बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची के विशेष गहन परीक्षण अभियान (SIR) का दूसरा चरण पूरा हो चुका है. निर्वाचन आयोग के मुताबिक, इस चरण के दौरान कुल 15,32,438 आवेदन मिले हैं जिनमें ज्यादातर ऐसे युवा शामिल हैं जिन्होंने 18 साल की उम्र पूरी कर ली है और पहली बार वोटर बनने के योग्य हो गए हैं. इन आवेदनों में से अब तक 81,073 का निपटारा किया जा चुका है.
अयोग्य मतदाताओं के नाम पर आपत्ति दर्ज कराने के लिए प्राप्त 38,342 शिकायतों पर सात दिनों के भीतर कार्रवाई की गई है. मसौदा मतदाता सूची पर आपत्तियां दर्ज कराने की आखिरी तारीख 31 अगस्त तय की गई थी. आयोग ने बताया कि अब तक 2,07,565 आवेदन मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए आए हैं, जबकि 33,326 आवेदन नए नाम जोड़ने के लिए दाखिल किए गए हैं. शेष आवेदनों की जांच और निपटारा जारी है.
कांग्रेस की जिला इकाइयों के नेताओं ने 89 लाख वोटरों के नाम काटने का आवेदन दिया है. इस बाबत बिहार के मुख्य निर्वाचन अधिकारी यानी सीईओ ने कहा है कि सिर्फ चिट्ठी यानी पर्ची आई है. कोई सबूत या शपथ पत्र नहीं दिया है. नाम काटने की प्रक्रिया होती है. नाम काटने का आवेदन करने वाले को अपने आरोप के सबूत देने होते हैं. साथ ही शपथ पत्र भी. तभी उसी आधार पर कार्रवाई होती है. आयोग ने कहा है कि प्रक्रिया पूरी हो तो कार्यवाही आगे बढ़ाई जाए.
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निर्वाचन कानून आम नागरिकों और राजनीतिक दलों दोनों को यह अधिकार देता है कि वे अयोग्य लोगों के नाम सूची से हटाने के लिए आपत्ति दर्ज कर सकें. साथ ही, जिन लोगों का नाम किसी वजह से सूची में शामिल नहीं हो पाया है, वे खुद को जोड़ने के लिए आवेदन कर सकते हैं.
1 अगस्त को जारी मसौदा मतादाता सूची में 65 लाख नाम कम थे
मसौदा मतदाता सूची 1 अगस्त 2025 को प्रकाशित की गई थी. इसमें कुल 7.24 करोड़ नाम दर्ज हैं, जो पहले की तुलना में करीब 65 लाख कम हैं. 24 जून को जारी SIR आदेश के अनुसार, 2003 के बाद पंजीकृत सभी मतदाताओं को अपनी जन्मतिथि और जन्मस्थान का प्रमाण देना अनिवार्य है. वहीं, 1 जुलाई 1987 के बाद जन्मे लोगों को अपने माता-पिता के दस्तावेज भी जमा करने होंगे, ताकि उनकी नागरिकता की पुष्टि की जा सके.
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अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को जारी की जाएगी
निर्वाचन आयोग के मुताबिक, मसौदा सूची 1 सितंबर 2025 तक "दावों और आपत्तियों" के लिए खुली रहेगी. इसके बाद 30 सितंबर को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी. यह सूची ही नवंबर में प्रस्तावित बिहार विधान सभा चुनाव के लिए आधार बनेगी. मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 23 नवंबर तक है.