस्वी हैं. बिहार में महागठबंधन के हर क़दम पर तेजस्वी यादव की छाप दिख रही है, चाहे पोस्टर हो या फिर घोषणा पत्र. ऐसे में राहुल गांधी क्या बिहार में महागठबंधन की सरकार बनवाने में कामयाब रहेंगे?