उधमपुर के सांसद और केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह गुरुवार को 'पंचायत आजतक' कार्यक्रम में शामिल हुए. उन्होंने 'कश्मीर में कमल खिलेगा?' नाम के सत्र में आगामी जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव को लेकर पूछे गए तमाम सवालों के जबाव दिए. केंद्र शासित प्रदेश में बीजेपी का प्रदर्शन कैसा रहेगा और सरकार बनाने की उसकी कितनी संभावना है, इन प्रश्नों पर जितेंद्र सिंह ने अपने विचार व्यक्त किए.
संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों की भी सोशल लाइफ है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के घर गणेश उत्सव में जाने को विपक्ष द्वारा मुद्दा बनाए जाने के संबंध में पूछे गए सवाल पर जितेंद्र सिंह ने कहा, 'हकीकत ये है कि विपक्ष के पास और कोई मुद्दा है नहीं और चुनाव का समय है. यह ऐसा नहीं है कि पहली बार हुआ हो, यूपीए की सरकार में तो इफ्तार पार्टियां हुआ करती थीं. वहां जज भी जाते थे, चीफ जस्टिस भी जाते थे. जब मनमोहन सिंह ने इफ्तार पार्टी की तो जस्टिस बाला सुब्रमण्यम भी गए. दूसरी बात ये है कि अगर किसी के घर में कोई फंक्शन है, मान लीजिए शादी है तो क्या जज को इस बात की भी पाबंदी है कि वह किसी को आमंत्रित नहीं कर सकता? आखिर वह भी तो समाज का ही हिस्सा है.'
उन्होंने कहा, 'संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति की भी सोशल लाइफ होती है, जिसे उसके काम के साथ जोड़कर नहीं देखना चाहिए. कल तो फिर आप कहेंगे कि जज अपने बच्चों का शादी-ब्याह भी नहीं कर सकता. क्योंकि शादी में न मालूम कौन कौन से लोग आएंगे. उनमें तो मंत्री भी होंगे, सांसद भी होंगे, अधिकारी भी होंगे. न मालूम कौन किससे फायदा ले रहा हो. तो मुझे लग रहा है कि इसे बिना वजह के मुद्दा बनाया जा रहा है. इस पर राजनीति करना मुनासिफ नहीं है. अगर संवैधानिक संस्था किसी के मिलने-जुलने से करप्ट हो जाए तो इसका मतलब की उसमें मजबूती नहीं है. अगर कार्यपालिका और न्यायपालिका राष्ट्र निर्माण में एक दूसरे का सहयोग करते हैं तो इसमें गलत क्या है.'
जम्मू-कश्मीर के लोगों में लोकतंत्र को लेकर उत्साह
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए के हटने के बाद क्या बदलाव आया है? बीजेपी दावा करती है कि यह नया कश्मीर है, तो विपक्ष कहता है कि 5 अगस्त, 2019 के फैसले के बाद कश्मीर बदहाल हुआ है. इस प्रश्न के जवाब में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, 'शायद 30 बरस के बाद यह पहली बार हो रहा है, जिसमें लोग बढ़ चढ़कर शामिल हो रहे हैं. बड़ी खुली फिजा में यह चुनाव हो रहा है. मैं कहना चाहूंगा कि यह जम्मू-कश्मीर की आवाम के लोकतांत्रिक आकांक्षाओं का प्रकटीकरण है, जो पिछले तीन दशक में सुषुप्तावस्था में चला गया था. और जो लोग यह कह रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर बदहाल है, वास्तव में वे अपनी बदहाली को बयां कर रहे हैं. क्योंकि उन्हें 8-10 फीसदी वोटर टर्नआउट के साथ चुनाव जीतने की आदत पड़ चुकी है.'
सही मायने में J-K में जम्हूरियत की फिजा अब खुली
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने आगे कहा, 'मैंने तो एक बार संसद में भी कहा था कि क्या कभी कोई ऐसा कानून आएगा या ऐसा नियम बनाया जाए कि जनप्रतिनिधि या सांसद बनने के लिए एक न्यूनतम मत प्रतिशत निर्धारित होना चाहिए. क्योंकि एक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में 18 से 20 लाख मतदाता होते हैं और जब 8-10 प्रतिशत वोटर टर्नआउट होता है, तो इसका मतलब कि सिर्फ 1 लाख लोगों ने मतदान किया. लेकिन यही लोग ऐसी स्थिति में खुश थे, जो आज कह रहे की बदहाली है. क्योंकि पुश्त दर पुश्त वंशवाद चलता रहा, 8-10 परसेंट वोट पड़ते थे, एमपी भी इनके बन जाते थे, एमएलए भी इनके बन जाते थे और सरकारें भी इनकी बन जाती थीं. लेकिन अब सही मायने में जम्मू-कश्मीर में जम्हूरियत की फिजा खुली है. डीडीसी के चुनाव में 70-80 फीसदी मतदान दर्ज हुआ, लोकसभा चुनाव में मत प्रतिशत लगभग राष्ट्रीय औसत के बराबर रहा, करीब 59-60 प्रतिशत.'
