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जानें, TLTRO और रिवर्स रेपो रेट का मतलब, RBI से क्या है संबंध

RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने देश की अर्थव्‍यवस्‍था को दुरुस्त करने की तैयारियों के बारे में बताया. जिसमें TLTRO और रिवर्स रेपो रेट का जिक्र किया. आइए जानते हैं इन दोनों का मतलब.

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प्रतीकात्मक फोटो
प्रतीकात्मक फोटो

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने लॉकडाउन के बीच देश की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए कुछ अहम ऐलान किए, जिसमें RBI गवर्नर का सबसे बड़ा ऐलान रिवर्स रेपो रेट को लेकर है. इसमें 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती की गई है. अब ये 4% से घटकर 3.75% हो गया है.

वहीं दूसरा ऐलान रिजर्व बैंक ने 50 हजार करोड़ रुपये के टारगेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशन (TLTRO) के जरिए 50 हजार करोड़ रुपये सिस्टम में लाने का किया है.

यहां हमने आपके सामने 'TLTRO' और 'रिवर्स रेपो रेट' जैसे दो शब्दों का जिक्र किया है, जिसके बारे में कम ही लोगों को जानकारी है. आइए इनके बारे में विस्तार से जानते हैं.

क्या होता है रिवर्स रेपो रेट

देश में बैंकों के पास जब दिनभर के कामकाज के बाद रकम बची रह जाती है, तो उस रकम को भारतीय रिजर्व बैंक में रख देते हैं. इस रकम पर RBI उन्हें ब्याज देता है. भारतीय रिजर्व बैंक इस रकम पर जिस दर से बैंकों को ब्याज देता है, उसे 'रिवर्स रेपो रेट' कहते हैं.

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RBI ने बैंकों को दी बड़ी राहत, रिवर्स रेपो रेट में 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती

इसे आसान भाषा में ऐसे समझा जा सकता है. बैंक हमें कर्ज देते हैं और उस कर्ज पर हमें ब्याज देना पड़ता है. आपको बता दें, इसी तरह बैंकों को भी अपने रोजमर्रा के कामकाज के लिए भारी-भरकम रकम की जरूरत पड़ती है. ऐसे में वह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से कर्ज लेते हैं. इस कर्ज के लिए रिजर्व बैंक जिस दर से उनसे ब्याज वसूल करता है, उसे रेपो रेट कहा जाता है. बता दें, वहीं बैंक अपनी अतिरिक्त रकम जब रिजर्व बैंक के पास शॉर्ट टर्म के लिए जमा कर देते हैं तो उस पर जो ब्याज मिलता है वह रिवर्स रेपो रेट कहलाता है. यानी रिवर्स रेपो रेट में जब कटौती होती है तो बैंकों को आरबीआई से मिलने वाला ब्याज कम हो जाता है.

क्या होता है TLTRO

TLTRO का फुल फॉर्म टार्गेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशन है. इसके तहत RBI ने MFIs और NBFCs को 50 हजार करोड़ रुपये की मदद का ऐलान किया है.

TLTRO या LTRO एक ऐसा साधन होता है जिससे बैंक रेपो रेट पर रिजर्व बैंक से एक से तीन साल के लॉन्ग टर्म के कर्ज लेते हैं और इसके बदले उन्हें सरकारी या अन्य कोई लंबी अवधि की सिक्योरिटीज जमानत के रूप में रखनी पड़ती है. यानी इस साधन से बैंक दीर्घकालिक फंड हासिल करते हैं.

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इसी तरह लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फेसिलिटी यानी एलएफ और मार्जिनल स्टैंडिंग फेसिलिटी से बैंक 28 दिन तक के लिए रिजर्व बैंक से कर्ज हासिल करते हैं.

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आपको बता दें, देशभर में लॉकडाउन के कारण तमाम आर्थिक गतिविधियां ठहर गई हैं. ऐसे में इन्हें सुचारू रूप से चलाने के लिए आरबीआई ने TLTRO का ऐलान किया है. इसका मकसद अर्थव्‍यवस्‍था के बुनियादी सेक्‍टरों को ज्‍यादा कर्ज देना है. ताकि देश की अर्थव्यवस्था संकट में न आ जाए.

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