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असमः 3 चरणों में होंगे मतदान, CAA-NRC समेत इन मुद्दों पर लड़े जाएंगे चुनाव

असम में सिर्फ चाय पर चर्चा नहीं होती है बल्कि यहां चाय पर खर्चे और कमाई की बात भी होती है. राहुल गांधी भी अपनी रैली में चाय खेती से जुड़े मजदूरों की आवाज उठा चुके हैं. कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने चाय मजदूरों की आय बढ़ाने का वादा किया है.

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असम में बीजेपी के सामने दुर्ग बचाने की बड़ी चुनौती होगी (सांकेतिक-पीटीआई)
असम में बीजेपी के सामने दुर्ग बचाने की बड़ी चुनौती होगी (सांकेतिक-पीटीआई)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • बीजेपी के एजेंडे में अवैध प्रवासी और लव जिहाद
  • कांग्रेस असम में सीएए को बना रही मुख्य चुनावी मुद्दा
  • 3 चरणों में होगा विधानसभा चुनाव, 2 मई को रिजल्ट

विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है और इस विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा चर्चा भले ही पश्चिम बंगाल की हो लेकिन उससे सटा राज्य असम भी कम महत्वपूर्ण नहीं है. सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए असम में अपने इस दुर्ग को बचाने की बड़ी चुनौती होगी.

बीजेपी नॉर्थ ईस्ट में असम के रूप में अपने इस दुर्ग को बचाना चाहती है, लेकिन सत्ता में वापसी की कोशिशों में लगी कांग्रेस ने AIUDF के बदरुद्दीन अजमल के साथ गठबंधन करके सियासी जंग को दिलचस्प बना दिया है.

असम में इस बार होने वाले चुनाव में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के अलावा अवैध प्रवासी और मूल निवासी को जमीनी हक देने का मुद्दा छाए रहने की संभावना है.

असम में चुनाव के दौरान सीएए के खिलाफ भी आवाज उठ रही है. यही वजह है कि कांग्रेस ने सीएए को अपना प्रमुख एजेंडा बना लिया है. इसे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने दिसंबर 2019 में पास किया था. इस कानून में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के शरणार्थियों को भारत की नागरिकता देने की व्यवस्था की गई है. इन देशों के हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी धर्म के शरणार्थियों को ही नागरिकता देने का नियम है. इसमें मुस्लिमों को नहीं जोड़ा गया था.

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सीएए के साथ-साथ एनआरसी का मुद्दा भी चुनाव का हिस्सा बनने के आसार हैं. हालांकि विवादों के बीच चुनाव आयोग ने कहा है कि जिन लोगों के नाम एनआरसी में नहीं हैं, वो भी वोट दे सकेंगे. बीजेपी इससे खुश नहीं है लेकिन कांग्रेस और AIDUF ने इस फैसले से खुश है.

लव जिहाद का मुद्दा
लव जिहाद का मुद्दा यहां भी काफी गरम हो गया है. यूपी और एमपी में इसको लेकर कानून भी आ गया है. बीजेपी अब असम में भी लव जिहाद को प्रमुख एजेंडे में रख रही है. बीजेपी के प्रमुख चेहरे हिमंता बिस्वा शर्मा ने पहले ही कहा दिया है कि हम ये सुनिश्चित करेंगे की शादी करने वाला लड़का अपनी पहचान जरूर बताए और इससे जुड़ा बिल भी विधानसभा में पास करेंगे. 

इसके अतिरिक्त असम में कुछ समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग उठ सकती है. छह समुदायों के एसटी स्टेटस को लेकर राज्य में मांग उठती रही है लेकिन अभी तक पूरी नहीं हो सकी है. जिन छह समुदायों को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग है उनमें अहोम, मोरान, मतक, कुश-राजवंशी, टी-ट्राइब और सूतिया शामिल हैं. वर्तमान बीजेपी सरकार में इसके लिए मंत्रियों का समूह भी बनाया गया था लेकिन अब तक इसका हल नहीं निकल सका. 

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ये अन्य मुद्दे भी अहम रहेंगे
असम में चुनाव के दौरान गोरखा ऑटोनोमस काउंसिल और असम चाय उद्योग से जुड़े मुद्दे छाए रह सकते हैं. असम में सिर्फ चाय पर चर्चा नहीं होती है बल्कि यहां चाय पर खर्चे और कमाई की बात भी होती है. राहुल गांधी भी अपनी रैली में चाय खेती से जुड़े मजदूरों की आवाज उठा चुके हैं. कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने चाय मजदूरों की आय बढ़ाने का वादा किया है.

चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही कांग्रेस ने जहां सीएए और स्थानीय मुद्दों को अपने चुनावी अभियान का प्रमुख हथियार बनाया है तो वहीं अवैध प्रवासी और लव जिहाद जैसे मुद्दे सत्तारुढ़ बीजेपी के एजेंडे में सबसे ऊपर हैं.

असम में सत्तारुढ़ बीजेपी और उसके सहयोगी दल हैं तो दूसरी तरफ कांग्रेस ने इस बार बदरुद्दीन अजमल और लेफ्ट दलों से करार कर लिया है. अजमल मुस्लिम समुदाय का बड़ा चेहरा हैं और उनकी पार्टी AIUDF की स्थिति राज्य में मजबूत रही है. ऐसे में बीजेपी और AIUDF नेताओं के बीच वार-पलटवार जारी हैं और धर्म से जुड़े मसले भी उठाए जा रहे हैं.

कब-कब होंगे चुनाव

राज्य में चुनावी माहौल के बीच एक बार गोरखा ऑटोनॉमस काउंसिल (GAC) की मांग भी जोर पकड़ रही है. सत्ता का हस्तांतरण कर जनजातियों के विकास के मकसद से असम में काउंसिल बनाए जा रहे हैं. इस दिशा में तीन काउंसिल बनाए भी जा चुके हैं जिनके चुनाव होते हैं. इस कड़ी में अब गोरखा ऑटोनोमस काउंसिल की मांग भी की जा रही है और इसी को लेकर आंदोलन किए जा रहे हैं. 

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नई पेंशन स्कीम (NPS) के खिलाफ असम के सरकारी कर्मचारी विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. उनकी मांग है कि पुरानी पेंशन स्कीम को ही चलने दिया जाए. इसको लेकर भी प्रदर्शन हो रहे हैं.

चुनाव आयोग ने शुक्रवार को ऐलान किया कि असम में 3 चरणों में विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे. पहले चरण में 27 मार्च को वोट डाले जाएंगे तो दूसरे चरण में 1 अप्रैल और तीसरे चरण में 6 अप्रैल को मतदान कराया जाएगा. वोटों की गिनती यानी परिणाम 2 मई को आएगा.

 

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