स्कूलों में शैक्षिक सत्र शुरू होने के महीनों बाद तक किताबों की मारामारी और प्रकाशकों की मुनाफाखोरी को खत्म करने के लिए CBSE नई व्यवस्था पर विचार कर रहा है. मानव संसाधन विकास मंत्रालय के परामर्श पर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड इस बात पर भी विचार कर रहा है कि अगले सत्र से तमाम स्कूल 31 जनवरी से पहले ही अपनी अपनी वेबसाइट और स्कूलों के नोटिस बोर्ड पर सभी क्लास के लिए तय की गई किताबों की सूची चिपका दें.
दिल्ली में पुस्तक प्रकाशकों के संगठन पुस्तक विक्रेता हितकारी संघ ने इस बाबत मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव से पिछले हफ्ते मुलाकात की. मुलाकात का मकसद किताबों के समय रहते छात्रों तक पहुंचाना और अभिभावकों को लुटने से बचाने के उपाय करना था. संघ ने इस बाबत सरकार को अपने सुझाव भी दिये.
संघ के सचिव रमेश वशिष्ठ के मुताबिक 31 जनवरी से पहले अगर स्कूल अपने-अपने नोटिस बोर्ड औऱ वेबसाइट पर अपने यहां लागू होने वाली किताबों की फेहरिस्त लगा दें तो अभिभावकों और किताब दुकानदारों को सहूलियत होगी. इसका सीधा फायदा छात्रों और अभिभावकों को मिलेगा क्योंकि हर किताब दुकानदार वो किताबें समय रहते मंगा लेगा. दुकानदारों के बीच होड़ का फायदा भी अभिभावकों को मिलेगा.
गौरतलब है कि सीबीएसई के हालिया सर्कुलर के बाद निजी स्कूलों से किताब और यूनिफार्म की `दुकानें' बंद होने के बाद स्कूल मार्च के आखिरी हफ्ते में किताबों की सूची प्रकाशित करते हैं. इसके बाद स्कूल के चहेते दुकानदारों के पास ही वो किताबें देर से पहुंचती हैं और वो मनमाने दाम वसूलते हैं.
केंद्र सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय के सचिव ने संघ के सुझावों पर सहमति जताई और इसे सीबीएसई के पास विचार के लिए भेज दिया है. सीबीएसई में उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक स्कूलों में धंधेबाजी रोकने के उपाय और सख्त करने के सिलसिले में इस सुझाव पर भी विचार हो रहा है ताकि समय रहते किताबें छात्रों तक पहुंच सकें.