BJP ने ही सही मायने में J-K में लोकतंत्र लागू किया
केंद्रीय मंत्री ने कहा, 'पहले लगता था कर्फ्यू में चुनाव हो रहा है. इस्लामाबाद में बहिष्कार का आह्वान होता था और श्रीनगर में दुकानें और प्रतिष्ठान बंद हो जाते थे. अब उसके विपरीत है. जम्मू कश्मीर में भी उसी तरह का दृश्य अब दिखता है चुनावों में जैसा देश के किसी अन्य राज्य में होता है. असल में कश्मीर घाटी में अब जाकर लोकतंत्रिक प्रक्रिया मुख्य धारा में आई है. दूसरी बात ये कि जो लोग बदहाली की दुहाई दे रहे, ये तो जम्मू कश्मीर में सही मायने में लोकतंत्र भी नहीं ला पाये थे. बीजेपी के ही 10 सालों में यहां जिला विकास परिषद के चुनाव हुए. जिला परिषदों का गठन हुआ. उन्हें तो बताना चाहिए कि जम्मू कश्मीर को डीडीसी चुनावों के लिए 70 साल इंतजार क्यों करना पड़ा, जबकि देश के अन्य राज्यों में कबसे ये चुनाव होते आ रहे थे. यहां तो राजीव गांधी के प्रधानमंत्री रहते पंचायती राज के लिए हुए संशोधनों को भी लागू नहीं किया जा सका. जबकि यहां कांग्रेस गठबंधन सरकार का हिस्सा थी. ये संशोधन लागू होते तो केंद्र से आने वाला फंड सीधे सरपंचों के पास पहुंचता और स्थानीय स्तर पर विकास करने में मदद मिलती. यह काम भी भाजपा के शासनकाल में ही संभव हो पाया.'
जो हार रहे उन्हें प्रॉक्सी और बी टीम दिखाई दे रही
विपक्षी दल आरोप लगा रहे हैं कि भाजपा ने जम्मू-कश्मीर चुनाव के लिए किसी के साथ गठबंधन नहीं किया है लेकिन अपने प्रॉक्सी कैंडीडेट निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उतारे हैं. बीजेपी का मकसद है कि पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस के वोट बंट जाएं. इस प्रश्न के जवाब में जितेंद्र सिंह ने कहा, 'सच पूछिए तो बीजेपी कार्यकर्ता होने के नाते मुझे यह सुनकर बड़ा आनंद महसूस हो रहा है. क्योंकि ये प्रतीक है पराजय का. जो पार्टी जीत रही होती है या उसे अपनी जीत का विश्वास होता है वह ऐसी बातों में नहीं उलझती. लेकिन इनको लग रहा है कि ये हार रहे हैं, इसलिए इन्हें प्रॉक्सी और बी टीम दिखाई दे रही है.'
कश्मीर में चुनाव नहीं लड़ना बीजेपी की रणनीति
बीजेपी खुद को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बताती है, लेकिन वह कश्मीर में चुनाव क्यों नहीं लड़ रही? इस सवाल पर जितेंद्र सिंह ने कहा, 'दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होना अलग बात है और कहां चुनाव लड़ना है और कहां नहीं ये रणनीति का हिस्सा है. फिर तो ये भी कहा जा सकता है कि नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस इंडिया गठबंधन का हिस्सा हैं और कई-कई जगहों पर ये दोनों लड़ रहे, तो ये क्यों हो रहा है? वो कहेंगे ये हमारी रणनीति है कि जो फ्रेंडली फाइट में जीतेगा वह सीट उनकी. तो यह रणनीति का हिस्सा होता, कौन पार्टी कहां लड़ना चाहती है और कहां नहीं. ये केवल जम्मू-कश्मीर में नहीं है, कई और राज्यों में ऐसा होता है. कहीं हम उम्मीदवार नहीं देते, कहीं सीट दूसरे के लिए छोड़ देते हैं.'
धारा 370 एक बड़ा मेंटल ब्लॉक था: जितेंद्र सिंह
जितेंद्र सिंह ने धारा 370 और 35ए को जम्मू-कश्मीर का शेष भारत के साथ सही मायने में जुड़ाव कराने में मेंटल ब्लॉक बताया. उन्होंने कहा कि इसकी वजह से जम्मू-कश्मीर के बाहर के लोगों को लगता था कि यह कोई विशेष और अन्य राज्यों से अलग स्टेट है. जम्मू-कश्मीर के लोगों भी लगता था कि हम शेष भारत से कुछ अगल हैं. हमने धारा 370 और 35ए को समाप्त करके जम्मू-कश्मीर को भारत के साथ मेन स्ट्रीम में ला दिया और मेंटल ब्लॉक को समाप्त कर दिया. आतंकी घटनाओं के कश्मीर घाटी से जम्मू रीजन में शिफ्ट होने के सवाल पर उन्होंने कहा, 'ये सच है कि जब कश्मीर में आतंकियों को हमारे सुरक्षा बलों ने बैकफुट पर डाल दिया तो उन्होंने अपना फोकस जम्मू की ओर शिफ्ट किया. लेकिन सुरक्षा बलों ने उन्हें यहां से भी खत्म कर दिया.'