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UGC को खत्म करने की तैयारी, केंद्र सरकार ला रही है हायर एजुकेशन कमिशन

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि यूजीसी की जगह HECI स्थापित करने के लिए अधिनियम का मसौदा तैयार कर लिया गया है.

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फाइल फोटो
फाइल फोटो

केंद्र सरकार देश के विश्वविद्यालयों को रेगुलेट करने वाली सर्वोच्च संस्था यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन (UGC) को खत्म करने और इसकी जगह हायर ऐजुकेशन कमिशन ऑफ इंडिया (HECI) लाने जा रही है. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि यूजीसी की जगह HECI स्थापित करने के लिए अधिनियम का मसौदा तैयार कर लिया गया है.

मोदी सरकार की तैयारी HECI को लागू कर यूजीसी एक्ट-1956 को खत्म करने की है. सरकार ने इस मसौदे पर जनता से राय देने को कहा है. सरकार यह कदम ब्रैंडिंग 'इंस्पेक्टर राज' खत्म करने के तौर पर उठा रही है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय (MHRD) ने नए अधिनियम के मसौदे को बुधवार को अपनी वेबसाइट पर अपलोड किया.

प्रस्तावित HECI में 12 सदस्य होंगे, जिन्हें केंद्र सरकार नियुक्त करेगी. इसमें चेयरपर्सन और वाइस चेयरपर्सन को शामिल नहीं किया जाएगा. सदस्यों में हायर एजुकेशन, मिनिस्ट्री ऑफ स्किल डिवेलपमेंट और डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के सचिवों के साथ AICTE और NCTE के चेयरपर्सन और दो वर्किंग वाइस चांसलरों को शामिल किया जाएगा.

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नए मसौदे के मुताबिक HECI का काम शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देना, शैक्षिक मानकों को बनाए रखना, उच्च शिक्षा के शिक्षण, मूल्यांकन और अनुसंधान के लिए मानक तय करना होगा. शिक्षा के स्तर को बनाए रखने में नाकाम संस्थानों की निगरानी करना भी इसका काम होगा. इस मसौदे पर सात जुलाई शाम पांच बजे तक अपनी राय देने के लिए कहा गया है.

केंद्रीय मंत्री जावड़ेकर ने ट्वीट किया, 'मैं सभी शिक्षाविदों, हितधारकों और अन्य से अपनी टिप्पणी और सुझाव सात जुलाई शाम पांच बजे तक reformofugc@gmail.com पर भेजने की अपील करता हूं.

उन्होंने कहा, 'मसौदा अधिनियम सरकार द्वारा उच्च शिक्षण संस्थानों को और आजादी देने वाले तंत्र को सुधारने के वादे के तहत तैयार किया गया है, जिससे शिक्षा तंत्र की उत्कृष्टता और समग्र विकास की सुविधा को बढ़ावा दिया जा सके.'

उन्होंने कहा, 'नियामक तंत्र में परिवर्तन, न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन, अनुदान कार्यों को अलग करने, निरीक्षण राज का अंत करने, अकादमिक गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने और लागू करने की शक्तियों के सिद्धांत पर आधारित है.'

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