scorecardresearch
 

वोटर लिस्ट से काटे जा सकते हैं 58 लाख से ज्यादा मतदाताओं के नाम, बंगाल में आज जारी होगा SIR का ड्राफ्ट रोल

पश्चिम बंगाल में 2026 विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने राज्यव्यापी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) पूरा कर लिया है और आज आयोग प्रारूप मतदाता सूचियां (ड्राफ्ट इलेक्टोरल रोल्स) जारी करेगा. अधिकारियों ने बताया कि अभी तक 58 लाख से अधिक नाम मृत, स्थानांतरित, डुप्लीकेट या फॉर्म न जमा करने जैसे कारणों के चलते काटने के लिए चिह्नित किए गए हैं.

Advertisement
X
पश्चिम बंगाल में आज जारी होगा SIR का ड्राफ्ट रोल. (File Photo: ITG)
पश्चिम बंगाल में आज जारी होगा SIR का ड्राफ्ट रोल. (File Photo: ITG)

पश्चिम बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग द्वारा की जा रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर राज्य राजनीतिक रणभूमि बना हुआ है. इसी बीच मंगलवार को चुनाव आयोग राज्य की ड्राफ्ट मतदाता सूची प्रकाशित करने जा रहा है, जिसमें 58 लाख से ज्यादा मतदाताओं के नाम कटने की आशंका है, जबकि आयोग ने 1.7 करोड़ मतदाताओं की दोबारा जांच करने का निर्देश दिया है. 

चुनाव अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि अंतिम तैयारी पूरी हो चुकी है और ड्राफ्ट सूची को आंतरिक बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) ऐप पर अपलोड कर दिया गया है, जिससे अधिकारी बूथ-वार मतदाता डेटा देख सकेंगे. राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय ने जिला स्तर की वेबसाइट्स भी सक्रिय कर दी हैं, ताकि मतदाता मंगलवार से ऑनलाइन अपनी जानकारी जांच सकें.

शुरू होगा दावे और आपत्तियों का चरण

ड्राफ्ट सूची के प्रकाशन से गणना चरण समाप्त हो जाएगा और अब दावे-आपत्तियां तथा सुनवाई का चरण शुरू होगा जो फरवरी 2026 तक चलेगा. इस दौरान विसंगतियों वाले मतदाताओं को सत्यापन के लिए बुलाया जाएगा. अंतिम मतदाता सूची अगले साल 14 फरवरी को प्रकाशित होने की संभावना है.

एसआईआर प्रक्रिया 4 नवंबर से शुरू हुई थी, जब आयोग ने 27 अक्टूबर को कार्यक्रम घोषित किया था. उस वक्त राज्य में मतदाताओं की संख्या 7,66,37,529 थी. सभी मतदाताओं के लिए गणना फॉर्म छपवाए गए और बीएलओ ने घर-घर जाकर वितरित किए.

अधिकारियों के अनुसार, जिन मतदाताओं ने हस्ताक्षरित फॉर्म जमा किया (भले ही आंशिक रूप से भरा हो), उन्हें ड्राफ्ट सूची में रखा गया है, लेकिन उनकी जानकारी आगे सत्यापित की जाएगी.

आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि 30 लाख से अधिक मतदाताओं को नो-मैपिंग श्रेणी में रखा गया है, क्योंकि उनके नाम 2002 की मतदाता सूची से लिंक नहीं हो सके. इनकी सुनवाई बुधवार से शुरू होगी.

Advertisement

1.7 करोड़ मतदाताओं की फिर होगी जांच

इसके अलावा करीब 1.7 करोड़ मतदाताओं को विभिन्न स्तरों पर जांच के दायरे में रखा गया है. ड्राफ्ट सूची प्रकाशित होने के बाद बीएलओ घर-घर जाकर इनकी दोबारा जांच करेंगे. नाम हटाने का पैमाना भी ध्यान खींच रहा है.

काटे जा सकते हैं 58 लाख मतदाताओं के नाम

ताजा स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, ड्राफ्ट सूची में 58 लाख से अधिक नाम हटाने के लिए चिह्नित किए गए हैं, मुख्य रूप से मृत, स्थानांतरित, पता न मिलने वाले, डुप्लिकेट और फॉर्म न जमा करने वाले मतदाताओं के. इस लिस्ट में उन लोगों के नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने जनगणना प्रपत्र जमा नहीं किए हैं.

बीएलओ अधिकार रक्षा समिति के एक सदस्य ने पत्रकारों को बताया, 'हमारा आकलन है कि मसौदा सूची में लगभग 59 लाख नाम हटाए गए के रूप में दिखाई देंगे.'

चुनाव अधिकारियों ने जोर दिया कि ड्राफ्ट में शामिल होना फाइनल लिस्ट में बने रहने की गारंटी नहीं है और सभी चिह्नित मतदाताओं को अपनी बात रखने का मौका मिलेगा.

मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पिछले हफ्ते कहा था कि वेरिफिकेशन के दौरान 56 लाख से ज्यादा मतदाता 'अनकलक्टिबल' पाए गए, जिनमें मृत्यु, राज्य से बाहर स्थानांतरण, पता न मिलना और डुप्लिकेट मामले शामिल हैं.

Advertisement

अधिकारियों का कहना है कि सभी जिलों में एक समान रूप से नियम अपनाए गए हैं और अंतिम परिणाम सुनवाई पर निर्भर करेंगे.

राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप शुरू

ड्राफ्ट सूची सार्वजनिक होने से पहले ही पिछले सप्ताह जारी विधानसभा-वार हटाए गए नामों के आंकड़ों ने राजनीतिक रंग ले लिया है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की भवानीपुर सीट पर हटाए गए नाम विपक्षी नेता सुवेंदु अधिकारी की नंदीबाग सीट से काफी अधिक हैं, जिसने 2021 के कड़े मुकाबले की यादें ताजा कर दी हैं.

हालांकि, चुनाव अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि भवानीपुर सबसे प्रभावित सीट नहीं है. उत्तर कोलकाता की चौरंगी सीट में सबसे अधिक नाम हटाए गए, उसके बाद कोलकाता पोर्ट और टॉलीगंज हैं. बीजेपी शासित सीटों में आसनसोल दक्षिण और सिलिगुड़ी में भी काफी नाम हटाए गए हैं. जिला-वार दक्षिण 24 परगना में सबसे अधिक और बांकुरा के कोतुलपुर में सबसे कम नाम हटाए गए हैं.

90 हजार से ज्यादा BLO तैनात

आयोग ने बताया कि एसआईआर के लिए राज्य भर में 90,000 से अधिक बीएलओ तैनात किए गए थे. कर्मचारी संघ और मतदाता समूह अब सुनवाई चरण के लिए तैयार हो रहे हैं.

वोट वर्कर्स यूनाइटेड फोरम के महासचिव स्वपन मंडल ने कहा कि बीएलओ को नोटिस जारी करने और बड़ी संख्या में सुनवाई का प्रबंधन करने की आवश्यकता होगी, जिससे विवादित मामलों के निपटान को लेकर चिंताएं पैदा होंगी.

राज्य में मतदाता सूची से काटे जा रहे नामों की तुलना बिहार की जा रही है, जहां इसी साल एसआईआर में 65 लाख नाम ड्राफ्ट से बाहर रह गए थे, जिससे राजनीतिक विरोध हुआ था.

---- समाप्त ----
Live TV

Advertisement
Advertisement