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...वो जिन्होंने कभी नहीं की नौकरी, पर मजदूरों के लिए थी बुलंद आवाज

कार्ल मार्क्स ताउम्र कामकाजी तबके की आवाज बुलंद करते रहे, हालांकि खुद कभी कोई श्रम आधारित नौकरी नहीं की.

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Karl Marx
Karl Marx


साम्यवाद के सिद्धांत पर चलने वाले फिलॉस्फर कार्ल मार्क्स का जन्म साल 1818 में 5 मई को हुआ था.

जानते हैं उनके बारे में

1. दुनिया के मजदूरों के पास अपनी जंजीर के अलावा खोने के लिए कुछ भी नहीं है, दुनिया के मजदूर एक हो.

2. वो ताउम्र कामकाजी तबके की आवाज बुलंद करते रहे, हालांकि खुद कभी कोई श्रम आधारित नौकरी नहीं की.

3. क्रांतिकारी और कट्टर लेखों के चलते उन्हें जर्मनी, फ्रांस और बेल्जियम से भगा दिया था.

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4. फ्रेडरिक एंजेल्स के साथ मिलकर ' द कम्युनिस्ट मेनिफेस्टो' छापा.

5. उनकी थ्योरी कामकाजी तबके की जीत निश्चित है और मानव समाज वर्ग संघर्ष के रास्ते ही प्रगति करता है.

जानें कार्ल मार्क्स के विचारों के बारें में

- पूंजी मृत श्रम है , जो पिशाच की तरह केवल जीवित श्रमिकों का खून चूस कर जिंदा रहता है , और जितना अधिक ये जिंदा रहता है उतना ही अधिक श्रमिकों को चूसता है.

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- दुनिया के मजदूरों एकजुट हो जाओ. तुम्हारे पास खोने को कुछ भी नहीं है, सिवाय अपनी जंजीरों के.

- धर्म लोगों का अफीम है .

-धर्म मानव मस्तिष्क जो न समझ सके उससे निपटने की नपुंसकता है .

- सामाजिक प्रगति समाज में महिलाओं को मिले स्थान से मापी जा सकती है .

- नौकरशाह के लिए दुनिया महज एक हेर-फेर करने की वस्तु है.

 मिलें हॉलीवुड के गॉडफादर से...

- अगर कोई चीज निश्चित है तो ये कि मैं खुद एक मार्क्सवादी नहीं हूं.

- अमीर गरीब के लिए कुछ भी कर सकते हैं लेकिन उनके ऊपर से हट नहीं सकते .

- इतिहास खुद को दोहराता है , पहले एक त्रासदी की तरह , दुसरे एक मज़ाक की तरह .

- लोकतंत्र समाजवाद का रास्ता है.

 

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