जम्मू- कश्मीर में तैनात लोकप्रिय आईपीएस और जम्मू कश्मीर के ट्रैफिक चीफ बसंत रथ ने माइंड रॉक्स में युवाओं के सामने सेशन में जोरदार बात रखी. कश्मीर में पत्थरबाजी के सवाल पर बातचीत के दौरान उन्होंने कहा, कश्मीर के पत्थरबाज और केरल के पत्थरबाजों में ज्यादा फर्क नहीं है. बस उसे समझने की जरूरत है.
उन्होंने कहा, कश्मीर के लोग भी देश के नागरिक हैं. विजय माल्या भगोड़ा है. लेकिन एक नागरिक के तौर पर उसके अधिकार हैं. हर अपराधी देश का नागरिक होता है. हां उसके अपराध भी हैं. अगर भीड़ पत्थर फेंकती है तो भी वो लोग मेरे आदमी हैं. एक पुलिस ऑफिसर के तौर पर मैं लोगों को ऐसे ही देखता हूं. कश्मीर में मेरी लोकप्रियता की यही वजह है. ब्यूरोक्रेट्स या अफसरों के लिए जरूरी है कि सामने वाला आदमी आपको परिवार की तरह देखे."
सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग
सोशल मीडिया में ट्रोलिंग के बढ़ते ट्रेंड को लेकर बसंत रथ ने कहा, ट्रोलिंग अच्छा है. यदि किसी के पास बहुत सारा समय है तो उन्हें वो सब करने दीजिए जो वे करना चाहते हैं. मैं इसे क्यों गंभीरता से क्यों लूं."
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जम्मू कश्मीर में हुआ क्या है?
जम्मू कश्मीर में हुआ क्या है इस सवाल पर बसंत ने कहा, हर जगह का अपना इतिहास है. दंतेवाड़ा, कालाहांडी से लेकर सोपोर तक के पीछे एक इतिहास है. दिक्कत यह है कि लोग एसी घरों में बैठकर समझ नहीं पाते कि कश्मीर क्या है. जम्मू कश्मीर में ओडिशा से जाकर एक हिंदू लड़का (खुद के बारे में) काम करता है, लोग उसे एप्रीसिएट करते हैं."
"लोगों के लिए धर्मं महत्वपूर्ण नहीं है. लोग मूलत: स्वभाव से मनुष्य हैं. अच्छा ट्रीट करेंगे, अच्छा मिलेगा. कश्मीर का एक अपना इतिहास है. राजनेता अपनी स्पीच में उस बात को समझ नहीं पाते. यही दिक्कत है. अगर कोई असहमत है तो आप उसे खारिज नहीं कर सकते. दिल टूटता है इससे."
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ओडिशा की बजाय कश्मीर चुनना पसंद
बसंत ने कहा, "कश्मीर ने मुझे एक बेहतर मनुष्य बनने में मदद की. यह मिथ है कि ब्यूरोक्रेट्स इमोशनल नहीं होते. आप इमोशन और फीलिंग के बिना अच्छा काम नहीं कर सकते हैं." जब बसंत से पूछा गया कि पहाड़ (कश्मीर) या समंदर (ओडिशा) में से किसे चुनेंगे? आईपीएस ने कहा, "पहाड़."
जब उनसे पूछा गया कि क्या वह भविष्य में राजनीति भविष्य में शामिल होंगे तो उन्होंने राजनीति में जाने की बात को खारिज करते हुए कहा, "पहाड़ से काफी दुनिया दिखती है. वहां से जो दिल्ली दिखती है वो दूसरी है."